पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार ने यह मैसेज बनवाया था कि वह चुनिंदा अधिकारियों को सेवा विस्तार देने की नीति छोड़ रही है। महत्वपूर्ण पदों पर नए अधिकारी लाए गए थे। हालांकि पुराने अधिकारियों को एडजस्ट किया गया था लेकिन बहुत से पदों पर नए अधिकारी लाए गए थे।
यह भी दिख रहा था कि चुनिंदा पदों पर परंपरा के हिसाब से उसी कैडर के लोगों को रखा जा रहा था, जो पहले रखे जाते थे। यानी दूसरे कैडर के लोगों को या बाहरी लोगों के नहीं लाया जा रहा था। लेकिन अब एक बार फिर दिख रहा है कि सेवा विस्तार का दौर लौट आया है।
सेवा विस्तार से अफसरों में नाराजगी
सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो या खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका को एक साल का सेवा विस्तार दिया है। यह उनका दूसरा सेवा विस्तार है। इसका मतलब है कि वे चार साल तक आईबी चीफ के पद पर रहेंगे। गौरतलब है कि 2005 में आईबी चीफ का कार्यकाल दो साल के लिए तय किया गया था और उसके बाद कोई भी आईबी प्रमुख इतने लंबे समय तक पद पर नहीं रहा।
आईबी चीफ से पहले केंद्र सरकार ने सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद को भी एक साल का सेवा विस्तार दिया। ध्यान रहे सीबीआई के निदेशक का पद भी दो साल के लिए होता है। निर्धारित कार्यकाल वाले पदों पर भी सेवा विस्तार दिए जाने से अधिकारियों में निराशा होती है। इससे ऐसा मैसेज जाता है कि अच्छे अधिकारियों की कमी है और सक्षम अधिकारियों के साथ भेदभाव का भी मैसेज जाता है।
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