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मोदी ने बंगाल में मनाई नेताजी की जयंती

ByNI Desk,
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मोदी ने बंगाल में मनाई नेताजी की जयंती
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती कोलकाता में मनाई। नेताजी की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा के बाद मोदी शनिवार को कोलकाता पहुंचे थे। उन्होंने  कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी की स्मृति में सिक्का और डाक टिकट जारी किया और आजादी की लड़ाई में नेताजी के योगदान की जम कर तारीफ की। इससे एक दिन पहले उन्होंने कई ट्विट करके लोगों से नेताजी की जयंती मनाने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश के लिए अपना जीवन लगा देने वाले नेताजी आज होते तो यह देख कर गर्व करते कि भारत महामारी में दूसरों की मदद कर रहा है। इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मोदी के साथ थीं। हालांकि मोदी और ममता में बात नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा- आज के दिन सिर्फ नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ही नहीं हुआ था, बल्कि भारत के आत्मसम्मान का जन्म हुआ था। आज के ही दिन गुलामी के अंधेरे में वह चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था कि मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा। मोदी ने कहा- आज नेताजी देखते कि भारत कोरोना से खुद लड़कर कामयाब हो रहा है। खुद वैक्सीन बना रहा है। दूसरे देशों को वैक्सीन भेजकर मदद भी कर रहा है तो कितने खुश होते। अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले भाजपा ने नेताजी की जयंती के मौके पर बड़े कार्यक्रम में तब्दील किया है। राज्य में अभी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से पहले भी भाजपा के तमाम शीर्ष नेता राज्य का दौरा कर चुके हैं। नाराज ममता मंच से उतर गईं! नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का भाजपा जैसा इस्तेमाल करना चाहती थी उसमें वह कामयाब हो गई। नेताजी की जयंती के कार्यक्रम में और उससे पहले राजधानी कोलकाता में जम कर सियासत हुई। प्रोटोकॉल के तहत प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में ममता बनर्जी शामिल हुईं लेकिन जब उनके भाषण देने की बारी आई तो कुछ लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगा दिए। जिसके बाद ममता तुरंत मंच से उतर कर चली गईं और यह भी कहा कि उनको अपमानित किया गया है। विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी के सम्मान में डाक टिकट जारी होने के बाद भाषण देने के समय ममता बनर्जी नाराज हो गईं। जब ममता भाषण देने पहुंचीं, तो भीड़ में से जय श्री राम के नारे सुनाई देने लगे। इसके बाद ममता भड़क गईं और भाषण दिए बगैर ही लौट आईं। ममता ने मंच से कहा- यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। सरकार के कार्यक्रम में गरिमा होनी चाहिए। यह पब्लिक का प्रोग्राम है। मैं कोलकाता में प्रोग्राम करने के लिए प्रधानमंत्री जी और संस्कृति मंत्रालय की आभारी हूं। लेकिन, किसी को बुलाकर इस तरह बेइज्जत करना शोभा नहीं देता। इसका विरोध करते हुए अब मैं कुछ नहीं बोलूंगी। जय हिंद, जय बांग्ला। विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी पर डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का कार्यक्रम हुआ। उसके बाद आजाद हिंद फौज के सदस्यों का सम्मान भी किया गया। करीब तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक आयोजन भी हुए। मंच से भाषण के लिए ममता बनर्जी का नाम पुकारा गया, तो भीड़ में से कुछ लोग जय श्री राम के नारे लगाने लगे। कार्यक्रम के संचालक और आगे की कतार में बैठे लोगों ने उन्हें शांत कराया, इसी दौरान ममता माइक पर आईं और नाराजगी जता कर आधे मिनट में अपनी बात खत्म की। प्रधानमंत्री मोदी के कोलकाता पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। उन्होंने कोलकाता के श्याम बाजार से रेड रोड तक करीब आठ किलोमीटर की पदयात्रा निकाली। इसे दोपहर सवा 12 बजे शुरू किया गया था, क्योंकि 23 जनवरी 1897 को इसी वक्त नेताजी का जन्म हुआ था। ममता ने इसके साथ ही कोलकाता को देश की राजधानी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा- अंग्रेज कोलकाता से ही पूरे देश पर राज करते थे। ऐसे में हमारे देश में एक शहर को ही राजधानी क्यों बनाए रखना चाहिए। देश में चार रोटेटिंग कैपिटल होनी चाहिए। ममता बनर्जी ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के सरकार के फैसले को भी खारिज किया। ममता ने कहा- हम नेताजी का जन्मदिन केवल चुनावी साल में नहीं मनाते। नेताजी को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। हम उनकी 125वीं जयंती बहुत बड़े पैमाने पर मना रहे हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें देशनायक कहा था, इसलिए हमने आज के दिन को देशनायक दिवस नाम दिया है।
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