करार में संभल के
ट्रंप के लिए गोल-पोस्ट बदल लेना आम बात है। रूस से तेल खरीदारी रुकवाने तक वे सीमित रहेंगे, यह सोचना भूल है। ब्रिक्स+ से अलगाव और भारतीय पूंजी का अमेरिका में निवेश करवाना उनकी अगली प्राथमिकताएं हो सकती हैं। भारत सरकार जिसे पहले देश की ऊर्जा जरूरतों के मुताबिक अपना संप्रभु निर्णय कहती थी, उस मामले में झुकने का संकेत देकर उसने सारी दुनिया में बहुत गलत संदेश भेजा है। ताजा घटनाओं से अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दावा सच होता दिखा है कि इस वर्ष के अंत तक रूस से कच्चे तेल की खरीदारी रोक देने का गुपचुप आश्वासन उन्हें...