लखनऊ। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए जाने के 28 साल बाद फैसले की घड़ी आ गई है। ढांचा गिराए जाने के मामला में दर्ज किए गए आपराधिक मुकदमे में सीबीआई की विशेष अदालत बुधवार को फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत को एक निश्चित समय सीमा में सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाने को कहा था। पिछले महीने यह सीमा एक महीने के लिए बढ़ाई गई थी। सितंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई पूरी होने के बाद विशेष जज ने कहा था कि वे 30 सितंबर को फैसला सुनाएंगे।
विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में 32 आरोपी हैं। इनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साक्षी महाराज के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद के कई नेता भी आरोपी हैं। विशेष जज ने फैसला सुनाए जाने के समय सभी आरोपियों को हाजिर रहने का आदेश दिया है। कोरोना वायरस की वजह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस मामले में सभी आरोपियों के बयान दर्ज हुए हैं। सभी आरोपी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ही अदालत के सामने उपस्थित रहेंगे।
इस मामले सुनवाई पिछले 28 साल से लखनऊ की विशेष अदालत में बेहद धीमी रफ्तार से चल रही थी। तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया कि इस मामले में रोजान सुनवाई की जाए और मामले की सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर नहीं होगा। सर्वोच्च अदालत के दखल के बाद इस मामले की सुनवाई पूरी हुई है अब फैसले की घड़ी आई है। बयान दर्ज कराने के दौरान सभी आरोपियों ने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि कांग्रेस की सरकार ने राजनीतिक साजिश के तहत उनको ढांचा गिराने के आरोप में फंसाया है।