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करार में एकतरफा रियायतें?

व्यापार

ट्रंप प्रशासन नियम आधारित व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ा रहा है। वह डब्लूटीओ के नियमों को ताक पर रख कर तमाम देशों से अधिकतम वसूली की नीति पर चल रहा है। इसका बिना प्रतिरोध किए उसे एकतरफा रियायतें देना समस्याएं खड़ी करेगा।

भारत- अमेरिका के बीच चार दिन की व्यापार वार्ता के बाद संकेत है कि शायद एक साथ एकमुश्त द्विपक्षीय करार नहीं होगा। बल्कि यह तीन चरणों में होगा। पहला चरण जून के आखिर तक पूरा करने का लक्ष्य है, ताकि ट्रंप प्रशासन के जैसे को तैसा शुल्क में मिली छूट की 90 की अवधि खत्म होने पर भारत उस मार से बच जाए।

डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में भारतीय आयात पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया था। मगर नौ अप्रैल को उन्होंने 90 दिन की छूट की घोषणा की (हालांकि इस दौरान सभी देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ जारी रखा गया है), ताकि बीच की अवधि में व्यापार करार हो सके।

भारत अमेरिका व्यापार वार्ता के चरण

ट्रंप प्रशासन साफ कर चुका है कि विभिन्न देशों से द्विपक्षीय समझौतों में सिर्फ टैरिफ शामिल नहीं होंगे। बल्कि गैर- टैरिफ मुद्दों को भी लगे हाथ निपटाया जाएगा। संभवतः इसीलिए भारत से तीन चरणों में समझौते की बात हुई है। पहला चरण आयात शुल्क से संबंधित होगा।

खबर है कि दोनों देश एक दूसरे के यहां से आयातित लगभग 90 फीसदी वस्तुओं को शुल्क मुक्त करने पर राजी हो गए हैँ। बाकी दो चरणों में बाजार में पहुंच, सब्सिडी और सरकारी खरीद, बौद्धिक संपदा, डेटा संरक्षण, ई-कॉमर्स आदि से संबंधित मुद्दों पर सहमति बनाई जाएगी। खबरों के मुताबिक दूसरा चरण सितंबर तक और तीसरा दिसंबर तक पूरा किया जाएगा।

तीन चरणों से जुड़ा प्रमुख मुद्दा यह है कि क्या भारत इनमें अपनी जनता के विभिन्न वर्गों के हितों की रक्षा कर पाएगा? अपने यहां लागू चाहे टैरिफ हो या सब्सिडी या अन्य संरक्षण- भारत अपनी विकासशील हैसियत के कारण विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत इन्हें अमल में रख पाया है।

ट्रंप के दौर में अमेरिका नियम आधारित व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ा रहा है। इसी क्रम में डब्लूटीओ के नियमों को ताक पर रख कर तमाम देशों से अधिकतम वसूली करने की नीति पर वह चल रहा है। उसके इन प्रयासों का बिना प्रतिरोध किए अमेरिका को एकतरफा रियायतें देना समस्याग्रस्त होगा। आशा है, भारत सरकार समझौते को अंतिम रूप देते समय इस बुनियादी तथ्य को ध्यान में रखेगी।

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Pic Credit: ANI

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