
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने रविवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी पार्टियों ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। तीन राज्यों के मुख्यमंत्री इस समारोह में शामिल हुए और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने भी शपथ समारोह में शिरकत की। गौरतलब है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने गठबंधन बना कर चुनाव लड़ा था। इन तीनो पार्टियों के प्रतिनिधि सरकार में शामिल हुए हैं।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ तीन और मंत्रियों को शपथ दिलाई। तीन में से दो मंत्री कांग्रेस कोटे से हैं और एक राष्ट्रीय जनता दल से। हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी से अभी किसी को मंत्री नहीं बनाया है। कांग्रेस कोटे से कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने मंत्री पद की शपथ ली। राजद के इकलौते विधायक सत्यानंद भोक्ता भी मंत्री बने हैं। झारखंड में मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री हो सकते हैं। बाकी मंत्रियों की शपथ मकर संक्रांति के बाद होगी।
हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस के कई और नेता शामिल हुए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व सह प्रभारी उमंग सिंघार भी शपथ समारोह में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी समारोह में शामिल हुईं। उनके साथ मंच साझ करने से परहेज करने वाले वामपंथी नेता भी उनके साथ मंच पर बैठे रहे और सीपीआई के डी राजा ने उनसे काफी देर तक मंच पर ही बातचीत की।
सीपीआई से डी राजा और अतुल अंजान इस समारोह में शामिल हुए। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी भी मंच पर मौजूद थे। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन अपनी बहन और पार्टी की सांसद कनिमोझी के साथ समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, समाजवादी नेता शरद यादव और शिवानंद तिवारी भी समारोह में शामिल हुए। शपथ समारोह के बाद सभी विपक्षी नेताओं ने हाथ उठा कर अपनी एकजुटता का ऐलान किया। इससे पहले विपक्षी नेताओं का ऐसा जमावड़ा कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की साझा सरकार बनने के समय हुआ था।
हेमंत सोरेन के शपथ समारोह में कई और विपक्षी नेताओं को शामिल होना था पर वे किसी कारण से इसमें शामिल नहीं हुए। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिव सेना और एनसीपी का कोई प्रतिनिधि कार्यक्रम में नहीं पहुंचा। इसी तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी कोई शामिल नहीं हुआ। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कार्यक्रम में शामिल होने नहीं जा सके और एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस का भी कोई प्रतिनिधि नहीं शामिल हुआ। झारखंड में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने 81 सीटों में से 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था।