Virendra Sehwag
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वीरेंद्र सहवाग अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। उनमें इतनी काबिलियत थी की पारी की पहली गेंद पर भी बाउंड्री मार देते थे।
सहवाग भारतीय टीम के वह पिल्लर थे, जो पहाड़ जैसे रनो के स्कोर को भी अपनी विस्फोटक पारी के दम पर छोटा कर देते थे।
सहवाग 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक बनाने के बाद से भारतीय टेस्ट टीम का एक अभिन्न हिस्सा बने थे।
इसके बाद सहवाग की फॉर्म में गिरावट दर्ज की गई थी। और उन्हें छोटे फॉर्मेट और बड़े फॉर्मेट दोनों टीमों से बाहर कर दिया गया।
2007 में जब सहवाग ने अपना 52वां टेस्ट खेला था, तो उन्हें एक साल के लिए टेस्ट से बाहर कर सिमित ओवरों के फॉर्मेट में मौका दिया गया था।
सहवाग के मुताबिक यह एक साल उनके करियर में बर्बाद हो गया। वह 10,000 रन बना सकते थे लेकिन 8,500 रन ही बना पाए।
सहवाग ने इस लंबे और बोरिंग फॉर्मेट के 104 मैचों में 23 शतको और 32 अर्धशतको की मदद से 8586 रन बनाए हैं।
2010 में सहवाग ICC टेस्ट बल्लेबाज रैंकिंग में शीर्ष पर थे। 2007 के बाद जब उन्होंने वापसी की तब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तिहरा शतक बनाया।
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