नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून देश की कृषि व्यवस्था को बरबाद करने के लिए बनाए गए हैं और इनसे तीन-चार पूंजीपतियों का कृषि क्षेत्र पर एकाधिकार हो जाएगा। राहुल गांधी ने केंद्र को निशाना बनाते हुआ यह भी कहा कि वे किसी से डरते नहीं हैं। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उठाए सवालों पर पलटवार करते हुए कहा कि नड्डा कोई देश के प्रोफेसर नहीं हैं कि उनके हर सवाल का जवाब दिया जाए।
राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस की और कहा- मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरता। मैं साफ-सुथरा आदमी हूं। वे मुझे गोली मार सकते हैं, लेकिन छू नहीं सकते। मैं देशभक्त हूं और अपने देश की रक्षा करूंगा। कोई मेरा साथ नहीं देगा तब भी अकेला लड़ता रहूंगा। यह मेरा धर्म है। राहुल ने कृषि कानूनों की कमियां बताने वाली एक बुकलेट भी रिलीज की। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून देश की कृषि व्यवस्था को बरबाद करने के लिए तैयार किए गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल ने दावा किया कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा और खेती की पूरी व्यवस्था आजादी से पहले की हालत में चली जाएगी। उन्होंने किसान संगठनों की तर्ज पर तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की। राहुल गांधी ने ‘खेती का खून’ शीर्षक से बुकलेट जारी करते हुए संवाददाताओं से कहा- देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है। सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है। उन्होंने दावा किया- हवाईअड्डों, बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, दूरसंचार, रिटेल और दूसरे क्षेत्र में हम देख रहे हैं कि बड़े पैमाने पर एकाधिकार स्थापित हो गया है। तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार है। ये तीन-चार लोग ही प्रधानमंत्री के करीबी हैं और उनकी मदद करते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र अब तक एकाधिकार से अछूता था, लेकिन अब इसे भी निशाना बनाया जा रहा है और ये तीनों कानूनों इसलिए लाए गए हैं। राहुल ने कहा- इससे पहले खेती में एकाधिकार नहीं था। इसका फायदा किसानों, मजदूरों, गरीबों और मध्यम वर्ग को मिलता था। खेती का पूरा ढांचा था जो इनकी रक्षा करता था। इसमें मंडियां, कानूनी व्यवस्था और खाद्य सुरक्षा शामिल थे। अब फिर इस पूरे ढांचे को आजादी से पहले वाली स्थिति की तरफ ले जाने की कोशिश हो रही है।