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वऱिष्ठ पत्रकार और भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद। नया इंडिया के नियमित लेखक।
  • बार-बार ‘हिंदू-मुसलमान’ करने वाले कौन?

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • याद रखे सांस्कृतिक भारत क्यों सिकुड़ा?

    हमें यह याद रखना चाहिए कि 11वीं शताब्दी से सांस्कृतिक भारत का आकार सिकुड़ रहा है। विगत एक हजार वर्षों में जिन भारतीय क्षेत्रों से सनतान संस्कृति का ह्रास हो चुका है और वहां अब इस्लाम का कब्जा है— उन स्थानों से बहुलतावाद, मानवता, लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता का नामोनिशान शत-प्रतिशत मिट गया है। यदि यह स्थिति ऐसी ही जारी रही, तो इस भूखंड की मूल बहुलतावादी पहचान पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। बीते मंगलवार (15 अगस्त) भारत ने अपना 77वां स्वाधीनता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। निसंदेह, यह दिन भारतीय इतिहास का एक मील का पत्थर है। परंतु इसके साथ विभाजन...

  • हम तो हो रहे तीसरी आर्थिक शक्ति!

    वर्तमान समय में भारत की स्थिति चीन से बेहतर है। परंतु देश को अपने और चीन के बीच आए अंतर को पाटने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1985 में भारत और चीन का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद बराबर 293 डॉलर था, जो कालांतर में क्रमश: 7,130 और 19,160 डॉलर हो गया। ऐसा क्यों हुआ? इसका उत्तर भारत की वह दूषित राजनीति और देशविरोधी एजेंडा है, जिसमें राष्ट्रहित को गौण करके राजनीतिक स्वार्थ को पूरा और विदेशी-वित्तपोषण से भारत के विकास को बाधित करने की मानसिकता है। हाल में...

  • मणिपुर की हिंसा बहुत बड़ा षड़यंत्र!

    मणिपुर में गत तीन माह से हो रही हिंसा— भारत के खिलाफ बहुत बड़े षड़यंत्र का हिस्सा है। दो महिलाओं के साथ दुराचार भी इसी गैर-उद्घोषित युद्ध का भाग है। इस जंग में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सम्मिलित पात्र, कोई छिपे नहीं है। म्यांमार के दूरस्थ क्षेत्रों में चीन का वर्चस्व है, जहां से वह भारत में असंतुष्ट तत्वों को वैचारिक खुराक, आयुध और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। इसमें नशा-कारोबारियों के साथ चर्च द्वारा पोषित अलगाववादी तक शामिल है। इन सब कारकों ने मणिपुर में ऐसी आग लगाई है, जो बुझने का नाम नहीं ले रही है। मणिपुर में दो...

  • सीमा हैदर पर फिजूल का शक?

    कुछ लोगों का प्रश्न है कि चार बच्चों की मां सीमा कैसे अपनी आयु से पांच वर्ष छोटे सचिन के लिए पहले पति को छोड़ सकती है? ऐसा पूछने वाले भूल जाते है कि प्यार अंधा होता है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पत्नी ब्रिगिट ने तीन प्रौढ़ बच्चों की मां होकर, 32 वर्ष पुराने वैवाहिक जीवन को समाप्त करके अपने प्रेम की खातिर अपनी आयु से 25 साल छोटे और एक समय उनके छात्र रहे मैक्रों से दूसरा विवाह किया है। गत 17-18 जुलाई को पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आई सीमा हैदर, उसके प्रेमी सचिन मीणा और...

  • पंचायत चुनाव में भी बंगाल में इतनी हिंसा!

    स्वतंत्र भारत में चुनाव के समय थोड़ी-बहुत मात्रा में हिंसा की खबरें आती रही है। किंतु प.बंगाल के साथ केरल— चुनाव और सामान्य दिनों में 'राजनीतिक रक्तपात', 'दूसरे विचार के प्रति असहिष्णुता' और 'विरोधियों को शत्रु मानने' संबंधित चिंतन के मामले में सर्वाधिक दागदार है। यह स्थिति तब है, जब इन दोनों प्रदेशों का अपने प्रतिष्ठित इतिहास के साथ भारत का गौरव और संगीत, नृत्य, त्योहार, भोजन आदि के लिए प्रसिद्ध रहा हैं। पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा और परिणाम के बारे में जो आंशका थी, वही हुआ। आठ जुलाई को 73 हजार से अधिक सीटों (ग्राम पंचायत,...

