अपन तो कहेंगे
राष्ट्रपति पुतिन न हताश होंगे और न हार मान सकते हैं। दुनिया और खास कर पश्चिमी दुनिया यूक्रेन का ध्वंस देख बूझ रही है कि रावण अब समझेगा।
इस नाते नोट रखें 24 मार्च 2022 के इतिहास दिन को। ठीक एक महीने पहले किसने सोचा था कि तानाशाह व्लादिमीर पुतिन अपनी राक्षसी ताकत से यूक्रेनियों के घुटने नहीं टिका देंगे?
हिंदुओं को श्रीनगर में लौटने के लिए उनके घर लौटाएं, उनकी अलग कॉलोनियां बनवाएं। वे दुनिया को बताएं कि उनकी कथित जन्नत में इस्लाम के सच्चे बंदे रहते हैं न कि जाहिल, काहिल और जंगली!
हर हिंदू जरूर फिल्म देखे और सोचे कि कश्मीर घाटी का सत्य हमारे अपने इलहामी जीवन, झूठ में जीने, कायर-भयाकुल-भगोड़े, अल्प-नादान बुद्धि का प्रमाण है या नहीं?
हिंदू जहां फिल्म के पहले सीन से आखिरी सीन तक सन्न दिमाग में देखता हुआ तो उधर मुसलमान शायद गुस्से या शर्म में बिलबिलाता और व्यथित।
इसे कल्पना न मानें। नोट रखें नरेंद्र मोदी हैं तो सब मुमकिन है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भले ऐसी कल्पना नहीं करें पर मोदी सरकार के लिए चुटकियों का काम है।
मोटा मोटी कांग्रेसी हताश हैं, निराश हैं और अधिकांश राहुल गांधी को नासमझ, निकम्मा, नालायक मान सोच रहे होंगे कि उन्हें कब अक्ल आएगी? कब सोनिया गांधी समझेंगी?
महाबली रूस हार रहा है। वह यूक्रेन में हारेगा। बीस दिनों में पोल खुल गई है। वह कितना ही विनाश करे, यूक्रेन पर उसका कब्जा नहीं होगा।
शर्मनाक है हिंदुओं की दशा और खौफनाक है दिशा! अपने ही देश में अपने हाथों कई कश्मीर व खालिस्तान की जमीन बनवाते हुए।
जो लोग योगी आदित्यनाथ और अरविंद केजरीवाल की आंधी से फूले नहीं समा रहे हैं वे नोट रखें कि इन नतीजों से अहंकार की राजनीति को नए पंख लगे हैं।
यों अब भारत में झूठ व सत्य का फर्क खत्म है। भारत में सत्य और झूठ अब ‘इलहाम’ में तय होता है।
सवाल है मार्च 2014 से मार्च 2022 की विश्व राजनीति का क्या निचोड़? पहला यह कि महाशक्ति रूस लगभग पूरी तरह अब अछूत है।
सन् 2022 की चौबीस फरवरी को दुनिया कभी नहीं भूलेगी। बदल गई उस दिन दुनिया। योरोप बदला। अमेरिका बदला।
परमाणु हथियारों की धमकी, यूक्रेन की तरफ एटमी मिसाईलों के मुडे होने की स्थिति में राष्ट्रपति झेलेंस्की के साहस और उनका अभिनंदन करते हुए योरोपीय संघ का जोखिम उठाना मामूली बात नहीं है।
आज भारतीयों के साथ बदसूलकी के वीडियों थे। भला क्यों? इसलिए क्योंकि यूक्रेन-पौलेंड आदि ने सुरक्षा परिषद् में भारत को पुतिन की निंदा करने नहीं पाया।