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संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।
  • चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

    राजनीतिक चंदे के लिए बनाई गई चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था विफल हो गई है। चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने और राजनीति में काले धन का प्रवाह रोकने के घोषित उद्देश्य से लाया गया यह कानून अपने उद्देश्य में पूरी तरह से असफल रहा है। उलटे इससे जुड़े अनेक ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं, जिससे लग रहा है कि यह अपने आप में काले धन के प्रसार का माध्यम बन गया था। हैरानी इस बात को लेकर है कि सरकार के स्तर पर इसकी विफलता को स्वीकार करने की बजाय इसका बचाव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले...

  • भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां

    भौगोलिक रूप से हिमालय की चढ़ाई मुश्किल मानी जाती है लेकिन राजनीतिक रूप से उत्तर भारत की पार्टियों और शासकों के लिए दक्कन का अभियान हमेशा मुश्किल रहा है। मध्य काल में मुगल शासकों के लिए भी दक्कन की चुनौती हमेशा रही तो अंग्रेज, पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी सबने भारत का अपना अभियान दक्कन से शुरू किया लेकिन किसी का साम्राज्य दक्कन में ज्यादा फला-फूला नहीं। South India big challenge for BJP यह भी पढ़ें: स्वर्गिक हेती, नरक में धंसता सबसे सफल औपनिवेशिक ताकत यानी ब्रिटिश राज भी गंगा के मैदानी इलाकों में ही समृद्ध हुआ। सतपुड़ा के घने जंगलों और...

  • क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?

    नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने को भाजपा का नायाब दांव माना जा रहा है। माना जा रहा है कि एक दांव से भाजपा ने कई लक्ष्य साध लिए हैं। अब भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी खत्म हो जाएगी। किसानों की नाराजगी दूर हो जाएगी। पिछड़ी जातियों का पूरी तरह से ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो जाएगा और दूसरी ओर त्रिकोणात्मक लड़ाई में दुष्यंत चौटाला जाट वोटों का बंटवारा करके कांग्रेस को नुकसान पहुंचा देंगे। Nayab singh saini यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा लेकिन क्या सचमुच ऐसा हो जाएगा? क्या राजनीति सचमुच...

  • इस समय भला क्यों सीएए?

    केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू करने के लिए चार साल से ज्यादा समय तक इंतजार किया। इसलिए यह तो नहीं कहा जा सकता है कि सत्तारूढ़ भाजपा को इसके असर का अंदाजा नहीं है। साढ़े चार साल के बाद अगर किसी कानून को अमल में लाया जा रहा है तो निश्चित रूप से उसके हर पहलू पर विचार किया गया होगा। सरकार के स्तर पर इसे लागू करने की प्रशासनिक व कानूनी चुनौतियों पर विचार किया गया होगा तो भाजपा के स्तर पर राजनीतिक चुनौतियों का आकलन किया गया होगा। जब तक भाजपा को इस पर...

  • भाजपा और कांग्रेस गठबंधन का अंतर

    लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों गठबंधन बना रहे हैं। दोनों का फर्क यह है कि भाजपा का गठबंधन उसकी शर्तों पर हो रहा है, जबकि कांग्रेस सहयोगी पार्टियों की शर्तों पर गठबंधन कर रही है। यह दोनों पार्टियों की राजनीतिक स्थिति का फर्क भी बताता है। एक तरफ 10 साल से सत्ता में रह कर बेहिसाब शक्ति और संपदा इकट्ठा करने वाली भाजपा है तो दूसरी ओर राजनीति के बियाबान में भटक रही कांग्रेस है, जो 10 साल से सत्ता से बाहर है, राज्यों में कई जगह जीती हुई सरकारें गंवा चुकी है और ज्यादातर नेता केंद्रीय एजेंसियों...

  • विशेषाधिकार में घूस लेने की छूट नहीं

    सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संसदीय पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बहुत दो टूक अंदाज में कहा है कि सदन के अंदर सांसदों को जो विशेषाधिकार मिले होते हैं उनमें रिश्वत लेने की छूट शामिल नहीं है। अदालत ने कहा कि विशेषाधिकार इसलिए दिया गया है ताकि सांसद किसी भी विषय पर खुल कर अपनी राय रख सकें। बहस और विचार विमर्श में किसी तरह की बाधा नहीं आए, वह बेबाक हो, हर पहलू को समेटे हुए हो इसके लिए विशेषाधिकार का प्रावधान किया गया है। इस टिप्पणी...

