ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम
स्वर्णिम इतिहास
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1928 एम्सटर्डम | गोल्ड मैडल
1932 लास एंजलिस | गोल्ड
1936 का ओलंपिक ध्यानचंद के नेतृत्व में हॉकी का स्वर्णिम ओलंपिक था। फाइनल में बुरी तरह घायल हुए ध्यानचंद ने जर्मनी को 8—1 से हराया था। पहला गोल रूपसिंह ने किया। दूसरे हाफ में भारत ने गोलों की झड़ी लगा दी थी।
आजाद भारत का पहला ओलंपिक सफर भी सोने के तमगे के साथ शुरू हुआ। यहां कप्तान थे किशनलाल। हॉकी के शानदार खेल ने भारत को खेल जगत में प्रतिष्ठा दी।
कुंवर दिग्विजयसिंह उर्फ केडी बाबू के नेतृत्व में भारत ने हॉकी में लगातार पांचवां ओलंपिक गोल्ड हेलसिंकी में जीता। फाइनल में बलबीरसिंह sr के पांच गोल का रिकार्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है।
भारत का लगातार छठा गोल्ड आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुए ओलंपिक में आया। यहां बलबीरसिंह सीनियर टीम के कप्तान थे।
भारत का ओलंपिक का स्वर्णिम सफर यहां थमा और उसे फाइनल में पाकिस्तान से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। कप्तान थे लेस्ली क्लाउडियस।
टोक्यो में भारत ने एक बार फिर से अपना खोया गौरव पाया और 1964 के ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान को हराते हुए गोल्ड जीता। कप्तान थे चरणजीतसिंह।
1968 के मैक्सिको ओलंपिक में भारत सेमीफाइनल में ही हार गया। टीम के दो कप्तान थे गुरुबक्शसिंह और पृथ्वीपालसिंह। यही वजह रही कि देश को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। यहां से भारतीय हॉकी कभी अपना मुकाम वापस नहीं पा सकी।
कप्तान हरमीक सिंह थे। भारतीय टीम कांस्य पदक ही जीत सकी।
48 साल में पहली बार इस ओलंपिक में ऐसा हुआ कि भारत हॉकी में कोई पदक नहीं जीता। कप्तान थे अजीतपालसिंह। भारत सातवें स्थान पर रहा।
हॉकी अब टर्फ पर खेली जा रही थी। रूस विवाद के चलते आधे से अधिक देशों ने शिरकत नहीं की। लिहाजा कमजोर टीमों के सामने खेले भारत ने हॉकी का आखिरी गोल्ड जीता। कप्तान थे वासुदेव भास्करन।
जफर इकबाल के नेतृत्व में गई भारतीय टीम क्वार्टरफाइनल में हार गई और पांचवें स्थान पर रही।
सियोल ओलंपिक्स में एम.एम. सौमय्या की कप्तानी में गई भारतीय फील्ड हॉकी टीम छठे स्थान पर रही।
बार्सिलोना ओलंपिक में कप्तान परगट सिंह थे, लेकिन टीम सातवें स्थान पर रही।
लगातार दूसरी बार ओलंपिक में कप्तानी परगटसिंह ने की, लेकिन टीम एक और स्थान नीचे यानि आठवें नम्बर पर आ गई।
सिडनी ओलंपिक में भारतीय टीम सातवें स्थान पर रही। कप्तान थे रमनदीपसिंह।
एथेंस ओलंपिक में हॉकी टीम के कप्तान उड़ीसा के खिलाड़ी दिलीप तिर्की थे। भारत ने अपना सातवां स्थान कायम रखा।
2008 के लंदन ओलंपिक में भारत का सबसे घटिया प्रदर्शन रहा और वह 12वें स्थान पर रहा। यहां कप्तान थे गोलकीपर भरत छेत्री।
चीन ओलंपिक से पहले ही भारतीय टीम का प्रदर्शन इतना घटिया रहा कि उसका चयन ही ओलंपिक के लिए नहीं हुआ।
रियो में हुए ओलंपिक में कप्तान भारत के गोलकीपर पीआर श्रीजेश थे, लेकिन भारत आठवें स्थान पर रहा।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीतकर भारतीय हॉकी को अपने इतिहास को पुनर्जीवित करने का मौका दिया है। यहां कप्तान मनप्रीतसिंह हैं।