  • हिजाबः ताकि बढ़े कट्टरपंथ!

    हिजाब का मुद्दा वापिस चर्चा में है। इस बार मामला केरल में तिरुवनंतपुरम स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज का है। यहां 26 जून को सात मुस्लिम छात्राओं ने ऑपरेशन थिएटर में हिजाब पहनने की आज्ञा नहीं मिलने पर उनकी मजहबी मान्यताओं के अनुरूप, विकल्प के तौर पर लंबी आस्तीन वाली 'स्क्रब जैकेट' और 'सर्जिकल हुड' पहनने की अनुमति मांगी है। कॉलेज प्रशासन ने रोगियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए ऑपरेशन थिएटरों के भीतर 'विसंक्रमित प्रोटोकॉल' और 'अंतरराष्ट्रीय पोशाक संहिता' मानदंडों का हवाला देकर इस मांग का विरोध किया है। कॉलेज अधिकारियों का कहना है, "परिसर में किसी भी समुदाय के...

  • विपक्ष का हर बात पर विरोध क्यों?

    राष्ट्रीय स्तर पर कल का विपक्ष (भाजपा) आज सत्तारुढ़ है और आज वर्तमान विपक्ष भविष्य में कभी सत्तासीन हो सकता है। सरकार-विपक्ष की जुगलबंदी तभी चलेगी, जब देश और उसका अस्तित्व बना रहेगा। 12वीं शताब्दी में यह गलती जयचंद ने की थी, जिसने व्यक्तिगत खुन्नस के कारण आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी का सहयोग किया था। इसी तरह 18वीं सदी में बंगाल स्थित मीर जाफर ने सत्ता पाने हेतु नवाब सिराजुद्दौला के खिलाफ आक्रांता ब्रितानी रॉबर्ट क्लाइव से हाथ मिला लिया था। दोनों के परिणाम सर्वविदित है। जून की तेईस तारीख को बिहार की राजधानी पटना में 17 विपक्षी दलों की बैठक...

  • उपलब्धियों से भरे हुए है मोदी सरकार के नौ साल!

    दो उपलब्धि मेरे मन को अधिक छूती है। पहला— प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में दुनिया में 'भारत का इकबाल' स्थापित होना। दूसरा— देश के भीतर 'भारत भी कर सकता है' भावना का संचार होना। अर्थात्— 'सब चलता है' वाला दृष्टिकोण अब भूतकाल के गर्त में है। भारत का भविष्य उज्जवल है, परंतु मोदी सरकार को उन आंतरिक-बाह्य शक्तियों से सचेत रहने की आवश्यकता है, जो भारत के बढ़ते कद से कदा भी प्रसन्न नहीं है।… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार के नौ वर्ष पूरे हो गए। इस दौरान उनकी अनेकों प्राप्तियों में जो दो उपलब्धि मेरे...

  • असम मे 600 मदरसों को बंद किया जाना सही

    एक आदर्श समाज में सभी बच्चों को न केवल शिक्षा के समान अवसर मिले, अपितु शिक्षा के माध्यम से ही उनका विकास भी समान जीवनमूल्यों से प्रेरित होना चाहिए— जिसका आधार बहुलतावाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक हो। क्या अधिकांश मदरसों में ऐसी तालीम मिलना संभव है? इस पृष्ठभूमि में जनवरी 2021 में असम सरकार ने राज्य में 731 सरकारी वित्तपोषित मदरसों को नियमित विद्यालयों में परिवर्तित करने हेतु कानून पारित किया था। पुलिसिया आंकड़े के अनुसार, इस समय असम में निजी मदरसों की संख्या लगभग 3,000 है। गत दिनों वाम-उदारवादी और स्वघोषित सेकुलरवादी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भड़क...

  • मुलायम सिंह यादव को संघ की श्रद्धांजलि, क्यों?