  • एक साथ चुनाव,आम सहमति जरूरी

    विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के आइडिया का विरोध किया है। भाजपा और केंद्र सरकार के प्रति नरम रुख दिखाने वाली मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने केंद्र की बनाई रामनाथ कोविंद कमेटी को अपनी राय भेजी है, जिसमें पार्टी ने कहा है कि वह पूरे देश में सारे चुनाव एक साथ कराने के विचार का विरोध करती है। इससे पहले सभी विरोधी पार्टियों ने ऐसी ही राय कोविंद कमेटी को दी है। one nation one election committee चुनाव आयोग ने इसका समर्थन किया है और साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसका समर्थन...

  • चुनाव क्या सिर्फ औपचारिकता?

    तो क्या यह मान लिया जाए कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे तय हैं और चुनाव एक औपचारिकता भर है? क्या देश के लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को तीसरी बार शासन का मौका देने का फैसला कर लिया है? कम से कम प्रधानमंत्री की बातों से तो ऐसा ही लग रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में रविवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। करीब आठ घंटे चली इस बैठक में नई सरकार के सौ दिन के एजेंडे पर चर्चा होने की खबर है। Lok sabha election 2024 मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मंत्रिपरिषद ने...

  • भाजपा की पहली सूची का क्या संदेश?

    लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले पार्टियों ने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है। पहले इक्का दुक्का पार्टियां ऐसा करती थीं लेकिन अब यह परंपरा बन गई है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 30 से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली में अपने कोटे की चार सीटों के साथ साथ हरियाणा और गुजरात की सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। BJP candidate list 2024 इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक साथ 195 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की। एक अनुमान के मुताबिक भाजपा देश की...

  • एक साथ चुनाव से पहले सुधार जरूरी

    पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की योजना पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है और कहा जा रहा है कि जल्दी ही इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। इसकी मसौदा रिपोर्ट को लेकर मीडिया में जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक कमेटी ‘एक देश, एक चुनाव’ के नाम से संविधान में एक खंड जोड़ने की सिफारिश कर सकती है, जिसमें इस योजना से जुड़े सारे नियम और कानून शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि कोविंद कमेटी एक कॉमन मतदाता सूची के साथ सारे...

  • दलबदल के लिए दोषी कौन

    राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद इस बात पर बहस छिड़ी है कि दलबदल के लिए असली दोषी कौन है? भाजपा के नेता और उनके समर्थक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद आदि पर ही ठीकरा फोड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि जो पार्टी अपने विधायकों को नहीं संभाल पाई वह भाजपा से क्या लड़ेगी? cross voting rajya sabha election हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का मजाक बनाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री रहते उनको पता ही नहीं चला कि उनके विधायक साथ छोड़ कर जा रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा विरोधी पार्टियों के नेता और...

  • आमने सामने का चुनाव मैदान सजा!

    देश में आमने सामने के चुनाव का मैदान सज गया है। कई दशक के बाद पहली बार यह होता दिख रहा है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर दो गठबंधनों के बीच सीधा मुकाबला होगा और राज्यों में भी लोकसभा का चुनाव आमने सामने का होगा। जहां गठबंधन नहीं है वहां भी कोई त्रिकोणात्मक मुकाबला होता नहीं दिख रहा है। विपक्षी गठबंधन ने आमने सामने चुनाव की तैयारी वोट के गणित के आधार पर की है। पिछले चुनाव में भाजपा को 37 फीसदी वोट मिले थे और तमाम सहयोगियों को मिला कर उसका वोट 40 फीसदी पहुंचा था। Lok...

  • विपक्ष क्या भ्रष्टाचार का मुद्दा बना पाएगा?

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक

    भारतीय जनता पार्टी तो मुख्य विपक्षी कांग्रेस को दुश्मन नंबर एक मान कर उसे खत्म करने की राजनीति कर ही रही है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस की सहयोगी होने का भ्रम बनाए बैठीं प्रादेशिक पार्टियां भी कांग्रेस को कमजोर करने या आम जनता की नजर मे उसे कमजोर बताने की रणनीति पर काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था और इस पर अमल करते हुए वे इतना आगे निकल कर गए हैं कि पूरी भाजपा को ही कांग्रेस युक्त बना डाल रहे हैं। यह भी पढ़ें: भाजपा के राष्ट्रीय...

  • भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन का क्या संदेश?

    लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय अधिवेशन भाजपा ने किया, जिसकी चुनावी तैयारियां राउंड द क्लॉक यानी 24 घंटे, सातों दिन और 12 महीने चलती रहती है। कायदे से मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को इस तरह का अधवेशन करना चाहिए था और साथ ही नए बने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की साझा बैठक भी करनी चाहिए थी। लेकिन कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे हैं और बाकी सहयोगी पार्टियों के साथ कांग्रेस का इतना भी तालमेल नहीं बन पाया है कि विपक्ष के नेता उनकी यात्रा में शामिल हों। सो, मोटे तौर पर विपक्ष की तैयारियां...

  • भाजपा की उन्मुक्त भरती योजना

    भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले अलग अलग पार्टियों के नेताओं के लिए रोजगार मेला लगा रखा है। उसने पार्टी के दरवाजे के दोनों पट खोल दिए हैं, खिड़कियां भी खोल दी हैं और उन्मुक्त भर्ती योजना चला रखी है। कोई भी आकर पार्टी में शामिल हो सकता है। कई बार तो दरवाजे पर दस्तक देने की भी जरुरत नहीं समझी जा रही है। अंदर आइए और भाजपा का पटका रखा हुआ है उसे गले में पहन लीजिए और भाजपा के हो जाइए। अगर दूसरी पार्टी में कोई हैसियत है तो बड़े नेताओं से मिलना पड़ रहा है...

  • चुनावी चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बने

    चुनावी बॉन्ड को लेकर पिछले छह-सात साल में जितनी बहस हुई है और चंदे की इस व्यवस्था पर जितने सवाल उठे हैं उन्हें देखते हुए अब केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खुले दिल से स्वीकार कर लेना चाहिए। इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना कर संसद के जरिए इसे बदलने का वैसा प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, जैसा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदे की पूरी व्यवस्था को असंवैधानिक करार दिया है और इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इतना ही नहीं सरकार ने...

  • भाजपा की घबराहट या रणनीति

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) को लेकर अति आत्मविश्वास में हैं या घबराहट में हैं? यह एक ऐसा सवाल है, जिसके जवाब को लेकर इस समय देश भर में बहस हो रही है। सोशल मीडिया ने ऐसी बहसों के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है। पारंपरिक मीडिया में चलने वाली एकतरफा चर्चाओं के बीच सोशल मीडिया में दोनों तरह के नैरेटिव के लिए जगह बनी है। एक तरफ ऐसा मानने वाले लोग हैं कि प्रधानमंत्री अति आत्मविश्वास में हैं इसलिए उन्होंने चार सौ पार का नारा दिया है। उन्होंने लोकसभा में खड़े होकर कहा कि देश...

  • क्यों किसानों की मांगे नहीं मानते?

    ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार ने एक साल तक चले किसान आंदोलन का सबक भुला दिया है। तभी वह एक बार फिर किसान आंदोलन को रोकने और किसानों को दबाने के लिए उन्हीं उपायों का सहारा ले रही है, जिनका इस्तेमाल 2020-21 के किसान आंदोलन के समय किया गया था। तब किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए रास्ते बंद किए गए। फोन और इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई। किसानों को बदनाम करने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम विकसित किया गया, जिसने किसानों और उनसे सहानुभूति रखने वालों को देशद्रोही ठहराया। किसानों को विदेश से फंडिंग...

  • राजनीतिक पैमाने पर रत्नों का चुनाव

    दुनिया का कोई भी पुरस्कार या सम्मान किसी व्यक्ति की महानता के मूल्यांकन का पैमाना नहीं हो सकता है। पिछली सदी के सबसे महान राजनीतिक व सामाजिक विचारक और आंदोलनकारी महात्मा गांधी को शांति का नोबल पुरस्कार नहीं मिला है। लेकिन इससे गांधी की महानता में रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे ही जितने लोगों को नोबल पुरस्कार मिले हैं वे सब हर कसौटी पर महान हैं ऐसा भी नहीं माना जा सकता है। दुनिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, खासकर शांति, साहित्य और अर्थशास्त्र का नोबल अक्सर भू-राजनीतिक स्थितियों से प्रभावित होता है। अमेरिकी और पश्चिमी दुनिया के राजनीतिक...

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