आतंक पर निर्णायक जीत से दूर क्यों?
जिहाद की बौद्धिक जड़ों पर सभ्य समाज प्रायः चुप रहता है, जबकि जिहाद से निर्णायक संघर्ष तभी संभव ...
जिहाद की बौद्धिक जड़ों पर सभ्य समाज प्रायः चुप रहता है, जबकि जिहाद से निर्णायक संघर्ष तभी संभव ...
विडंबना है कि भारत में राष्ट्रवाद को “संकीर्णता” या “सांप्रदा...
आज का भारत केवल बढ़ नहीं रहा, बल्कि शेष दुनिया को दिशा भी दे रहा है। यहां परंपरा और आधुनिकता का...
संकट पाकिस्तान के डीएनए में छिपा है। अपने पिछले लेखों में मैंने स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान न तो सचमुच कोई इस्ला...
दशकों तक स्वतंत्र भारत की विदेश नीति विदेशी विचारधारा से बंधी रही है। इसी वजह से भारत को बार-बार उन मुल्कों के आ...
जहां भारत वैश्विक प्रतियोगिताओं के सेमीफाइनल-फाइनल तक पहुंच रहा है, वहीं पाकिस्तान शुरुआती चरण ...
जातियों को वर्ण की अभिव्यक्ति से जोड़ना मूर्खता है। श्रीभगवद्गीता में श्रीकृष्ण,
सवाल है कि भारत के राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक स्तंभ’ को हजरतबल दरगाह की शिलापट्ट प...
अमेरिका जिन देशों (भारत सहित) की प्रतिष्ठा पर स्वयंभू लोकतंत्र, मानवाधिकार और नैतिकता की दुहाई ...
गंभीर आरोप से लांछित होकर जेल जाने पर संबंधित मंत्री-मुख्यमंत्री का अपने पद से त्यागपत्र देना राजनीतिक शुचिता के...
लोकतांत्रिक प्रक्रिया और वंशवादी मानसिकता परस्पर विरोधी है। जनतंत्र में ‘जन’ क...
21 जून को अपने ‘मित्र’ यहूदी राष्ट्र इजराइल का साथ देते हुए अमेरिका ने ईरान के...
‘सेकुलरवाद’ के नाम पर देश में हिंदुओं को कलंकित करने के लिए वर्षों से झूठा नैर...
यह ठीक है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। परंतु इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि कंबोडिया और थाईलैंड ...