सर्वजन पेंशन योजना
  • लाचित बोड़फुकनः उत्तरपूर्व भारत के शिवाजी

    उनकी याद कराने में असम के राज्यपाल श्रीनिवास कुमार सिन्हा का विशेष हाथ है। उन्होंने उनके सम्मान में विश्वविद्यालय में एक भाषण माला शुरु की थी। उन्होंने रक्षा मंत्रालय पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नेशनल डिंफेस अकादमी के सबसे अच्छे कैडर को सर्वश्रेष्ठ कैडर का अवार्ड उनके नाम पर देना शुरु कराया था। जनरल एस के सिन्हा सेना से रिटायर होने के बाद असम के राज्यपाल बनाए गए थे। उन्हें इंदिरा गांधी ने सेना प्रमुख नहीं बनने दिया था। हाल में अखबारों में लाचित बोड़फुकन की याद दिलाने वाले विज्ञापन देखे तो ध्यान आया कि असम में अगले...

  • पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख पर रहेगी नजर

    जब से पत्रकारिता शुरू की तब से ही पाकिस्तान के बारे में पढ़ते आए थे कि पाकिस्तान को तीन ‘ए’ चलाते हैं। यह है अल्लाह (खुदा), आर्मी (सेना) व अमेरिका। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान के अमेरिका से संबंध खराब हो गए। पाकिस्तान में सेना की बहुत अहम भूमिका रही है। वहां अनेक बार सेना ने चुनी हुई सरकारों का तख्तापलट कर सत्ता संभाली है। वैसे भी वहां की विदेश नीति सेना ही तय करती आई है, जो कि आमतौर पर भारत विरोधी होती है। जब वहां सेना की कमान कोई नया व्यक्ति संभालने वाला होता है...

  • शेषन की बात ही कुछ और थी!

    संयोग से वे मेरे घर के पास ही स्थित कोठी में रहते थे जो कि पंडारा रोड पर थी। वे किसी का अपने घर आना जाना पसंद नहीं करते थे। सुबह जल्दी उठते और नहा धोकर इडली का नाश्ता करके सो जाते और 10 बजे सोकर उठते।  तब चुनाव आयोग में उनके स्टाफ के अधिकारी जरूरी फाइले लेकर आए होते। वे घर पर ही दफ्तर का कामकाज निपटाते। मैं उस समय चुनाव आयोग भी कवर करता था व उनकी प्रेस कान्फ्रेंस में भी हिस्सा लेता हाल में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुनवाई के दौरान...

  • कनाडा, हिंदी और मंगा बासी

    कुछ समय पहले मुझे हिंदी में लिखी ऐसी पुस्तक पढ़ने को मिली जो कि अपने आप में अनोखी थी। पुस्तक का शीर्षक था ''माँ कहती थी'' आमतौर पर हर बेटे का अपनी मां से लगाव होता है पर कोई मां पर भावनात्मक पुस्तक ही लिख बैठे ऐसे बहुत कम देखने को मिलता है।  पेशे से व्यापारी मंगा बासी ने वैसे तो करीब एक दर्जन पुस्तकें लिखी हैं यह पुस्तक कनाडा में भारतीय लोगों के बीच बहुत चर्चित हो चुकी है। कनाडा एक ऐसा देश है जहां आप को हिंदी के अखबार या पत्रिकाएं देखने को नहीं मिलेगी वहां हम हिंदीभाषियों...

  • राजा के डायमंड चोरी और रिश्ते बिगड़ने

    सउदी अरब के शासक के राजमहल में एक क्रिआंग क्राई नामक नौकर काम करता था। यह महल प्रिंस फैजल बिन अहद का था। क्रिआंग क्राई राजमहल का जाना माना सेवक था और वह उस महल के किसी भी हिस्से में जा सकता था। उसने करीब 91 किलो जवाहरत चुरा कर उन्हें एक वैक्यूम क्लीनर के थैले में छिपाकर महल के बाहर निकाल लिया। बताते हैं कि चोरी किए गए इन सामानों में एक बहुचर्चित 50 कैरेट का ब्लू डायमंड भी था। इसके कारण सउदी अरब व थाईलैंड के संबंधों में इतना तनाव आ गया कि वे 30 साल तक बेहद...

