नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटना के बहाने पूरे राज्य में जातीय व धार्मिक हिंसा फैलाने और राज्य सरकार को बदनाम करने की कथित साजिश के मामले में हर दिन चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि देश के कई हिस्सों में सक्रिय चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पीएफआई इस साजिश में शामिल थी और इस काम के लिए उसे एक सौ करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी।बताया जा रहा है कि हाथरस की घटना के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे फैलाने के लिए पीएफआई को एक सौ करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी, जिसमें से 50 करोड़ रुपए मॉरीशस से आए थे। इससे पहले पीएफआई का नाम दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून, सीएए के विरोध में प्रदर्शनों और दिल्ली दंगों में भी आया था।
बहरहाल, दिल्ली से हाथरस जा रहे इसके चार सदस्यों को मंगलवार रात मथुरा में पकड़ा गया। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इन लोगों के पास छह स्मार्टफोन और एक लैपटॉप मिला है। इसके अलावा कुछ पैम्फलेट्स मिले हैं, जिन पर ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ और ‘एम आई नॉट इंडियाज डॉटर’ लिखा हुआ है। अदालत ने चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि कुछ वेबसाइट्स के जरिए चंदा जुटाने का काम हो रहा था। बताया जा रहा है कि विदेशों से मिलने वाली फंडिंग का इस्तेमाल दंगे भड़काने में किया जाता है। इनसे जुड़े संगठन और कार्यकर्ता भीड़ जमा करने, अफवाह फैलाने, चंदा जुटाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की आड़ में देश विरोधी काम करते हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि इनके जरिए भारत के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है।