
नई दिल्ली। चीन के शहर वुहान की लैब में कोरोना वायरस के बने होने को लेकर हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अमेरिका में मीडिया में रिपोर्ट सामने आने और राष्ट्रपति जो बाइडेन के तीन महीने में इसकी जांच करके रिपोर्ट देने के आदेश के बाद अब नया खुलासा ब्रिटेन और नार्वे के वैज्ञानिकों ने किया है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से ही निकला और इसके प्राकृतिक तौर पर चमगादड़ों से फैलने के सबूत नहीं हैं। इस नए दावे से चीन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश की खुफिया एजेंसियों से 90 दिन में इस बारे में रिपोर्ट तलब की है। इस बीच ब्रिटिश वैज्ञानिकों के खुलासे ने चीन पर शक और बढ़ा दिए हैं। ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डेल्गलिश और नॉर्वे के डॉक्टर बर्गर सोरेनसेन ने यह नई स्टडी की है। इसके मुताबिक, सार्स-सीओवी-2 वायरस वास्तव में चीन के वुहान लैब से ही रिसर्च के दौरान लीक हुआ। जब यह गलती हो गई तो रिवर्स इंजीनियरिंग वर्जन के जरिए इसे छिपाने की कोशिश की गई। ब्रिटेन और नार्वे के वैज्ञानिकों का कहना है कि चीनी वैज्ञानिक दुनिया को यह दिखाना चाहते थे कि यह वायरस लैब नहीं, बल्कि कुदरती तौर पर चमगादड़ों से फैला।
स्टडी के बाद जारी रिसर्च पेपर के मुताबिक- इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि यह नैचुरल वायरस है। दरअसल, चीनी वैज्ञानिक इसके जरिए साइंस सेक्टर में बढ़त हासिल करना चाहते थे। दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों से निकलने की होड़ में बड़ा हादसा हो गया और यह पूरी मानवता के लिए खतरा बन गया।
ब्रिटिश अखबार ‘द डेली मेल’ को दिए इंटरव्यू में नॉर्वे के डॉक्टर बर्गर सोरेनसेन ने कहा- अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई प्राकृतिक वायरस इतनी तेजी से म्यूटेट हो। इनका एक तरीका होता है और इसे रिसर्चर पकड़ लेते हैं। इसके बाद इसका एंटी वायरस तैयार कर लिया जाता है। उन्होंने कहा- कोविड के मामले में कहानी बिल्कुल अलग है। भले ही अब चीनी वैज्ञानिक कुछ भा दावा करें, लेकिन सच्चाई सामने आ रही है और एक दिन हर चीज हमारे सामने होगी। हमने पहले भी लैब लीक देखी हैं।