तेहरान/बगदाद। ईरान ने अपने सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए बुधवार सुबह इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला किया। बताया जा रहा है कि ईरान ने इराक के अनबर प्रांत में स्थित ऐन अल असद बेस और इरबिल में एक ग्रीन जोन पर 22 बैलिस्टिक मिसाइल दागीं। ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि इन हमलों में 80 ‘अमेरिकी आतंकी’ मारे गए।
गौरतलब है कि हाल ही में ईरान ने अमेरिका की सभी सेनाओं को आतंकी घोषित कर दिया है। इस हमले के थोड़ी देर बाद भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने नई दिल्ली में कहा- हमने जो भी किया है वह हमारी प्रतिक्रिया का हिस्सा है। जनरल कासिम सुलेमानी के अंतिम संस्कार में भाग लेने वाले लाखों लोगों ने सरकार से इसकी मांग की थी। हमने यह कर दिया। हम युद्ध नहीं चाहते। उन्होंने कहा- हम भारत सहित अपने भाइयों और बहनों के साथ इस क्षेत्र में शांति से रह रहे हैं। हम इस क्षेत्र में कोई तनाव नहीं चाहते हैं। हम युद्ध नहीं चाहते। हम क्षेत्र में सभी के लिए शांति और समृद्धि चाहते हैं।
इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने हमले के बाद बुधवार को कहा कि इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला अमेरिका के लिए करारा तमाचा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना को पश्चिम एशिया क्षेत्र को छोड़ना होगा। ईरान स्टेट टीवी ने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के हवाले से दावा किया कि हमले में अमेरिकी हथियारों और हेलीकॉप्टरों को नुकसान पहुंचा है। ईरान के निशाने पर अभी एक सौ अमेरिकी ठिकाने और हैं। अगर अमेरिका ने पलटवार की कोशिश की, तो वह इन ठिकानों पर हमला करेगा।
इस बीच वाशिंगटन में पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन ने ईरान के मिसाइल हमले की पुष्टि करते हुए कहा- हम युद्ध में हुए आरंभिक नुकसान का आकलन कर रहे हैं। हॉफमैन ने बताया कि सात जनवरी को शाम साढ़े पांच बजे ईरान ने इराक में अमेरिकी सेना और उसके सहयोगी बलों पर एक दर्जन से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी। उन्होंने कहा- यह स्पष्ट है कि ये मिसाइलें ईरान ने दागी और इराक में अल असद और एरबिल स्थित कम से कम दो इराकी सैन्य अड्डों को निशाना बनाया, जहां अमेरिकी सेना और उसके सहयोगी बल ठहरे हुए हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में कासिम सुलेमानी को मारा गया था।