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किसानों ने तय की तारीख!

ByNI Desk,
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किसानों ने तय की तारीख!
नई दिल्ली। केंद्र सरकार बार बार चिट्ठी भेज कर कह रही थी कि वह वार्ता के लिए तैयार है और केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन तारीख और समय तय करें तो शनिवार को किसान संगठनों ने तारीख और समय तय कर दिया। केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी में किसानों ने कहा कि वे सरकार के साथ 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बातचीत के लिए राजी हैं। बातचीत की तारीख और समय तय करने के साथ ही किसान संगठनों ने वार्ता का एजेंडा भी सरकार को भेज दिया। शनिवार को किसान आंदोलन के 31 दिन पूरे हो गए। किसान संगठनों ने अपने एजेंडे में चार बिंदु शामिल किए हैं। सबसे पहला एजेंडा यह है कि केंद्र सरकार के बनाए तीनों कानूनों को रद्द करने की क्रियाविधि यानी तरीके पर चर्चा हो। किसान इस एजेंडे में यह नहीं कह रहे हैं कि केंद्रीय कानूनों को रद्द करने के बारे में चर्चा हो। उनका कहना है कि कानून तो रद्द होगा कि वार्ता इस पर हो कैसे रद्द होगा। तभी किसान संगठनों को भी इस बात का अंदेशा है कि सरकार इस एजेंडे को स्वीकार करेगी। आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को चिट्ठी लिखी है, जिसमें किसानों का दूसरा एजेंडा न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया तय करने की है। इसमें लिखा है- सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान। सरकार के लिए इस एजेंडे को भी स्वीकार करना आसान नहीं होगा। इसके अलावा दो और एजेंडे पराली जलाने को लेकर किसानों पर लगाए जाने वाले जुर्माने के नियम को बदलने और प्रस्तावित बिजली कानून के मसौदे में बदलाव से जुड़े हैं। बातचीत की तारीख व समय तय करने और अपना एजेंडा सरकार को बताने वाली इस चिट्ठी में किसान संगठनों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। इस चिट्ठी में सरकार के लिए लिखा गया है- आप अपनी चिट्ठी में लिखते हैं कि आप किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहते हैं। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते है तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें। गौरतलब है कि सरकार ने गुरुवार को किसानों को तीसरी बार चिट्ठी लिख कर बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की थी। चिट्ठी में कहा गया था कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि एमएसएपी से जुड़ी कोई भी नई मांग, जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा। आंदोलन जारी रहेगा केंद्र सरकार की ओर से बार-बार वार्ता की तारीख और समय तय करने के लिए लिखी जा रही चिट्ठी के जवाब में किसानों ने बातचीत के लिए भले 29 दिसंबर की तारीख तय कर दी है पर उन्होंने अपना आंदोलन नहीं छोड़ा है। किसान संगठनों ने कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने 29 दिसंबर से आगे की भी योजना का खुलासा किया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया है कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे और 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकलेगा। उन्होंने नए साल को लेकर कहा- हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन हरपाल गुट ने भी शनिवार से दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर धरना देना शुरू कर दिया है। चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि सरकार से कृषि कानून वापस करा कर ही वापस जाएंगे। उधर हरियाणा में किसान आंदोलन के चलते खेड़ा बॉर्डर पर दिल्ली-जयपुर हाईवे 48 घंटे से पूरी तरह बंद है। इसके चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे पर गुरुग्राम की ओर से आने वाली गाड़ियों को आकेड़ा-भिवाड़ी-तिजारा-अलवर की तरफ मोड़ा जा रहा है। इस बीच दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को सिंघु बॉर्डर पहुंच कर किसानों से मुलाकात की। वहां के कानून व्‍यवस्‍था का जायजा लिया।
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