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वायरस का वैरिएंट भारतीय न बताए

ByNI Desk,
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वायरस का वैरिएंट भारतीय न बताए
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के वैरिएंट बी.1.617 को भारतीय वैरिएंट बताए जाने पर भारत सरकार ने आपत्ति की है। मीडिया एक हिस्से में खबरों में बताया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लुएचओ ने इसे भारतीय वैरिएंट कहा है। इसे लेकर बुधवार को भारत सरकार की ओर से कहा गया कि डब्लुएचओ ने अपनी रिपोर्ट में इस वायरस को भारतीय नहीं कहा है। भारत सरकार का कहना है कि वायरस को हमेशा उसके वैज्ञानिक नाम से ही जाना जाता है। अगर किसी देश का नाम उससे जुड़ेगा तो बहुत खतरा हो सकता है। खबरों के मुताबिक पिछले दिनों डब्लुएचओ ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 वैरिएंट 44 देशों में पाया गया है और यह वैरिएंट चिंताजनक है। डब्लुएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान बयान में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप वाला बताया। चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं, जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। डब्लुएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है। उसने कहा- प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलैनिविमैब की प्रभाव-क्षमता घट जाती है। कोविड-19 का बी.1.617 वैरिएंट सबसे पहले भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया। भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और मौतों ने इस वैरिएंट की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोरोना के इस वैरिएंट को भारतीय बताने पर सरकार ने आपत्ति जताई है। सरकार की तरफ से बुधवार को कहा गया है कि बी.1.617 वैरिएंट को दुनिया के लिए चिंताजनक बताने वाले डब्लुएचओ के बयान को कई मीडिया रिपोर्ट्स में कवर किया गया। इनमें से कुछ खबरों में इस वैरिएंट को भारतीय कहा गया, लेकिन ये बात बेबुनियाद हैं। सरकार का दावा है कि डब्लुएचओ ने अपने 32 पेज के दस्तावेज में बी.1.617 वैरिएंट के साथ कहीं भी इंडियन नहीं जोड़ा है।  
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