धोनी नहीं होते तो भारत को नहीं मिलते रोहित-विराट, जानिए असली सच

धोनी ने टीम की कप्तानी संभाली तो उनके पास कई चुनौतियां थी. जैसे की युवाओं को मौका देना और भविष्य के लिए टीम का निर्माण करना. धोनी ने सभी चुनौतियों का सामना करते हुए भारतीय टीम को कई ऐतिहासिक पल दिए.

धोनी की कप्तानी में भारत आईसीसी वर्ल्ड टी-20 (2007), क्रिकेट वर्ल्ड कप (2011) और आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी (2013) का खिताब जीत चुका है. इसके अलावा भारत 2009 में पहली बार टेस्ट में नंबर एक बना था.

कोहली ने धोनी की कप्तानी में अपने करियर की शुरुआत की थी. विराट कोहली को वनडे में नंबर तीन पर लाने का मौका धोनी ने ही दिया था. धोनी ने कोहली के अछे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें टेस्ट में भी मौका दिया.

साल 2011-12 में विराट कोहली ऑस्ट्रेलियाई दौरे में सफल नहीं हो पाए, लेकिन धोनी ने उन्हें लगातार मौका दिया. फिर कोहली ने अर्धशतक भी लगाया. कोहली ने एडिलेट में शतक लगाकर आलोचकों को करारा जवाब दिया था.

2012 में पर्थ में सेलेक्टर्स कोहली की जगह रोहित को मौका देना चाहते थे, लेकिन धोनी ने अपनी अंतिम 11 में विराट कोहली को शामिल किया.

धोनी ने रोहित शर्मा को लगातार खराब फॉर्म के बावजूद भी मौका दिया. इससे उनका पूरा करियर बदल गया. रोहित को वनडे में सलामी बल्लेबाज बनाने में धोनी का सबसे बड़ा योगदान रहा है. 

साल 2013 में जब से धोनी ने उन्हें सलामी बल्लेबाजी करने का मौका दिया, तब से ही रोहित शर्मा का अलग रूप देखने को मिला है. रोहित शर्मा को हिटमैन बनाने में माही का बहुत बड़ा हाथ है.

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