नई दिल्ली। आखिरकार सात साल की लंबी लड़ाई के बाद निर्भया को न्याय मिल गया। निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी पर लटका दिया गया। गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को छह लोगों ने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह से घायल करके छोड़ दिया था। कुछ दिन के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।
पूरे देश की सामूहिक चेतना को झकझोर देने वाली इस घटना चार दोषियों- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी के फंदे पर लटकाया गया। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा- डॉक्टरों ने शवों की जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया। बाद में इन चारों का शव दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और फिर उनके परिजनों को सौंप दिया गया।
जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है। तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। इससे पहले चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और गुरुवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली।
सामूहिक बलात्कार और हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। आखिरकार शुक्रवार की सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई। आखिरी पैंतरा चलते हुए एक दोषी ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फांसी से कुछ घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फांसी से कुछ घंटों पहले पवन कुमार गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अभूतपूर्व रूप से देर रात ढाई बजे सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे तक चली। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए फांसी का रास्ता साफ कर दिया।
निर्भया की मां आशा देवी ने फांसी के बाद पत्रकारों से कहा- हमें आखिरकार न्याय मिला। हम भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। न्याय में देरी हुई लेकिन न्याय मिला। उन्होंने कहा कि दोषियों की फांसी के बाद अब महिलाएं निश्चित तौर पर सुरक्षित महसूस करेंगी। उन्होंने कहा कि पूरा देश जाग रहा था और न्याय का इंतजार कर रहा था।