इस युद्ध की स्थिति में आ गए समय पर लोगों को अचानक इंदिरा गांधी याद आने लगी थीं। अपने आप लोगों के मन से निकली आवाज थी कि ऐसी ही स्थिति में इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी थी। उल्टे अमेरिका को चार सुना कर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे।
यह बात पता नहीं क्यों मोदी समर्थकों को बुरी लगी तो थरूर ने मामले को ट्विस्ट देते हुए कहा कि वह परिस्थितियां अलग थीं। मतलब इंदिरा के काम को छोटा करके दिखाना। और वही इनके लिए बड़े बनने का रास्ता है। इंदिरा गांधी की लकीर छोटी कर दो हमारी खुद बड़ी हो जाएगी।
निशाना वही हैं! आखिर उससे आगे भाजपा और संघ सीख ही नहीं पाए। चाहे मामला आतंकवाद का आ जाए या पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थिति का आ जाए मगर हमला राहुल या नेहरू गांधी परिवार पर, सामाजिक न्याय की अवधारणा पर या उसके प्रतीक डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर और मुसलमानों पर ही किया जाता रहेगा।
पाकिस्तान को तो पहले से बता दिया जाएगा कि हम अटैक करने वाले हैं अपना सामान और आदमी इधर उधर कर लो। और आतंकवादी जो पहलगाम में हमारे 26 निर्दोष पर्यटकों को मार कर गए उनके बारे में कोई बात नहीं की जाएगी। कुछ नहीं बताया जाएगा कि वे कौन थे? कहां गए?
मगर राहुल को पाकिस्तानी करार दिया जाएगा। भाजपा के आफिशियल हेंडल से राहुल के चेहरे पर आधा पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष का फोटो लगा दिया जाएगा। राहुल जो पहलगाम के बाद से लगातार कह रहे हैं कोई राजनीति नहीं केवल सेना का समर्थन, सरकार को हर तरह का सहयोग करेंगे।
एक ऐसा तो नहीं मगर इसी श्रेणी का काम कांग्रेस के सोशल मीडिया से भी किया गया था। मगर उसका विरोध कांग्रेस के अंदर से भी हुआ। मीडिया ने भी किया। और राहुल ने कहकर वह फोटो हटवाई। लेकिन अब सब छोड़कर राहुल के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है।
राहुल के राजनीतिक विरोधी एक तरफ उन्हे पप्पू कहते हैं। हजारों करोडों रुपया इस छवि को बनाने में लगा देते हैं। दूसरी तरफ उनसे ही हमेशा डरते हैं। अगर नहीं डरते, उनका कोई असर है ही नहीं तो उनके खिलाफ हमेशा माहौल क्यों बनाते रहते हैं? शशि थरूर को क्यों बढ़ाया जा रहा है? क्योंकि इस युद्ध की स्थिति में आ गए समय पर लोगों को अचानक इंदिरा गांधी याद आने लगी थीं।
यह किसी ने किया नहीं था। आम लोगों के मन से निकली आवाज थी कि ऐसी ही स्थिति में इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी थी। उल्टे अमेरिका को चार सुनाकर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। यह बात पता नहीं क्यों मोदी समर्थकों को बुरी लगी। तो थरूर ने मामले को ट्विस्ट देते हुए कहा कि वह परिस्थितियां अलग थीं। मतलब इंदिरा के काम को छोटा करके दिखाना। और वही इन्हें बड़े बनने
का रास्ता आता है। दूसरे की लकीर को छोटा करके। इंदिरा गांधी की लकीर छोटी कर दो हमारी खुद बड़ी हो जाएगी। मगर ऐसे होता नहीं है। इंदिरा नेहरू की लकीरें इतनी बड़ी है कि आजादी के बाद से कोशिशें कर रहे हैं। उनकी लकीरें घीस रहे हैं। मगर फिर भी वे छोटी होती नहीं हैं।
मौका आने पर और बड़ी हो जाती हैं। जैसे इस समय पाकिस्तान के साथ युद्ध समान स्थिति में हुई है। खुद उनके लोग कह रहे हैं कि जिस पीओके को लेकर कांग्रेस पर सबसे ज्यादा सवाल पूछते थे और कहते थे कि हम होते तो ले लेते, वह लेने का मौका था तो अमेरिका
द्वारा किए गए सीजफायर को ठीक उसी समय जिस समय ट्रंप ने बोला था मान गए! और पाकिस्तान जो कमजोर स्थिति में था वह 10 मई को शाम पांच बजे न मानकर हमले करता रहा। अब इन सवालों से अपने लोगों का ध्यान हटाने के लिए फिर राहुल को केन्द्र में ले आए। वही निशाने पर हैं। वही तीर।
ग्यारह साल हो गए सत्ता में कुछ करना था। क्या कोई योजना नहीं थी देश को बनाने की? 1947 के बाद से आलोचना करते चले आए कि यह करना था वह करना था। कभी कभी तो मुगलों के टाइम पहुंच जाते हैं कि उनको यह करना था। अंग्रेजों के लिए नहीं कहते कि उन्हें क्या करना था।
उनसे संतुष्ट रहते हैं। तो जब अब करने का मौका आया तो क्या किया? कांग्रेस के पास बहुत कुछ है बताने के लिए। वह बता नहीं पाती यह अलग बात है। लेकिन यह सारे संवैधानिक संस्थान, एम्स, आईआईटी, बांध, बड़े बड़े उद्योगों के लिए पब्लिक सेक्टर , विज्ञान तकनीक सब किया। इन्होंने एक विश्व विद्यालय तक नहीं बनाया। प्रगति के यह विरोधी हैं। मेट्रो का एक स्टेशन हुआ करते था प्रगति मैदान। दिल्ली में। उसका भी नाम बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट कर दिया। प्रतिगामी सोच के हैं। यथास्थितिवाद।
