• आचार संहिता के पहले अनुकूलता

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर जिस तरह से दलबदल चल रहा है उसको देखते हुए दोनों ही दलों में सबसे बड़ी चिंता टिकट वितरण के बाद संभावित दल बदल को लेकर है। दोनों ही दल इस कोशिश में लगे हैं कि स्थानीय स्तर पर दावेदारों के बीच इस प्रकार की सहमति बना ली जाए जिससे कि टिकट घोषित होने के बाद बगावत न हो। दरअसल, जिस तरह राजनीतिक दल “करो या मरो” की तर्ज पर चुनाव अभियान चलाए हुए हैं और हर हाल में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है लगभग उसी तरह टिकट के...

  • क्या इस आरक्षण से जीत आरक्षित होगी…?

    भोपाल। यद्यपि अभी अगले लोकसभा चुनाव में करीब 200 दिवस की देरी है, लेकिन अपनी राजनीतिक संभावनाओं से डरे-सहमे राजनेताओं ने अपने राजनीतिक दांव खेलना शुरू कर दिए हैं, इसका ताजा उदाहरण देश पर पिछले 9 सालों से राज कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी और भाजपा है, जिन्होंने देश की आधी आबादी को पूरा हक देने की कोशिश की है, उन्हें 'आरक्षण' का झुनझुना पकड़ा कर। जबकि भाजपा सहित सभी दलों को यह पता है कि सिर्फ अगले 100 दिनों बाद मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होना है और उनके परिणाम ही देश की जनता...

  • मीठा ज़हर है चीनी, बचें

    मीठा या शक्कर ‘ग्लूकोज’ के रूप में हो तो वह ठीक है। परंतु यही जब ‘फ्रुक्टोस’ के रूप में होता है वह हमें दिक्कत दे सकता है। इसका हमारे शरीर, दिमाग और हार्मोन पर अलग प्रभाव पड़ सकता है। ग़ौरतलब है कि शराब व अन्य नशीली चीजों की तरह चीनी भी दिमाग में ‘डोपामाइन’ नामक हार्मोन का स्राव बढ़ाती है। ऐसे में चीनी की लत लग जाती है, जो मानव शरीर के लिए काफ़ी हानिकारक है। हद से ज़्यादा हर चीज़ का सेवन करना हमारे शरीर के लिये हानिकारक होता है। यह बात हर उस चीज़ पर लागू होती है...

  • शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बनी यात्राएं

    भोपाल। प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस इस समय सत्ता की यात्रा पूरी करने के लिए प्रदेश में कोने कोने से यात्राएं निकाल रहे हैं। भाजपा जहां जन आशीर्वाद यात्रा निकल रही है वहीं कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा भी शुरू हो गई है। दोनों ही दल इन यात्राओं के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं और समापन में महाप्रदर्शन की तैयारी है। दरअसल राजनीतिक क्षेत्र में माहौल बनाने के लिए शक्ति प्रदर्शन एक अनिवार्य अंग हो गया है। यही कारण है व्यक्तिगत स्तर पर जहां चुनाव लड़ने जा दावेदार दालों के सामने इन यात्राओं में...

  • महिला बिल: सोनिया का ठीक कहना- “अपना है”

    मोदी जी मंगलवार को नई संसद की लोकसभा में बोले ईश्वर ने इस काम के लिए शायद मुझे चुना है। शब्दों का भीषण जाल बुनते हुए। लेकिन ईश्वर ने तो महिला बिल सोनिया को हाथों राज्यसभा में 2010 में ही पास करवा दिया था।…यह सोनिया गांधी की दृढ़ इच्छा शक्ति थी कि मनरेगा जिसे अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला कार्यक्रम कहा था वह लाना, किसानों को 72 हजार करोड़ रुपए के कृषि कर्जों से मुक्ति दिलाना औरउसके बाद महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिला बिल लाकर सबसे बड़ा कदमउठाना। ‘इंडिया’ (INDIA) की...

