एयरोस्पेस मेडिसिन को लेकर देश व दुनिया के 300 से अधिक वैज्ञानिक, विशेषज्ञ व डेलीगेट भारत में एक मंच पर आएंगे। ये वैज्ञानिक भारतीय विमानन चिकित्सा सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे। भारतीय वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे।
यहां दुनिया भर के विख्यात वैज्ञानिक एयरोस्पेस मेडिसिन से संबंधित रिसर्च पेपर प्रस्तुत करेंगे। इन वैज्ञानिकों में डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं, इसरो व अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक एवं रिसर्चर शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन, बेंगलुरु में भारतीय विमानन चिकित्सा सोसायटी के 64वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन 20–21 नवंबर 2025 को किया जाएगा।
सम्मेलन का उद्घाटन वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह द्वारा 20 नवंबर को किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान 100 से अधिक वैज्ञानिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इन शोध-पत्रों में एयरोस्पेस मेडिसिन से जुड़े नवीनतम अनुसंधान, तकनीकी प्रगति और नीतिगत चुनौतियों पर व्यापक चर्चा की जाएगी।
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यह मंच प्रतिभागियों को वैज्ञानिक संवाद, प्रस्तुतिकरण और नेटवर्किंग का समृद्ध अवसर प्रदान करेगा। यह एक ऐसा अवसर होगा जो देश में इस क्षेत्र के भविष्यगत शोध और नीतियों के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा। इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय “एयरोस्पेस मेडिसिन में नवाचार: अनंत संभावनाएँ” है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह उड़ान सुरक्षा एवं वायुसैनिकों के सर्वोच्च प्रदर्शन हेतु आधुनिक एयरोस्पेस चिकित्सा के उभरते दृष्टिकोणों पर केंद्रित है। सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं की बात करें तो यहां एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी स्मृति व्याख्यान होना। इस कार्यक्रम को प्रसिद्ध इतिहासकार अंचित गुप्ता प्रस्तुत करेंगे। एयर वाइस मार्शल एम. एम. श्रीनागेश स्मृति व्याख्यान एयर वाइस मार्शल दीपक गौर (सेवानिवृत्त) द्वारा दिया जाएगा।
इसके अलावा, जेमी हॉरमूजजी फ्रैमजी मानेकशॉ पैनल भी महत्वपूर्ण चर्चा करेगा। इसमें अवैस अहमद, सीईओ एवं संस्थापक, पिक्सेल एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज, कैप्टन ध्रुव रेब्बाप्रगड़ा, चीफ फ्लाइट सेफ्टी ऑफिसर, इंडिगो एयरलाइंस द्वारा विशेष व्याख्यान शामिल होंगे। 1952 में स्थापित भारतीय विमानन चिकित्सा सोसायटी देश में एयरोस्पेस मेडिसिन के ज्ञान और उसके व्यावहारिक उपयोग को समर्पित एकमात्र पंजीकृत संस्था है।
यह सैन्य एवं नागरिक विमानन चिकित्सा के साथ-साथ भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के मानव-तत्व संबंधी पहलुओं पर भी कार्य करती है। वर्ष 1954 से यह संस्थान लगातार अपना वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश-विदेश से लगभग 300 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। प्रतिभागियों में डीआरडीओ, इसरो व संस्थानों के वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल होंगे।
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