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  • बेचारे, ‘राष्ट्रपिता’ मोहन भागवत!

    मुझे खबर सुन हंसी आई। दुख हुआ और पुरानी यादें ताजा हुई! हंसी इसलिए कि मुसलमान के मुंह से मोहन भागवत को राष्ट्रपिता और राजऋषि जैसे जुमले मिले। जो किसी हिंदू ने कभी नहीं कहा वह एक इमाम ने कहां। दुख इसलिए कि मोहन भागवत और संघ के टॉप पदाधिकारियों को मजार और मसजिद पर मत्था टेकना ही था तो कोई दूसरी मसजिद नहीं हो सकती थी? उन्हे मौलाना इलियासी की अवैध मसजिद ही मिली। तभी आरएसएस और उसके प्रमुख का ऐसी जगह, ऐसे इमाम के यहां जाना कट्टर मुसलमानों की छाती को कितना व कैसा चौड़ा कर गया होगा?...

  • तलवारों को मिल रही है धार!

    मैं जो भारत भविष्य बताता आ रहा हूं उस तरफ कुछ और कदम! मतलब वक्त और घटनाओं की एक के बाद एक अनहोनी। भले मोदी-शाह-संघ परिवार के बस में हेडलाइंस हों मगर घटनाएं नहीं। किसे कल्पना थी पैगंबर मोहम्मद की आन-बान-शान पर पैदा हुए जलजले की? इससे भी गंभीर बात जो दोनों तरफ बनता यह मनोभाव कि जो बाद में होना है वह अब हो तो हो। इसलिए पानीपत की लड़ाई के जुमले का रियल गृह युद्ध में बदलने की टाइमलाइन आगे खिसकी है। मैं सन् 2029 के बाद डायरेक्ट एक्शन जैसे हालात बनते मान रहा था। लगता है घटनाएं...

  • परशुराम वंशज क्यों योगी-मोदी की पालकी उठाएं?

    यूपी में दीये और तूफान की लड़ाई-9: क्या इसलिए कि हिंदू धर्म योगी-मोदी से बचा है या बचेगा? हां, यूपी में कई ब्राह्मणों से (मेरे अपने रिश्तेदारों से भी) मैं सुनता हूं कि मोदी-योगी हैं तो हिंदू बचेंगे। सोचें, वे ब्राह्मण, जिनसे और जिनके शंकराचार्यों ने विधर्मी गुलामी के वक्त हिंदू धर्म को बचाया, जो अंग्रेजों के समय आजादी की लड़ाई में अग्रणी रहे, जो समाज सुधारक हुए वे परशुराम वंशज अब योगी-मोदी की पालकी उठा कर धर्म रक्षा का झूठ पाले हुए हैं। यह क्या ब्राह्मणों की अधोगति का प्रमाण नहीं? यूपी के ब्राह्मणों को तनिक भी याद नहीं...

  • नेहरू को धोखा या शेख को?

    Truth of kashmir valley कश्मीर घाटी का सत्य-9: कश्मीर अनुभव धोखे और विश्वासघात से तरबतर है। न केवल नेताओं, एजेंसियों, अफसरों ने देश, धर्म और कौम को गुमराह किया व लूटा, बल्कि धोखे में दोस्ती भी कुरबान! हां, पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला की दोस्ती में विश्वासघात वह वाकया है, जिससे अंततः कश्मीरियत, इंसानियत, धर्मनिरपेक्षता भी कुरबान हुई। सोचें, क्या गांधी और नेहरू के लिबरल, उदारमना व सेकुलर होने पर शक-सवाल है? इन दोनों नेताओं ने लगभग 25 साल शेख अब्दुल्ला पर अंधविश्वास रखा। वह भरोसा घाटी में कश्मीरियत, इंसानियत होने की आस्था में था। कश्मीरी हिंदू पंडित और धर्मांतरित...

  • दैवीय घटनाः करम जो फूटे हमारे!

    भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ब्रह्य-ज्ञान हुआ। उन्होंने भारत का और खास कर हिंदुओं का सत्य बोला। बताया वायरस दैवीय घटना है व इस कारक से हम लाचार हैं। लेकिन भारत की लाचारगी क्या स्थायी नहीं है? हम हिंदू दैवीय श्राप के ही तो मारे हैं! क्या वायरस से पहले के पांच सालों में भारत लाचार नहीं था? क्या आर्थिकी में हम उड़ते हुए थे? क्या बेरोजगारी नहीं थी? क्या राजकाज बिगड़ा हुआ नहीं था? लोकतंत्र, समाज, व्यवस्था सबमें क्या भट्ठा बैठा हुआ नहीं था? निःसंदेह असंख्य हिंदू और मैं खुद भी मानता हूं कि अनुच्छेद 370 हटना,...

  • इंसान को खंगाल दे रहा वर्ष 2020-21!

    क्षण का उबाल-1:  मानव इतिहास में सन् 2020-21 भुलाए नहीं भूलेगा। मानव सभ्यता के सफर में, इतिहास का यों अभी विकास शिखर है। बावजूद इसके वर्ष 2020 के लम्हों की भावनाओं, संकटों, अनुभवों और देव-असुर प्रकृति के चेहरों के समुद्र मंथन में इंसान भयावह खदबदाया हुआ है। चौतरफा लावा है, चिंता है और बहस है। विकास का शिखर है फिर भी बेबसी है, लाचारी है और समझ नहीं आ रहा है कि जीयें तो कैसे जीयें? मौत भी इंसान जैसी नहीं! सवाल ही सवाल। पृथ्वी का सवाल है तो इंसान के जीवन जीने का मसला है। पृथ्वी को बचाना है...

  • अगला ‘इंडिया’ और आंसू

    ‘नया इंडिया’ अंतिम सांसें ले रहा है। उसके फेफड़े वायरस के शिकार हैं। वायरस भी कई प्रकार का! वह आजादी से जीने देने का दुश्मन है। जन, गण, मन का हत्यारा है। जिसे चाहेगा बीमार करेगा और मारेगा। उसने कौम की, देश की, लोकतंत्र की, आर्थिकी, समाज सबकी प्रतिरोध, प्रतिकार, विरोध की शक्ति छीन ली है। यह वायरस नहीं यमराज है। वह मुंह, वाणी, छींक, हवा से घुसेगा और किसी को भान नहीं होगा कि वह कैसे इंसान को, नस्ल, कौम, देश को मूर्ख बना कर उससे ऑक्सीजन छीन ले रहा है। वह मृत्युशैय्या पर लेटा देगा देश को! वह...

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