  • ऋषि पंचमी पर जन्मे आज के ऋषि

    भोपाल। प्राचीन काल से ही भारत में ऋषि मुनियों और संतों का विशेष महत्व रहा है। ऋषि-मुनि ज्ञान का आधार होते थे जो अपने आश्रमों के द्वारा लोगों को शिक्षित करने समाज को मार्गदर्शन करने के लिए शास्त्रों और स्मृतियों का निर्माण करने जैसे कार्य करते थे। वहीं आज के समय में ऋषि पंचमी के दिन जन्मे मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्रदास जी सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने समाज में सामाजिक समरसता बनाए रखने और गौ संवर्धन का जिस शिद्दत के साथ कार्य कर रहे हैं उनके अनुयायी उन्हें आज का ऋषि मानते हैं। अनेकों भक्त तो उन्हें सुकदेव जी का अवतार...

  • महिला आरक्षण बिल से बदलेगा माहौल

    भोपाल। मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में 33% महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई है। आज यह सदन पारित भी हो जाएगा और उसके साथ ही राजनीतिक माहौल बदल जाएगा। विधानसभा हो लोकसभा हो या राज्यसभा सभी जगह महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा और राजनीतिक दलों को नए सिरे से महिला नेतृत्व को आगे लाना होगा। दरअसल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और इसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले आधी आबादी को साधने के जतन चल रहे हैं। राज्य में जहां “लाड़ली बहना योजना” को लागू किया गया है, वही केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल...

  • लोकतंत्र…. विभत्स चेहरा: प्रजातंत्र के लिए ये ही दिन देखना शेष थे…?

    भोपाल। क्या हमारे देश की आजादी के लिए प्राणोत्सर्ग के साथ अपना सर्वस्व लुटा देने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों व गांधी-नेहरू ने कभी यह कल्पना की थी कि प्रजातंत्र के महज 75 साल बाद ही हमारे प्रजातंत्र को विभत्स चेहरा नजर आने लगेगा, आज जिस तरह स्वयं नेताओं और उनके अनुयायियों की खरीद बिक्री देखी जा रही है, क्या यह विश्व में प्रजातंत्र के सिरमौर भारतवर्ष के लिए शर्मनाक और कलंकित करने वाला कृत्य नहीं है? आज सिर्फ कहने को यह देश प्रजातंत्री रह गया है, यहां के 'तंत्र' का 'प्रजा' से कोई लेना-देना नहीं है, प्रजातंत्र के नाम पर...

  • हबीब तनवीर की याद में

    भोपाल। विश्व के महान रंग निर्देशक, अभिनेता, नाटककार हबीब तनवीर साहब की जन्म शताब्दी के अवसर पर इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय के रंगमंच विभाग द्वारा व्याख्यान का आयोजन किया गया। रंगमंच विभाग के प्रमुख एवं अनुभवी रंग निदेशक डाॅ. योगेन्द्र चैबे की अगुवाई में हबीब साहब के निधन 2009 के बाद से अब तक लगातार उनकी जन्म तिथि पर ऐसा आयोजन होता रहा है जिसमें देश के नाम गिरानी रंगकर्मियों व विशेषज्ञों की भागीदारी रही है। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है जिसका परिसर अपनी अलग पहचान रखता है। विश्वविद्यालय के...

  • धर्म नीचे, मूर्ति ऊपर!

    संघ-भाजपाई बच्चों से भी हल्का व्यवहार करते हैं। बच्चे तो शिक्षक की भावना समझ लेते हैं, किन्तु संघ-परिवार के नेतागण दशकों बाद भी संवेदनहीन हैं। पीढ़ियों, नेताओं के बदलने पर भी उन में कुछ नहीं बदलता। वे राजनीतिक तिकड़मों के बाद भावनाओं, लफ्फाजी, और तमाशों के सिवा किसी चीज को महत्व नहीं देते।....सच यह है कि आगे हिन्दू समाज बचेगा भी या नहीं, वे इस से बेपरवाह हैं। अपने कथित ‘राष्ट्रवाद’ के लिए उन की एक ही लालसा है, कि उन के दल, संगठन, और नेताओं का नाम जैसे भी ऊपर रहे। मानो किसी नीम-हकीम की लालसा हो कि मरीज...