इंदिरा की लकीर छोटी करने की सियासत
इसीलिए जब पूरा देश पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट था कई जगह अम्बेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही थीं। देश में सबसे ज्यादा मूर्तियां अम्बेडकर की तोड़ी जाती हैं। दो-दो तीन बार। एक ही मूर्ति। अगर एक बार वह ठीक करवाकर लगवा दी जाती है तो फिर तोड़ देते हैं। और बेहद अपमानजनक तरीके से। अभी जब भारतीय सेना पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर रही थी तो मध्यप्रदेश के महु में जहां बाबा साहब का जन्म हुआ एक फौजी के यहां उसके पास ही जैतपुर में एक दिन में दो बार बाबा साहब की मूर्ति क्षतिग्रस्त की गई।
गूगल पर अगर आप एक सरसरी सी निगाह डालें अम्बेडकर लिखकर तो पचासों मूर्तियों के तोड़े जाने की खबर दिख जाएगी। संसद का तो आप को मालूम है कि कांग्रेस के शासन में जो डां अम्बेडकर की आदमकद प्रतिमा संसद के सामने लगाई गई थी। उसे उठाकर अब पीछे पहुंचा दिया गया है। जो प्रतिमा पहले संसद परिसर के बाहर से सड़क से दिखती थी अब अंदर घुसने के बाद भी नहीं दिखती।
और खास बात! अब एक नई बात शुरु कर दी। कहा जा रहा है कि जिसको लगाना हो अपने घर में लगाए। अपनी प्राइवेट जमीन पर लगाए। सार्वजनिक जगह पर नहीं लगने देंगे। भाषा बहुत भड़काऊ है। यहां नहीं लिख सकते। मगर वीडियो चल रहे हैं। यह नई बात कहां से शुरू हुई? मध्यप्रदेश के ग्वालियर से। वहां हाईकोर्ट परिसर में अम्बेडकर की मूर्ति लगनी थी। जब मूर्ति लगाने के लिए लाई जा रही थी तो वकीलों के एक ग्रुप ने दलित वकीलों पर हमला कर दिया। और साफ धमकी दी कि हाईकोर्ट में नहीं लगने देंगे।
ध्यान रहे यह सब पिछले हफ्ते हाल ही के युद्ध समान समय में शुरू हुआ। और इस समय ग्वालियर में भारी तनाव की स्थिति है। ग्वालियर आपको याद होगा कि 2018 में भारत बंद के दौरान बंद का विरोध कर रहे लोगों ने बंद के समर्थकों पर गोलियां चलाईं थी। जिसमें 8 लोग मारे गए थे। वह भारत बंद दलितों द्वारा आयोजित था।
उस मामले में किसी को सज़ा नहीं हुई। वह घाव अभी ताजा थे कि अम्बेडकर के मामले में खुले आम धमिकयां मिल रही हैं कि मूर्ति नहीं लगाने देंगे। जबलपुर हाई कोर्ट मध्य प्रदेश के चीफ जस्टिस भी मध्यस्थता का प्रयास कर रहे हैं मगर उन्हें भी सफलता नहीं मिल रही।
तीसरा निशाना जिसे भाजपा सबसे ज्यादा दिखा कर लगाती है। उसे लगता है इससे हिंदूओं में ध्रुवीकरण होगा, वोट मिलेगा तो वह है मुस्लिम के खिलाफ। अभी पाकिस्तान और उसके द्वारा संचालित आतंकवाद के खिलाफ सात डेलिगेशन विदेशों में जा रहे हैं। हर दल में मोदी सरकार ने एक मुस्लिम प्रतिनिधी को रखा है। ठीक है। मगर यहां मुस्लिम के खिलाफ इस युद्ध समान स्थिति में भी अपना नफरत का रवैया नहीं छोड़ा।
मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह का भाषण सबने सुना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने भी सुना। देश को शर्मिंदा करने वाला है। मगर भाजपा ने अभी तक मंत्री को पार्टी से निकालना तो दूर मंत्री पद से ही नहीं हटाया है। और दूसरी तरफ अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और आक्सफोर्ड से प्रकाशित पुस्तक के लेखक अली खान महबूदाबाद को एक फेसबुक पोस्ट पर गिरफ्तार कर लिया।
अभी जब यह लिख रहे हैं तब चार दिन बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है। और जिस बीजेपी की नेता ने उनके खिलाफ शिकायत की वे टीवी पर कई कई बार पूछने पर भी यह नहीं बता पाईं कि उनकी पोस्ट में गलत क्या था?
भाजपा के मंत्री विजय शाह सेना की कर्नल को आतंकवादियों की बहन कहने पर मंत्री बने हुए हैं। और लेखक प्रोफेसर जो अपनी पोस्ट में सेना की तारीफ कर रहा है उसे जेल पहुंचा दिया। हरियाणा में। मध्यप्रदेश हरियाणा दोनों जगह भाजपा की सरकार है। और दोनों जगह अलग अलग पैमाने। और याद रखिए यह स स्थिति में है जब कश्मीर सहित पूरे देश का मुसलमान सेना और सरकार के साथ खड़ा है।
मोदी सरकार एक तरफ विदेशों में देश की एकता बताने के लिए सब दलों के सदस्यों को भेज रही है। लेकिन यहां अपनी पुरानी नकारत्मक राजनीति जो राहुल, दलित, पिछड़े, मुस्लिम के खिलाफ है उसे नहीं छोड़ रही है।
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Pic Credit: ANI