    आरएसएस की राष्ट्रीय बैठक में दिवंगत मुलायम सिंह यादव आदि को श्रद्धांजलि देना, श्रीराम द्वारा प्रदत्त परंपराओं का ही अनुसरण है। जब विभिषण अपने भाई रावण के किए पर लज्जित होकर उसके शव का अंतिम संस्कार करने में संकोच करते है, तब श्रीराम कहते है, "मरणान्तानि वैराणि निर्वृत्तं न: प्रयोजनम्। क्रियतामस्य संस्कारो ममाप्येष यथा तव।।" अर्थात्— बैर जीवनकाल तक रहता है। मृत्यु पश्चात उस बैर का अंत हो जाता है। हरियाणा के समालखा में 14 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक हुई। यूं तो इससे संबंधित कई विषय सार्वजनिक विमर्श में रहे। किंतु बीते वर्ष जिन राजनीतिक...

  • ‘हिंदू विकास दर’ का जुमला बेतुका

    वैश्विक घटनाओं से भारत भी प्रभावित है और बढ़ती महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है। किंतु सतत प्रयासों और नीतिगत उपायों से तुलनात्मक रूप से भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। ऐसे कई संकेत है, जो अपने भीतर उत्साह बढ़ाने वाले पहलुओं को समेटे हुए है। वर्ष 2022-23 में कुल निवेश का आंकड़ा, जीडीपी के 34 प्रतिशत के बराबर पहुंच गया है, जो विगत एक दशक में सबसे उच्च है। शुद्ध राष्ट्रीय आय और शुद्ध कर संग्रह सतत बढ़ रहा है। मोदी सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाकर आधारभूत ढांचे को विकसित करने में जुटी है, जो आर्थिक गतिविधियों को गति...

  • चीनी मकड़जाल में फंसा दक्षिण एशिया

    चीन को किसी प्रचलित भाषा या संज्ञा से नहीं बांधा जा सकता। उसकी राजनीति में जहां हिंसक मार्क्सवाद है, तो आर्थिकी निकृष्ट पूंजीवाद पर आधारित है, जहां अमानवीय और उत्पीड़न युक्त साम्राज्यवाद का बीभत्स रूप दिखता है। इसी विषाक्त कॉकटेल रूपी चिंतन से वह अपनी अति-महत्वकांशी और खरबों डॉलर की 'वन बेल्ट वन रोड' (ओबीओआर) परियोजना से पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश सहित 130 से अधिक देशों की संप्रभुता और आर्थिक संरचना को अपने एजेंडे की पूर्ति हेतु प्रभावित कर रहा है। मानव सभ्यता चाहे कितना भी विकास कर लें, उसमें व्याप्त राक्षसी प्रवृतियां आज भी जस की तस है। कमजोर...

  • उत्तरप्रदेश से बदलेगा भारत भाग्य!

    जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, सुशासन, आधारभूत ढांचे का विकास और नीतिगत सुधार— उत्तरप्रदेश का भाग्य बदलने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इसमें व्यावहारिक नीतियां, धरातल उसका क्रियान्वन, भ्रष्टाचार मुक्त शीर्ष नेतृत्व, कड़े कानून व्यवस्था और निवेशकों की सुरक्षा का प्रभावी प्रबंधन, स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष है। क्या भारत की प्रगति, बिना उत्तरप्रदेश के विकास के संभव है? जनसंख्या के संदर्भ में विश्व के पांचवे सबसे बड़े देश से अधिक आबादी उत्तरप्रदेश में बसती है। जब भारत का संकल्प वित्तवर्ष 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है, तो क्या यह कई...

  • क्या है चीन की भारत नीति?

    साम्राज्यवादी चीन का अंतिम लक्ष्य अगले कुछ दशकों में प्रमुख प्रतिद्वंदी— अमेरिका से दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र होने का ताज छीनना है। इसके लिए वह सुदूर प्रशांत, पश्चिमी एशियाई देशों के साथ रूस के साथ नया गठजोड़, तो भारत-अमेरिका संबंध और क्वाड समूह का विरोध कर रहा है। अपनी महत्वकांशा की पूर्ति हेतु चीन, जापान के साथ एशिया में एक 'अलग-थलग' और 'मित्रविहीन' भारत चाहता है, जो उसके षड्यंत्रों में अवरोधक नहीं बने।  क्या भारत, चीन से निपट सकता है? यह प्रश्न बीते छह दशकों से प्रासंगिक है। क्या इस संकट का समाधान उन नीतियों में छिपा है, जिसका...

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