  • सनातन के शाश्वत अधिष्ठाता “श्रीगणेश”

    मान्यता है, उन्हें देवाधिदेव महादेव ने ही यह विशेष वरदान दिया था कि हर पूजा या शुभ कार्य करने से पहले उनकी पूजा अनिवार्य होगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गजानन गणेश, भगवान शिव व मां पार्वती के पुत्र हैं। गणेश नाम की उत्पत्ति पर विचार करें, तो गण का अर्थ है, समूह एवं ईश का अर्थ है, स्वामी। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। सनातन मान्यता है कि 33 करोड़ देवी-देवता हैं। इनकी पूजा देश भर में की जाती है। पर, इन 33 करोड़, देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी ही हैं, देवों में सर्वप्रथम। चाहे...

  • अग्नि, वाणी व छंद के प्रथम ज्ञाता

    ऋग्वेद में अन्य ऋषियों की अपेक्षा महर्षि अंगिरा व उनके वंशधरों तथा शिष्य-प्रशिष्यों के ही सबसे अधिक मंत्र हैं, अथवा इनका सर्वाधिक उल्लेख हुआ है। महर्षि अंगिरा से सम्बन्धित वेश और गोत्रकार ऋषि ही ऋग्वेद के नवम मण्डल के द्रष्टा हैं। नवम मण्डल के साथ ही ये अंगिरस ऋषि प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि अनेक मण्डलों के तथा कतिपय सूक्तों के द्रष्टा ऋषि हैं। जिनमें से महर्षि कुत्स, हिरण्यस्तूप, सप्तगु, नृमेध, शंकपूत, प्रियमेध, सिन्धुसित, वीतहव्य, अभीवर्त, अंगिरस, संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं। 19 सितंबर- अंगिरा जयंती दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप साधना एवं मन्त्रशक्ति के लिए विशेष रूप से प्रतिष्ठित ऋग्वेद...

  • सनातन का विरोध और मुश्किल में कमलनाथ…

    भोपाल। हर कोई जानता है कि भारत में 80 फ़ीसदी सनातन धर्मियों का विरोध करने वालों को चुनाव जीतना नामुमकिन भले ही न हो मुश्किल जरुर होगा। लोकतंत्र में पूरा खेल बहुमत का होता है। जिन सनातनियों के वोट ज्यादा हैं उन्हें खत्म करने की बात कह कर उनके ही वोट हासिल करने का कोई नुस्खा अगर इंडिया गठबंधन ने ईज़ाद कर लिया है तो उसे सियासत में सदी अजूबा माना जाएगा। द्रविण मुनेत्र कागझम (डीएमके) पार्टी शासित तमिलनाडु से सनातन को समाप्त करने की बात उठी है। यह मुद्दा चुनाव में भाजपा की मदद करने वाला साबित हो तो...

  • मालिकों की सहमति तभी तो ऐसे एंकर

    इस तरह सार्वजनिक बहिष्कार करके विवाद खड़ा करने के बजाए अगर विपक्षी दल एक मूक सहमति बना कर इन एंकरों का बहिष्कार करते तो भी उनका उद्देश्य पूरा हो जाता। पर शायद विपक्ष ने यह विवाद खड़ा ही इसलिए किया है कि वो देश के ज़्यादातर टीवी चैनलों की पक्षपातपूर्ण नीति को एक राजनैतिक मुद्दा बना कर जनता के बीच ले जाएँ। जिसमें वो सफल हुए हैं। जब से इंडिया गठबंधन ने 14 टीवी एंकरों के बॉयकॉट की घोषणा की है तब से मीडिया जगत में एक बहस और भूचाल सा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। और ऐसा देश में...

  • उत्तर कोरिया से रूस तो दक्षिण कोरिया से अमेरिका को हथियार!

    समय का पहिया पूरा घूम चुका है। ऐसा क्यों माना जाए?  यह जानने के लिए पिछले हफ्ते के घटनाक्रम पर नजर डाले। बताया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथउत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की मुलाकात काफी बढ़िया हुई। हम जानते ही हैं कि चोर-चोर सगे नहीं तो मौसेरे भाई तो होते ही हैं। लिहाज़ा, दोनों ने साथ बैठकर वाइन पी, एक-दूसरे की तारीफों के पुल बांधे और एक-दूसरे को सैनिक साजो-सामान देने का भरोसा दिलाया। हालांकि सैन्य सौदे का विस्तृत विवरण मास्को और प्योंग्यांग दोनों में से किसी ने नहीं दिया और ना ही इसकी...

