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किसानों की रिहाई की मांग

ByNI Desk,
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किसानों की रिहाई की मांग
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में 67 दिन से आंदोलन कर रहे किसान एक बार फिर केंद्र सरकार के साथ वार्ता के लिए राजी हो गए हैं पर साथ ही यह भी कहा है कि गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई हो जाए तो उससे वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गौरतलब है कि शनिवार को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार की ओर से किसानों को दिया गया प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर है। उसके एक दिन बाद रविवार को सरकार के साथ किसानों की अगली वार्ता की तारीख तय हुई। दो फरवरी को यह वार्ता होगी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। टिकैत ने कहा- सरकार को हमारे लोगों को रिहा करना चाहिए और वार्ता के अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा- एक सम्मानजनक स्थिति पर पहुंचा जाना चाहिए। हम दबाव में कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि यह मुद्दा बातचीत से ही सुलझ सकता है और किसान सरकार से बातचीत करेंगे। गौरतलब है कि आखिरी बार 22 जनवरी को सरकार के साथ किसानों की वार्ता हुई थी। उससे पहले 20 जनवरी की वार्ता में सरकार ने कहा था कि वह डेढ़ साल तक कानूनों पर रोक लगाने के लिए तैयार है। उसके बाद एक कमेटी बना कर विवाद के सारे मुद्दों पर बात हो सकती है। लेकिन 22 जनवरी को किसानों ने सरकार का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और तब सरकार ने कहा था कि अब वह आगे बात नहीं करेगी। लेकिन शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से की गई पहल के बाद एक बार फिर वार्ता होने जा रही है। इससे पहले रविवार को टिकैत ने कहा- हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे। किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुके। उन्होंने कहा- हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्मसम्मान की रक्षा हो। बीच का कोई रास्ता खोजा जाना चाहिए। वार्ता होनी चाहिए। असल में गणतंत्र दिवस के दिए हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई थी। उसके बाद पुलिस ने करीब 40 मामले दर्ज किए हैं और 85 के करीब लोगों को गिरफ्तार किया है। किसान नेता इनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच, शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत के बाद से ही गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के पहुंचने का सिलसिला तेज हो गया है। उत्तर प्रदेश के दूर-दराज इलाकों से आने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई प्रदर्शनकारी टिकैत से बात करने या उनके साथ सेल्फी लेने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने छोटी-छोटी टुकड़ियों में तिरंगा मार्च भी निकाला है।
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