मरेदुमिल्ली। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले में मंगलवार को सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में आला नक्सली कमांडर माडवी हिडमा मारा गया। कई हमलों के कथित सूत्रधार हिडमा की मौत को छत्तीसगढ़ पुलिस ने उग्रवाद के “ताबूत में आखिरी कील” करार दिया है।
अल्लूरी सीतारामराजू जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित बरदार ने बताया कि मुठभेड़ सुबह साढ़े छह से सात बजे के बीच मरेदुमिल्ली मंडल के जंगली इलाके में हुई। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “आज सुबह साढ़े छह से सात बजे के बीच मरेदुमिल्ली मंडल इलाके में माओवादियों और पुलिस दल के बीच गोलीबारी हुई। मुठभेड़ के दौरान छह माओवादी मारे गए।”
इस गोलीबारी में दो महिलाएं और चार पुरुष मारे गए। विश्वसनीय सूत्रों और जांच के आधार पर पुलिस ने पुष्टि की कि हिडमा, उसकी पत्नी मदकम राजे, देवे, लकमल (चैतू), मल्ला (मल्लालु) और कमलू (कमलेश) मारे गए।
मुठभेड़ के बाद पुलिस ने दो एके-47 राइफल, एक पिस्तौल, एक रिवॉल्वर, एक सिंगल बोर हथियार, कई इलेक्ट्रिकल और नॉन-इलेक्ट्रिकल डेटोनेटर, फ्यूज वायर, सात किट बैग और अन्य सामान जब्त किया। एसपी ने बताया कि यह पुलिस विभाग की विभिन्न शाखाओं द्वारा चलाया गया एक संयुक्त अभियान था।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंध्र प्रदेश खुफिया विभाग के एडीजीपी महेश चंद्र लड्डा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगातार दबाव के कारण कुछ बटालियनों के माओवादी आंध्र प्रदेश में जाने की योजना बना रहे थे। इसके मद्देनज़र पुलिस उनकी गतिविधियों पर कड़ी और निरंतर नज़र रखे हुए थी।
लड्डा ने कहा, “पिछले दो दिनों से हमें बहुत ही विशिष्ट ख़ुफिया जानकारी मिल रही थी कि कुछ शीर्ष माओवादी नेता राज्य में प्रवेश कर रहे हैं और आंदोलन को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं।” उन्होंने बताया कि छहों माओवादियों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और उसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, छत्तीसगढ़ पुलिस ने हिडमा की मौत को उग्रवाद के ‘ताबूत में आखिरी कील’ करार दिया है। उसने पिछले दो दशकों में कई हमलों की साजिश रची थी। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का मूल निवासी हिडमा की उम्र और उसका रूप-रंग इस साल की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक रहस्य बना रहा।
अधिकारियों के अनुसार, वह कई वर्षों से माओवादियों की ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी’ (पीएलजीए) की बटालियन नंबर–एक का नेतृत्व कर रहा था, जो दंडकारण्य में संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता माना जाता है।