  • सनातन पथ का अनुगमन

    भोपाल। जिस तरह से पूरे देश में सनातन पर बहस छिड़ गई है उससे अब राजनीतिक दल अपने आप को सनातनी परंपरा का निर्वहन करने वाला बताने के लिए सनातन पथ का अनुगमन करने लगे हैं। प्रदेश में “करो या मरो” की तर्ज पर चुनाव लड़ने जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने गणेश चतुर्थी का मुहूर्त देखकर “जन आक्रोश यात्रा” का इसी दिन श्री गणेश करने का निर्णय लिया है। यह भी खबरें आ रही है कि अब पितृपक्ष में दोनों दल प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं करेंगे। भाजपा दूसरी सूची पहले और तीसरी सूची पितृपक्ष के बाद जारी करेगी...

  • जी-20: पश्चिम ने हथियार क्यों डाल दिए?

    अर्थशास्त्री फिलिप पिलकिंग्टन ने लिखा हैः पश्चिमी नेता घोषणापत्र पर दस्तखत करने के लिए इसीलिए राजी हुए, क्योंकि वे भारत को खुद से दूर नहीं करना चाहते थे। पिछले महीने छह नए देशों के बिक्स में शामिल होने के बाद अब पश्चिम तेजी से बदल रही दुनिया की हकीकत के प्रति जागा है। उसे अब हालात के मुताबिक नीति अपनाने की जरूरत नजर आने लगी है। शिखर सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले यह सवाल सबके मन में था कि क्या नई दिल्ली जी-20 के पराभव का गवाह बनेगा? यह प्रश्न अभी भी अपनी जगह प्रासंगिक है, लेकिन नई दिल्ली...

  • भारतीय फुटबाल के हत्यारे!

    आईएसएल नाम की बूढ़े खिलाड़ियों की लीग नीम चढ़ी साबित हो रही है। पता नहीं आईएसएल के आयोजन से भारतीय फुटबाल को कौनसा खजाना मिल गया है लेकिन बूढ़े और खेल मैदान से बेदखल कर दिए गए विदेशी खिलाड़ी आयोजकों के साथ मिल कर भारतीय फुटबाल को तमाशा बनाने पर तुले हैं। फुटबाल में सुपर पावर बनने और चंद सालों में फुटबाल जगत में हड़कंप मचाने का दावा करने वाली भारतीय फुटबाल अपने ही बुने जाल में उलझती नजर आ रही है। लगातार दर्जन भर मैचों में अजेय रिकार्ड बनाने वाली फुटबाल कहां जा रही है हाल के प्रदर्शन से...

  • सनातन धर्म के स्वघोषित पर्याय की पगड़ी

    नरेंद्र भाई अपने को सनातन धर्म के पर्याय की तरह पेश करने में लग गए हैं। वे माहौल बना रहे हैं कि सनातन संस्कृति की धार्मिक ध्वजा तब बचेगी, जब उनकी राजनीतिक पगड़ी बचेगी। ये आठ महीने सनातन संस्कृति के लिए बहुत खतरे के हैं। अगर इन आठ महीनों में सनातन धर्म की रक्षा नहीं हो पाई तो वह हमारी पृथ्वी से लुप्त हो जाएगा।..मैं ने बड़े-बड़े गालबजाऊ देखे हैं, लेकिन गाल-वाद्य का इतना संजीदा, इतना मुग्ध और इतने भीतरी विश्वास से भरा साधक और कोई नहीं देखा।  अगर आप सोच रहे हैं कि नरेंद्र भाई मोदी अपने पैरों के...

  • तनाव छोड़े की बेफिक्री घर के संस्कारों से ही!

    आज के युग में हर स्कूल में, हर अध्यापक को, छात्रों से भले कुछ ही क्षण के लिए ही सही, आध्यात्मिक चर्चा अवश्य करनी चाहिए। ऐसी चर्चा से छात्रों के मन में उत्साह बढ़ेगा। वो चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो ऐसी चर्चा से वे कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस मिलेगा। ऐसा ही कुछ हर उस क्षेत्र में होना चाहिये जहां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में लोगों पर दबाव है और वो तनाव का कारण बना हुआ है।  अक्सर देखा जाता है कि तनाव के कारण छात्र हो, युवा हो या कोई समझदार व्यक्ति, ऐसा क़दम उठा...

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