  • भाजपा को चाहिए पसंमादा मुससमान!

    मुस्लिम समाज तीन वर्गो में बंटा हुआ है। पहले नंबर पर अशरफ समाज में समुदाय के सबसे सम्मानजनक लोग आते हैं जिन्हें मूल अरबों के उच्च वर्ग का वंशज माना जाता है। दूसरे नंबर पर अजलाफ या पिछड़े वर्ग के मुसलमान आते हैं व तीसरा नंबर अरजल या दलित मुसलमानों का ही माना जाता है। अशरफ वर्ग में आने वाले लोग मुस्लिम आक्रांताओं या उनके डर के बराबर अपना धर्म बदलने वाले उच्च जाति वाले हिंदुओं के वशंज है। इनमें से आने वाले ज्यादातर लोग सैयद, पठान आदि सरनेम लगाते हैं। कुछ माह पहले भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में...

  • राजीव की हत्या और उम्रकैदियों की रिहाई

    सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी रूप से राजीव गांधी की हत्या को आतंकवादी कार्रवाई नहीं माना। इस मामले में सरकार की ओर से मुकदमा लड़ने वाले वकील अदालत को यह समझाने में कामयाब नहीं रहे कि लिट्टे द्वारा राजीव गांधी की हत्या उस समय आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए बनाए गए टाडा कानून के तहत एक आतंकवादी कार्रवाई थी। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की हत्या में शामिल सात लोगों की उम्रकैद की सजा माफ कर दिए जाने पर पूरे देश में जोर शोर से चर्चा हो रही है। उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया...

  • दक्षिण में भाजपा मूर्तिया लगा कर वोट लेगी?

    प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में बेंगलूरू के टर्मिनल दो हवाई अड्डे पर नादप्रभु कैंपेगौड़ा की 108 फीट की मूर्ति का उद्घाटन किया। दुनिया भर में लगी सबसे उंची तांबे की मूर्ति हैं। उन्होंने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की थी व उनका वोकालिगा समुदाय में बहुत सम्मान किया जाता है। ... उत्तर भाारत में भाजपा मंदिर-मस्जिद मुद्दों पर मतदाता को लुभाने में सफल रही है। देखना यह है कि मूर्तियां लगा कर भाजपा का दक्षिण में वोट बटोरने का मिशन सफल होता है या नहीं।  कर्नाटक में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। आमतौर पर हम अपने पूर्वजों...

  • पहले बेटरी का खनिज तो जुटाए, फिर इलेक्ट्रीक वाहन की सोचे!

    नवीनतम मामला बैटरी चलित कारों के भविष्य को लेकर पैदा हो रहा है। दुनिया को कार्बन से मुक्ति दिलाने के लिए पूरी दुनिया में बैटरी चलित वाहनों के उपयोग का फैसला लिया गया है पर क्या कभी हमने सोचा है कि क्या हमारे देश में इनकी बैटरी तैयार करने की पर्याप्त क्षमता हैं या नहीं? बिना बैटरी उत्पादन की क्षमता हासिल किए यह कार बनाने का फैसला तो अग्निशमन विभाग द्वारा बिना पानी के इंतजाम के शहर में आग लगा कर उसे बुझाने की कोशिश करने जैसा है। हमारा देश गजब है। कई बार जहां जल्दबाजी में कुछ ऐसे फैसले...

  • लकड़ी के लंबे खंबे, कनाड़ा-अमेरिका के शिलालेख!

    इन्हें टोटम स्तंभ कहा जाता है। ये स्तंभ 18 वीं सदी तक के पुराने हैं। इनकी खास बात यह है कि लकड़ी से बनाए गए ये स्तंभ काफी सुंदर है और आज भी इनकी स्थिति बहुत अच्छी है न तो वे सड़े हैं और न ही उनमें दीमक लगी है। यह अपने आप में वहां के ऐतिहासिक दस्तावेज है। जैसे कभी हमारे देश में शिलालेखों या ताम्रपत्तों पर लोगों के जीवन व कार्यों जानकारी लिखी जाती थी। यह लगभग वैसे ही है। कनाडा में आप कहीं भी घूमन  जाएं तो समुद्र किनारों से लेकर बड़े पार्क, मछलीघरों, कनाट प्लेस सरीखी...

