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बात आगे नहीं बढ़ी

ByNI Desk,
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बात आगे नहीं बढ़ी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की सरकार से वार्ता एक बार फिर विफल हो गई है। इस बार वार्ता की गाड़ी आगे ही नहीं बढ़ी। सरकार चाहती थी कि अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा हो, जिसके बारे में किसान पहले ही कह चुके थे कि वे कानूनों के हर क्लॉज पर अलग अलग बातचीत नहीं करेंगे। वे यहीं कहते रहे कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करे। किसानों ने अलग अलग मुद्दों पर बातचीत की बजाय यह भी कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के तरीकों पर चर्चा करे। तमाम असहमति के बावजूद केंद्र और किसान संगठन दोनों एक बार फिर आठ जनवरी को वार्ता के लिए राजी हो गए। सोमवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के नेता विज्ञान भवन में चार घंटे तक बातचीत करते रहे लेकिन वार्ता एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। तभी वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खीज भरे अंदाज में कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पूरे देश को ध्यान में रख कर फैसला करेगी। दूसरी ओर किसानों ने अपना आंदोलन जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि जब तक कानूनों की वापसी नहीं होगी तब तक किसानों की घर वापसी भी नहीं होगी। मीटिंग खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा- अगली बैठक में हमारा मुद्दा एमएसपी और कानूनों की वापसी ही रहेगा। दूसरी ओर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- किसान चाहते हैं कि सरकार रास्ता निकाले और उन्हें आंदोलन खत्म करने का रास्ता मिले। सरकार पूरे देश को ध्यान में रख कर ही फैसला करेगी। कानून और एमएसपी ही मुख्य मुद्दा हैं। इससे पहले 30 दिसंबर को हुई वार्ता में दो छोटे-छोटे मुद्दों पर सहमति बन गई थी। सोमवार की मीटिंग के दौरान लंच में सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी। लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब दो सौ लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था। लेकिन इस बार दोनों ने अलग अलग खाना खाया। बैठक शुरू होने से पहले में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद बैठक शुरू हुई तो सरकार ने किसानों से अलग अलग मुद्दों पर बातचीत करने को कहा, लेकिन किसानों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर ही चर्चा की मांग की। इस वजह से बात आगे नहीं बढ़ सकी। बैठक के बाद सभी किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून की मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। गौरतलब है कि कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले 40 दिन आंदोलन कर रहे। दिल्ली में हो रही बारिश और कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं। कृषि मंत्री को समाधान की उम्मीद केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ सोमवार को हुई वार्ता भले बेनतीजा रही पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समाधान की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में चर्चा आगे-पीछे होती रही है, लेकिन दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा- चर्चा ठीक वातावरण में हुई है और दोनों पक्ष जल्दी समाधान चाहते हैं। आठ तारीख को दो बजे बैठक होगी और उसमें चर्चा आगे बढ़ेगी। कृषि मंत्री ने कहा- जब हम तारीख तय करते हैं तो किसान संगठनों की मंजूरी से ही तय करते हैं। स्वाभाविक है कि रास्ता निकालने के लिए दोनों हाथों से ही तालियां बजती हैं। सोमवार की वार्ता के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कृषि मंत्री ने इस बात से इनकार किया कि किसान संगठनों को सरकार पर भरोसा नहीं है। उन्‍होंने कहा कि सरकार और यूनियन की रजामंदी से ही आठ तारीख की बैठक तय हुई है इसका मतलब है कि किसानों को सरकार पर भरोसा है। उन्‍होंने कहा कि किसानों की भी मंशा है कि सरकार रास्‍ता तलाशे और आंदोलन खत्‍म करने की स्थिति हो। तोमर ने कहा- चर्चा में दो अहम विषय एमएसपी और कानून थे, कुल मिला कर चर्चा अच्‍छे वातावरण में हुई, दोनों पक्ष चाहते हैं कि समाधान निकले। उन्होंने कहा- सरकार ने कानून बनाया है तो किसानों के हित को ध्‍यान में रख कर बनाया है। हम चाहते हैं कि यूनियन की तरफ से वह बात आए, जिस पर किसानों को ऐतराज है, इस पर सरकार खुले मन से बातचीत करने को तैयार है।
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