बेचारे, ‘राष्ट्रपिता’ मोहन भागवत!
मुझे खबर सुन हंसी आई। दुख हुआ और पुरानी यादें ताजा हुई! हंसी इसलिए कि मुसलमान के मुंह से मोहन भागवत को राष्ट्रपिता और राजऋषि जैसे जुमले मिले। जो किसी हिंदू ने कभी नहीं कहा वह एक इमाम ने कहां। दुख इसलिए कि मोहन भागवत और संघ के टॉप पदाधिकारियों को मजार और मसजिद पर मत्था टेकना ही था तो कोई दूसरी मसजिद नहीं हो सकती थी? उन्हे मौलाना इलियासी की अवैध मसजिद ही मिली। तभी आरएसएस और उसके प्रमुख का ऐसी जगह, ऐसे इमाम के यहां जाना कट्टर मुसलमानों की छाती को कितना व कैसा चौड़ा कर गया होगा?...