  • जींस की कहानी दिलचस्प

    उन दिनों अमरीका व कनाडा में सोने की तलाश में लोग आए थे।  सोने की खोज में आने वाले लोगों के लिए लेविस ने पहले तो टेंट बनाना शुरु किया। फिर जब बड़ी तादाद में उसके टैंट शिविरों की बिक्री कम हो गई तो वह सोचने लगा कि अब क्या किया जाए। उसकी मुलाकात जैकब डेविस नामक एक ग्राहक से हुई। उसने लेविस को अपने बचे हुए टेंटों के कपड़ों से जींस तैयार करने की सलाह दी मगर अक्सर उन्हें धोने पर उनका रंग निकलने लगता था। उसने इन्हें इनकी बिक्री के लिए यह मंत्र सिखाया कि वह अपनी जींस...

  • मुकेश, मांगा पासी और चौधरी की खैरात

    करीब 68-70 साल के मांगा पासी से मैंने पहली मुलाकात में पूछा था कि आपका नाम कुछ अजीब सा लगता हैं। जवानी में पंजाब से कनाडा आए मांगा पासी ने बताया कि उनके मां-बाप ने भगवान से मांगा था कि उनका बेटा हो व उनके जन्म के बाद उनका नाम ही मांगा रख दिया ताकि वे जीवन भर याद रखे कि उन्हें भगवान से मांगा गया था।।।। हिंदुस्तानी समाज व स्थानीय लोगों में इतना प्रभाव होने के बावजूद मांगा पासी ने खुद को राजनीति से दूर रखा हुआ है। ऐसे में देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री रहे दिवंगत चौधरी देवीलाल की...

  • जमशेद ईरानी पर नहीं लिखा तो बैचेन रहूंगा!

    जमशेद ईरानी टाटा समूह की ही नहीं देश की भी विलक्षण हस्ती थे। उन्होंने अपनी योग्यता से ऐसा इस्पात तैयार किया जो कि भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बेहतर और सस्ता इस्पात था। उन्हें उनकी इस योग्यता के कारण सरकार ने 2007 में पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया था। कई बार लगता है कि बढ़ती हुई उम्र के साथ हमारी सोचने व फैसले लेने की ताकत भी बदलती है। पहले इसे गंभीरता से नहीं लेता था मगर अब इस बारे में सोचने के लिए मजबूर हूं। जब पढ़ता था तब छात्र परीक्षाओं में निबंध याद करके जाते...

  • कुछ भी हो टाटा की बात अलग है!

    इस्पात उद्योग में इतनी योग्यता हासिल करने के बाद भी टाटा कार बनाने में कुछ खास नहीं कर पाया। ऐसे में मुझे अपने एक पूर्व संपादक की यह बात याद आती है कि अगर हमें समोसा खाना हो तो किसी एक दुकान पर और डोसा खाने के लिए कहीं और जाएंगे। यह जरुरी नहीं है कि जहां समोसा अच्छा बन रहा हो उसका डोसा भी उतना ही लोकप्रिय हो। टाटा पर यह बात पूरी तरह से लागू होती है। टाटा समूह के एक आला अधिकारी जमशेदजी ईरानी के निधन की जब खबर सुनी तो कुछ पुरानी यादे ताजा हो गई।...

  • महाठग और उसके हवाले राजनीति

    सुकेश नामक इस ठग का जन्म दिसंबर 1979 को बेंगलुरु के भवानी नगर इलाके में हुआ। दिल्ली की तिहाड़ जेल में धोखाधड़ी के आरोप में यह बंद है। सुकेश चंद्रशेखर पर कई धोखाधड़ी के मामले दायर किए जा चुके हैं। उसने बचपन में वहां चर्चित बिशप काटन बॉयज स्कूल में पढ़ाई की थी व फिर उसने मदुरै से ग्रेजुएशन की डिग्री की। वह बचपन से ही मंहगे शौक का आदी हो गया था व इन्हें पूरा करने के लिए वह लोगों को चूना लगाने का काम करता था। हमारे कानपुर में मिठाई की एक दुकान है जिस पर बोर्ड लगा...

