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बुजुर्गों की बजाय युवाओं को बचाए सरकार

ByNI Desk,
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बुजुर्गों की बजाय युवाओं को बचाए सरकार
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की पहली लहर में इटली में यह बात सुनने को मिली थी कि अस्पताल में बेड्स की कमी होने पर सरकार ने बुजुर्गों की बजाय युवाओं को बचाने पर ज्यादा ध्यान दिया था। वहीं बात मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कही है। दिल्ली में ब्लैक फंगस की बढ़ती बीमारी और दवा की कमी पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार बुजुर्गों की बजाय युवाओं को बचाने पर ध्यान दे। अदालत ने कहा कि यह बेहद क्रूर निर्णय है, लेकिन अगर दवा की डोज कम है तो यह फैसला करना होगा कि वह डोज किसे दी जाए। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की ड्रग पॉलिसी को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा के इस्तेमाल पर नीति बनाने और रोगियों की प्राथमिकता तय करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर एम्फोटेरिसिन-बी की भारी किल्लत को देखते हुए अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि इस बीमारी की जद में आए बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं को बचाने पर ध्यान देना होगा। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा- अगर एक ही परिवार में दो लोग बीमार हैं, एक की उम्र 80 और दूसरे की 35 साल है। दवाई की सिर्फ एक खुराक है तो हम किसको बचाने की कोशिश करेंगे। यह तय कर पाना बेहद मुश्किल है। अदालत ने कहा कि अगर हम इस परिस्थिति में किसी को चुनना चाहे तो हमें युवाओं को प्राथमिकता देनी होगी। हालांकि यह बेहद क्रूर निर्णय है। लेकिन युवा इस देश का भविष्य हैं। इसलिए उन्हें सबसे पहले बचाना जरूरी है। इसके साथ ही अदालत ने इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, आईसीएमआर से ब्लैक फंगस की दवा के इस्तेमाल पर स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई में कहा कि 80 साल के बुजुर्ग ने अपनी जिंदगी जी ली है। वे इस देश को आगे नहीं ले जाने वाले हैं। इसलिए हमें युवाओं का चुनाव करना होगा। हम ये नहीं कह रहे हैं कि किसी का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है और किसी का कम। हर एक जिंदगी महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह फैसला करना होगा।
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