बार-बार ‘हिंदू-मुसलमान’ करने वाले कौन?
क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...