  • सिख मेहनत के बूते कनाडा में हिट

    अंग्रेज मुंह से भले ही कुछ न कहते हों मगर जिस संपत्ति के वे लोग मालिक हुआ करते थे आज उनके विशाल घरों व फार्म हाउस को सिख ही खरीद रहे हैं। वहां खालिस्तान का मुद्दा जोर पकड़ने पर सिखों के बीच टकराव बढ़ने लगा है। पहले 1971-81 के बीच बड़ी तादाद में जाटो के सिख बनने के बाद उनके गुरूद्वारा आने पर सिखों का उनके साथ टकराव हुआ। खालिस्तान मुद्दा जोर पकड़ने पर कट्टरपंथी सिखों का गुरूद्वारों पर कब्जा बढ़ने लगा तो वहां के कई स्थान स्थानों पर उदारवादी सिखों ने उनका जमकर विरोध किया। कनाडा में सिखों की...

  • कनाडा में सिख बोलबाले के कई आयाम

    पिछली जस्टिन ट्रूडो सरकार में हरजीत सिंह सज्जन देश के रक्षा मंत्री थे। ट्रूडो का कहना था कि भारत के मोदी मंत्रिमंडल से दुगने सिख मंत्री मेरी सरकार में शामिल है। हरजीत सिंह कनाडा के पूर्व सैन्य अधिकारी थे। वहां की अदालतों में सिखों का कृपाण रखने की छूट भी दी जा चुकी है। यदि आप कनाडा में वेंकूवर के सरे इलाके में जाए तो आपको अंग्रेजी में बात करने की जरुरत नहीं होगी। देख कर ऐसा लगता है कि जैसे कि आप दिल्ली के तिलक नगर में आ गए हो। उस इलाके के बाजार में ज्यादातर दुकानदार सिख व...

  • कनाडा का मतलब और उसमें भारतीय

    मैंने अपनी कनाडा यात्रा के बारे में लिखना तो शुरु कर दिया पर पाठकों को इस देश के बारे में यह नहीं बताया कि वह कहां है। अतः इस बारे में थोड़ी बहुत जानकारी देने की कोशिश कर रहा हूं। दरअसल उत्तरी अमेरिका का यह देश भारत से लगभग बिना रूके 14 घंटे की उड़ान उड़ने के बाद आता है। रूस के बाद क्षेत्रफल के हिसाब से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां दुनिया की सबसे ज्यादा मीठे पानी की झीले हैं वहां करीब 2 लाख झीले है। दोबारा कॉलम लिखना शुरु करने के लगभग एक सप्ताह...

  • हमें क्या फायदा?

    एक बार मैंने टीवी पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को किसी सभा में यह कहते हुए सुना था कि अगर आपको अपने खानदान का पता लगाना हो तो चुनाव लड़ लेना चाहिए। आपके विद्रोही तो आपकी तीन पीढ़ियों का इतिहास निकाल लाएंगे। आज भी यही कुछ है।... तब मैंने पापाजी के नाम से एक उक्ति गढ़ दी कि ‘हमें क्या फायदा’। आज वह उक्ति फिर से याद आ रही है। ऋषि कुछ भी हो जाए उनसे खुद को जोड़ने का हमें क्या फायदा। पहले दो साल तक दिलो दिमाग पर कोरोना हावी रहा तो इसका डर खत्म होने...

  • छोटी-छोटी बातों पर दौडता दिमाग!

    भारत में तो बाल्टी में पानी भरकर मग से नहाते थे पर कनाडा में न तो किसी के यहां बाल्टी देखी और न ही मग नजर आया। बैठने के लिए प्लास्टिक का पटरा तक नहीं देखा। वहां न्यूनतम तापमान करीब 7 डिग्री रहता है। पानी बहुत ठंडा होता था। नहाने के पहले शावर के पानी की टोटी गरम करनी पड़ती थी। मगर जैसे ही पानी शुरु करता शुरु में करीब आधा मिनट तक ठंडे पानी की बौछार आती फिर गरम पानी आना शुरु होता व ठंडे पानी की बौछार के कारण ठिठुर जाता। वैसे तो कनाडा में मौसम से लेकर...

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