नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्ज खत्म किए जाने के बाद राज्य में लगाई गई विभिन्न किस्म की पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि सरकार अनिश्चितकाल तक पाबंदी लगा कर नहीं रख सकती है। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत से कहा है कि वह सात दिन के भीतर तमाम पाबंदियों की समीक्षा करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि इंटरनेट की सेवा एक मौलिक अधिकार है और सरकार से कहा है कि वह जरूरी जगहों पर जितनी जल्दी हो इंटरनेट सेवा बहाल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार है। अदालत ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि राज्य में पाबंदी लगाने के सारे आदेशों की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा की जाए। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी।
सर्वोच्च ने कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोधी विचारों को दबाने के लिए निषेधाज्ञा लगाने वाली आईपीसी की धारा 144 का इस्तेमाल अनिश्चितकाल के लिए नहीं किया जा सकता। पीठ ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने वाले अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थाओं में इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाए। तीन जजों की पीठ ने यह भी कहा कि प्रेस की आजादी बहुत ही कीमती और पवित्र अधिकार है।
धारा 144 लगाने के आदेशों के बारे में अदालत ने कहा कि ऐसे आदेश देते समय मजिस्ट्रेट को अपने विवेक का इस्तेमाल करने के साथ ही आनुपातिक सिद्धांत का पालन करना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जो संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं से इतर हैं।
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के सरकार के पांच अगस्त, 2019 के फैसले की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ 21 जनवरी को आगे सुनवाई करेगी। बहरहाल, अदालत ने ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सहित विभिन्न सेवाओं पर लगाई गई पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 27 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी। इस मामले में केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था। केंद्र ने अदालत में कहा था कि सरकार के एहतियाती उपायों की वजह से ही राज्य में किसी व्यक्ति की न तो जान गई और न ही एक भी गोली चलानी पड़ी।
कश्मीर पर बोला सुप्रीम कोर्ट
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