नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश में भर में चल रहे आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में अदालत पहुंचे वकीलों को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई। देश के कई हिस्सों में हुई हिंसक विरोध की घटनाओं की जांच के लिए सर्वोच्च अदालत के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति बनाने से मंगलवार को इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की समितियां संबंधित हाई कोर्ट बना सकती हैं। सर्वोच्च अदालत ने सभी याचिकाकर्ताओं को राहत के लिए और जांच समितियां बनवाने के लिए संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट में जाने का निर्देश, जहां हिंसा की घटनाएं हुई हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की तीन सदस्यों की पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का जिक्र किया कि याचिकाकर्ताओं के हर आरोप का केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने खंडन किया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की चिंता दो बातों को लेकर मुख्य रूप से है। पहला तो अंधाधुंध तरीके से छात्रों की गिरफ्तारी और दूसरे, घायल छात्रों का ठीक से इलाज नहीं होना।
पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल के अनुसार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सिर्फ दो छात्रों को ही अस्पताल में दाखिल किया गया है और उनका विश्वविद्यालय के अस्पताल में इलाज चल रहा है। सॉलिसीटर जनरल का कहना है कि वे पुलिस कार्रवाई में जख्मी नहीं हुए हैं, जैसा कि याचिकाकर्ताओं का दावा है।
पीठ ने आरोप प्रत्यारोपों का जिक्र करते हुए कहा- इस विवाद के स्वरूप और घटनाओं के संबंध में हर राज्य में तथ्यों के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सामग्री इकट्ठा करने के लिए हर राज्य में एक-एक समिति बनाना ज्यादा सही होगा और हम इसलिए याचिकाकर्ताओं को उन उच्च न्यायालयों में जाने का निर्देश देना उचित समझते हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र में घटनाएं हुई हैं।
पीठ ने कहा- हमें भरोसा है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों का पक्ष सुनने के बाद अगर जरूरी हुआ तो सर्वोच्च अदालत या हाई कोर्ट के पूर्व जज की समिति गठित करते समय जांच के लिए कहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से यह गंभीर मुद्दा उठाए जाने के तथ्य का भी संज्ञान लिया कि छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करते समय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अनदेखी की गई है। हालांकि साथ ही पीठ ने सॉलिसीटर जनरल द्वारा इस तथ्य से इनकार किए जाने के कथन को भी रिकार्ड पर लिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा- हमें भरोसा है कि हाई कोर्ट इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद तथ्यों का पता लगाने के लिए उचित समिति बनाने के बारे में सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगा।