सर्वजन पेंशन योजना
  • अभी भी सांस ले सकती है जी नहीं सकती!

    ईरान में लड़कियों को पढ़ाई-लिखाई से वंचित करने के लिए उन्हें जहर सुंघाया जा रहा है। अफगानिस्तान में महिला होना जुर्म है।... दुनिया के एक दूसरे हिस्से में बोको हराम यह तय करता है कि लड़कियों के लिए क्या हराम है।... हमारे देश की राष्ट्रपति और वित्तमंत्री महिलाएं हैं। इसके बावजूद 53 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि वे अपने घर के बाहर कदम नहीं रखतीं।...भारत में हमारी लड़ाई समान अधिकारों के लिए थी। हम चाहते थे कि हमें वही सम्मान मिले जो पुरूषों को मिलता है, वही अधिकार मिलें जो पुरुषों को हासिल हैं। और यह लड़ाई आज भी...

  • इतिहास था सुनहरा और वर्तमान व भविष्य है काला

    ईरान में आज महिलाएं आजादी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी हुई है। इसका दुनिया में जबरदस्त हल्ला है, कवरेज है। बताया जाता है कि आयतुल्ला अली खामैनी की सेहत भी बिगडी हुई हैं। इस्लामी सरकार और उसके संरक्षक मौलाना और इमाम लोग पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों से महिलाओं को कुचलने की तमाम तरह के तरीके, आदेश व धमकियां देते हुए है। मगर नाराज महिलाओं की संख्या बढ रही  है। कई जगह महिलाओं द्वारा मसजिद में मुल्लाओं को पीटने की खबर है।... तब क्या बदलेगा ईरान?.... विरोध  के कुछ और दिनों के बाद आंदोलनकारी महिलाए डर जाएगी।  लड़कियां बाहर...

  • विश्वामित्र: राजर्षि से ब्रह्मर्षि वाले एकमात्र ऋषि

    पुरुषार्थ, सच्ची लगन, उद्यम और तप की गरिमा के प्रतिमान महर्षि विश्वामित्र ने अपने पुरुषार्थ से, अपनी तपस्या के बल से क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्व पद अर्थात राजर्षि से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त करने के कारण ही वे देवताओं और ऋषियों के लिए पूज्य बन गए और सप्तर्षियों में अन्यतम स्थान प्राप्त कर सबके लिये वे वन्दनीय भी बन गये। इन्हें अपनी समाधिजा प्रज्ञा से अनेक मन्त्रस्वरूपों का दर्शन हुआ। यही कारण है कि वे मन्त्रद्रष्टा ऋषि कहलाते हैं। pitru paksha 2021 shraaddh श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों को नमन-2  संदेह नहीं कि पुरातन भारतीय वाङ्मय के पूर्ण पुरुष, तपस्वी, साधक, रागी, विरागी...

  • दिनकर : मानवता के गौरव–गायक

    मूलतः दिनकर मानवता के कवि हैं। मानवता से तात्पर्य है कि मानव संपूर्ण प्राणियों मे विवेकशील, बौद्धिक चेतना संपन्न और श्रेष्ठ्ता के शीर्ष पर है। अतः उसका उसका नैतिक धर्म है कि वह धरती के अन्य सभी प्राणियों के प्रति त्याग, दया, ममता, सहिष्णुता, क्षमा एवं उदारता आदि उदात्त गुणों का परिचय दे। Ramdhari singh dinkar jayanti दिनकर भारतीय संस्कृति के गौरव-गायक हैं। दिनकर ने अपने समय के चुनौतियों से मुठभेड़ करते हुए मानवता का पथ आलोकित किया है। वे अतीत के गायक ही नहीं, बल्कि वर्तमान के दृष्टा कवि हैं। उन्होंने मानवता के गीत गाए हैं, जो उन्हें कालजयी...

  • श्रीकृष्ण का कोमल, रसिक चित्रण क्यों अधिक?

    Radha krishna janmashtami 2021 संपूर्ण जीवन ''परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्'' का पर्याय रहा। वे बल-पौरुष-साहस के अधिष्ठाता रहे। उन्होंने केवल शब्दों से ही नहीं, अपितु अपने चरित्र और आचरण से क्लीवता एवं कायरता के स्थान पर पौरुष और पराक्रम का संदेश दिया। युद्ध से पलायन को उद्धत-अभिमुख अर्जुन को श्रीकृष्ण के संदेशों से ही 'धर्म संस्थापनाय' लड़ने की प्रेरणा मिली। लेकिन... सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रेम आदि शाश्वत भाव हैं और किसी भी सभ्य समाज में इन मूल्यों को पालित-पोषित करने की परंपरा और प्रवृत्तियाँ दिखाई देती हैं। भारत ने तो इन मूल्यों को सदैव ही सर्वोपरि माना। यहाँ की...

  • एक तरफ बाढ़ तो दूसरी ओर सूखा!

    flood and drought situation कभी चेन्नई में 200 फुट नीचे पानी मिल जाता था वहीं आज भूजल 2000 फुट पर भी नहीं है। यह एक गम्भीर व भयावह स्थिति है। ये चेतावनी है भारत के बाकी शहरों के लिए कि अगर समय से नहीं जागे तो आने वाले समय में ऐसी दुर्दशा और शहरों की भी हो सकता है। चेन्नई में प्रशासन देर से जागा और अब वहाँ बोरिंग को पूरी तरह प्रतिबंध कर दिया गया है। लेखक: विनीत नारायण आज देश में जल संकट इतना भयावह हो चुका है कि एक ओर तो देश के अनेक शहरों में सूखा...

  • बरसो राम धड़ाके से

    accidents on the mountains आज भारत का हर पहाड़ी पर्यटन केंद्र बेतरतीब, अनियोजित, भौड़े और अवैध शहरीकरण का भद्दा नमूना प्रस्तुत कर रहा है। इस कदर निर्माण हुआ है कि इन शहरों का प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो गया है। .... स्विट्जरलैंड की सरकार हो या योरोप के पर्यटन केंद्रों की सरकारें, सभी अपने प्राकृतिक और सांस्कृतिक वैभव को बिगड़ने नहीं देती। पर्यटन वहां भी खूब बढ़ रहा है, पर नियोजित तरीके से उसको संभाला जाता है और धरोहरों और प्रकृति से छेड़छाड़ की अनुमति किसी को नहीं है। हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? लेखक: विनीत नारायण हिमाचल की सांगला...

  • नामवर जी को किस रूप में याद किया

    Hindi literature namvar singh आलोचना की दुनिया में उनकी पुस्तक "छायावाद" ने उन्हें स्थापित किया जो उन्होंने महज 29 साल की उम्र में लिखी थी। आज हिंदी का कोई भी छात्र इतनी कम उम्र में ऐसी किताब नहीं लिख सकता और किसी ने आज तक लिखा भी नहीं। यह नामवर जी की विलक्षण प्रतिभा का कमाल था। उन्होंने छायावाद के बारे में रामचंद्र शुक्ल और नंद दुलारे बाजपेई की स्थापनाओं से एक अलग स्थापना विकसित की और उसे राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ कर देखा। उनकी इस स्थापना से उन्हें साहित्य में मान्यता मिली लेकिन इससे पहले उनकी पुस्तक "बकलम खुद"...

  • भरे नहीं है बंटवारे के जख्म

    Partition of India Pakistan पंजाब और दोनों सीमाओं के आर-पार के लोगों ने बंटवारे के वक्त जो झेला है वो इतना भयावह था कि तब की पीढ़ी के जो लोग अभी भी ज़िंदा हैं वो आज तक उस मंजर को याद कर नींद में घबरा कर जाग जाते हैं और फूट-फूट कर रोने लगते हैं।... इनका दुःख दूर करने का काम किया है दोनो देशों के टीवी मीडिया के कुछ उत्साही नौजवानों ने। इनमें ख़ासतौर पर हिंदुस्तान से 47नामा, केशु मुलतानी की केशु फ़िल्मस, धरती देश पंजाब दियाँ और पाकिस्तान से संताली दी लहर, पंजाबी लहर, एक पिंड पंजाब दा,...

  • तालिबान का यह कौन सा इस्लाम?

    islam of taliban : इस्लाम में न मर्दों के लिए दाढ़ी रखना ज़रूरी है और न हीं महिलाओं पर किसी तरह की पाबंदी है। न बाहर आने जाने पर और न ही पढ़ाई करने पर। फिर सवाल पैदा होता है कि ऐसी पबंदिया लगा कर तालिबान अफ़गानिस्तान में इस्लाम के नाम पर कैसी हुकुमत क़ायम करना चाहता है? सच तो यह है कि उसकी पिछली हुकुमत और नए मंसूबों का इस्लामे के बुनियादी उसूलों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं दिखता। लेखक: यूसुफ़ अंसारी अफ़ग़ानिस्तान में अभी भी चुनी हुई सरकार है। सत्ता तालिबान के हाथों नहीं आई है, पर...

  • कांग्रेस मुक्त भारत की बात फालतू

    भारत के हर राजनैतिक दल को यह समझ लेना चाहिए कि लोकतांत्रिक मूल्यों से खिलवाड़ करना, हमेशा ही राष्ट्र और समाज के हित के विपरीत होता है। वैसे इतिहास गवाह है कि कोई भी अधिनायक कितना ही ताकतवर क्यों न रहा हो, जब उसके अर्जित पुण्यों की समाप्ति होती है, तो उसका अंत बहुत हिंसक और वीभत्स होता है। इसलिए हर नेता, दल व नागरिक को पूरी ईमानदारी से भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए, कमजोर करने का नहीं। लेखक: विनीत नारायण  congress free india सन् 2014 के बाद से भाजपा नेतृत्व का देश को कांग्रेस...

  • जिन्हें कोरोना ने कहीं का नहीं छोड़ा

    COVID crisis children risk | मां और पिता कोरोना से मर गए और दोनों बच्चे अपने चाचा और चाची के पास हैं। 14 जून की रात ओडिशा के कई स्थानीय टीवी चैनलों पर लोगों ने इस सात साल की बच्ची को झूला झुला कर अपने डेढ़ महीने के भाई को सुलाने की कोशिश करते देखा। दिहाड़ी पर काम करने वाले उसके चाचा देबाशीष के लिए अपने परिवार के अलावा दो अतिरिक्त बच्चों को पालना बहुत मुश्किल है। वह चाहता था कि जिला प्रशासन या सरकार उसकी मदद करे।... कोरोना ने देश के कितने घरों की जिंदगियों को इस तरह उलट-पलट...

  • लेफ्ट का वोट निगल कर भाजपा बनी विपक्ष

    पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताक़त झोंकी। इसके बावजूद वो ममता बनर्जी को सत्ता से इंच भर भी डिगा नहीं पाई। उखाड़ फेंकना तो बहुत दूर की बात है। हां, बीजेपी राज्य में मुख्य विपक्षी दल ज़रूर बन गई है। बीजेपी के मुख्य विपक्षी दल बन जाने के बाद ममता बनर्जी की चुनौतियां बेतहाशा बढ़ जांएगी। ममता से चोट खाई बीजेपी उन्हें अगले पांच साल आराम से सरकार नहीं चलाने देगी। ममता को परेशान करने लायक ताक़त बीजेपी ने चुनानों में मिले वोटों से बटोर ली है। ममता बनर्जी ने गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी...

  • देश के हाई कोर्ट्स को सलाम

    देश की उच्च न्यायपालिका में लोगों के कम होते भरोसे की मजबूत होती धारणा के बीच देश की उच्च अदालतों ने रोशनी की किरण दिखाई है। दिल्ली से लेकर मद्रास हाई कोर्ट और इलाहाबाद से लेकर गुजरात हाई कोर्ट तक ने कमाल किया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में जब देश की सर्वोच्च अदालत तक इस धारणा के साथ काम कर रही है कि सरकार के प्रशासकीय कामकाज में न्यायिक दखल नहीं होना चाहिए, ऐसे समय में हाई कोर्ट्स ने रास्ता दिखाया है। कम से कम चार हाई कोर्ट्स ने राज्य सरकारों को जिम्मेदार बनाने वाली टिप्पणियां की...

  • बहुत सही कहा अनमोल अंबानी ने!

    अब तक राजीव बजाज यह कहते रहे थे कि लॉकडाउन बिना सोचे-समझे किया गया एक गलत फैसला था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया। यही बात अब अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी ने कही है। राजीव बजाज का कहना समझ में आता है क्योंकि वे राहुल बजाज के बेटे हैं और जमनालाल बजाज के पोते हैं। उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था और सच कहने की विरासत उनके डीएनए में है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक बदनाम हुए, उनके ऊपर राफेल सौदे में...

  • संघीय व्यवस्था के लिए चुनौती

    केंद्र सरकार देश की संघीय व्यवस्था के लिए लगातार चुनौती खड़ी करती जा रही है। मुख्य विरोधी कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ टकराव की वजह से संघीय व्यवस्था के सुचारू संचालन के रास्ते में लगातार बाधा आ रही है। लगातार होते चुनाव को इसका एक कारण माना जा सकता है। हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है और हर चुनाव भाजपा की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लड़ते हैं। उस राज्य में अगर कांग्रेस या किसी क्षेत्रीय पार्टी की सरकार है तो पार्टी के साथ साथ सरकार से भी टकराव बना दिया जाता है।...

  • संस्थाओं की साख का सवाल

    चुनाव करा रही संस्थाओं की साख पर बड़ा सवाल उठा है। यह पहली बार है, जब इस तरह से संस्थाएं विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आई हैं। चुनाव आयोग के ऊपर तो खैर कुछ पहले से आरोप लगने लगे थे लेकिन अर्धसैनिक बलों पर पहली बार आरोप लगे हैं कि वे मतदान को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नाम की संस्था और गृह मंत्री नाम की संस्था भी पहली बार इस तरीके से निशाना बनी है। यह पहली बार हुआ है कि जब किसी चुने हुए सांसद ने प्रधानमंत्री को निशाना बना कर कहा कि ‘वे आवारों...

  • नौकरियों के वादे का अर्थशास्त्र क्या?

    लेखक: सत्येंद्र रंजन कांग्रेस ने असम में चुनाव जीतने पर पांच लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इस वादे का क्या असर होगा, यह चुनाव नतीजे के एलान के बाद ही पता चलेगा। लेकिन पांच महीने पहले बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के अनुभव पर गौर करें, तो वहां राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का ऐसा वादा काफी हद तक कारगर रहा था। तेजस्वी यादव का वादा था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनी, तो वे बतौर मुख्यमंत्री जिस पहले फैसले पर दस्तखत करेंगे, वह दस लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी देने का...

  • लॉकडाउन की बरसी पर कुछ सवाल

    भारत में जो भी होता है वह ‘दुनिया में सबसे बड़ा’ होता है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते रहे हैं। जैसे उन्होंने 16 जनवरी को दुनिया के ‘सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान’ की शुरुआत की  थी वैसे ही पिछले साल 24 फरवरी को रात आठ बजे ऐलान किया था कि घड़ी की सुई जब 12 बजने का इशारा करेगी और कैलेंडर में तारीख बदलेगी वैसे ही देश में दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन चालू हो जाएगा। उन्होंने देश के लोगों को इस लॉकडाउन के लिए तैयारी करने के वास्ते सिर्फ चार घंटे का समय दिया। जब उन्होंने काले धन के खिलाफ...

  • जो है वह सिर्फ दिखावा

    यह संभवतः पहली बार हो रहा है कि देश की सरकार वास्तविक अर्थों में काम करने की बजाय सिर्फ काम करने का दिखावा कर रही है। काम नहीं हो रहा है, उसका सिर्फ प्रचार हो रहा है। बुनियादी कामों में या लोगों के जीवन के लिए सबसे जरूरी कामों में भी सिर्फ दिखावा हो रहा है। एक तरह से कह सकते हैं कि आभासी काम हो रहा, जिसे सिर्फ प्रचार के जरिए ही जाना जा सकता है। असल में कुछ भी वैसा नहीं हो रहा है, जैसा कहा जा रहा है। इसे हाल की कई खबरों से या घटनाओं से...

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