
नई दिल्ली। आतंकवादियों को प्रश्रय देने और उनकी मदद करने के मामले में पाकिस्तान फिलहाल राहत मिल गई है। वह काली सूची में डाले जाने और नई पाबंदियां लगाए जाने से बच गया है। टेरर फंडिंग और धनशोधन पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एफएटीएफ पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला किया है। इस मामले में तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान को अपना समर्थन दिया है। गौरतलब है कि एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।
इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने पाकिस्तान को काली सूची से बचने के लिए 27 सूत्री एक्शन प्लान सौंपा था। अगर पाकिस्तान इस प्लान पर ठीक से काम नहीं करता है तो संस्था उसे ब्लैक लिस्ट कर सकती है। इसी के चलते पाकिस्तान पिछले कुछ दिनों से एफएटीएफ को धोखा देने में लगा है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान अपने प्रयास में कामयाब हो गया है और पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में उसे ग्रे सूची में ही रखने का फैसला हुआ है।
गौरतलब है कि 12 फरवरी को आतंकी संगठन जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद को सजा सुनाई गई थी। इसके महज पांच दिन बाद जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के लापता होने की खबर सामने आई। पाकिस्तान ने दावा किया था कि मसूद अजहर पाकिस्तान सेना की कैद से लापता हो गया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मसूद पाकिस्तान में ही है। उसे पाकिस्तानी सेना ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है।
बहरहाल, एफएटीएफ ने सोमवार को पाकिस्तान का नाम लिए बिना चेतावनी देते हुए कहा था-आतंकी फंड जुटाने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। वे सोशल मीडिया के जरिए नए फॉलोवर्स की पहचान कर रहे हैं और अपनी फंडिंग और अन्य सुविधाएं जुटाने के रास्ते बना रहे हैं। एफएटीएफ लगातार नए पेमेंट के तरीकों की पहचान कर अवैध लेनदेन रोकने में जुटा है।