• आचार संहिता के बाद भी विपक्ष को राहत नहीं

    विपक्षी पार्टियां और कई स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी मान रहे थे कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने और देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद विपक्षी पार्टियों को राहत मिल जाएगी। उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई थम जाएगी और तब वे बेफिक्र होकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ पाएंगे। लेकिन सारे अंदाजे गलत साबित हो गए। विपक्षी पार्टियों ने अगर हालिया इतिहास को ही ध्यान में रखा होता तो वे ऐसा नहीं सोचते। पिछले साल के अंत में जब राज्यों के चुनाव चल रहे थे तब भी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई जारी थी। छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार...

  • चुनाव आयोग की तैयारियों की पोल खुली

    चुनाव आयोग का मुख्य काम लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने का है। किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी करते हुए आयोग को हर पहलू का ध्यान रखना होता है। विधानसभा के कार्यकाल से लेकर राज्य में आने वाले त्योहारों या स्कूल-कॉलेज और प्रतियोगित परीक्षाओं आदि का भी ध्यान रखना होता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग हर पहलू से तैयारियों की समीक्षा नहीं कर रहा है। तभी हर चुनाव में कहीं न कहीं कोई ऐसी गलती हो रही है, जिसे बाद में ठीक करना पड़ रहा है। सोचें, पूरे देश में एक साथ...

  • चार जून और चार सौ पार का नारा

    चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चार जून को क्यों तय की? पिछली बार यानी 2019 के चुनाव में वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी। उससे पहले यानी 2014 में 13 मई को मतगणना हुई थी। इस बार चुनाव आयोग ने मतगणना की तारीख और आगे बढ़ा कर चार जून कर दी। कायदे से इसे कम किया जाना चाहिए था ताकि अपेक्षाकृत कम गर्मी के समय चुनाव हो जाए और वोटों की गिनती हो जाए। एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग के मौजूदा शिड्यूल के हिसाब से आधे से ज्यादा राज्यों में चुनाव प्रचार...

  • लेफ्ट और कांग्रेस का विरोधाभास

    देश में आमतौर पर गठबंधन बनाने का काम विपक्षी पार्टियों का होता है और माना जाता है कि सत्ता पक्ष के खिलाफ गठबंधन बनाना विपक्ष के लिए ज्यादा आसान होता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस समय का विपक्ष इस काम में विफल हो रहा है। भाजपा ने ज्यादा पार्टियों का गठबंधन बनाया है लेकिन किसी भी राज्य में ऐसा नहीं है कि भाजपा की किसी राज्य की गठबंधन सहयोगी दूसरे राज्य में उसके खिलाफ चुनाव लड़ रही है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन पार्टियों से तालमेल किया है उनके साथ परफेक्ट तालमेल है। लेकिन विपक्षी गठबंधन...

  • तमिलनाडु के राज्यपाल का नया विवाद

    तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और राज्य की डीएमके सरकार का विवाद खत्म ही नहीं हो रहा है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद दोनों के बीच नया विवाद शुरू हो गया है। राज्यपाल आरएन रवि ने डीएमके विधायक के पोनमुडी को राज्य सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा था, जिसमें पिछले साल यानी 2023 में हाई कोर्ट ने उनको दोषी ठहरा दिया और सजा सुना दी, जिसके बाद उनको उच्च शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने...

  • चुनाव की अवधि क्यों बढ़ती जा रही?

    इस साल लोकसभा चुनाव की तारीखें भी आगे खिसक गई हैं और चुनाव की अवधि भी ज्यादा बड़ी हो गई है। सवाल है कि भारत में ऐसा क्यों होता है क्यों नहीं चुनाव की तारीख, अवधि आदि तय की जाती है? चुनाव सुधारों की बात होती है लेकिन कभी इस बारे में बात नहीं होती है। गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर साल एक निश्चित दिन होता है। सदियों पहले, जब लोग घोड़े पर चढ़ कर वोट डालने जाते थे तब तय हुआ था कि हर साल नवंबर के पहले मंगलवार को चुनाव होगा। आज तक वह...

  • खराब तुकबंदी से बड़ी चिंताओं का जवाब

    संसद में या संसद से बाहर सार्वजनिक कार्यक्रमों में नेता या पदाधिकारी अपनी बात बेहतर ढंग से कहने या अपनी बात में वजन लाने के लिए शेरो-शायरी किया करते थे। शनिवार को लोकसभा चुनाव की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी कुछ शायरी और कुछ दोहे सुनाए। पार्टियों के नेताओं को दलबदल को मौजूदा दौर में आपसी संबंधों का ख्याल रखने, निजी हमले नहीं करने की सलाह देते हुए उन्होंने बशीर बद्र का शेर सुनाया और रहीम का एक दोहा भी पढ़ा। Election Commission EVM यह भी पढ़ें: भारत का यह अंधा, आदिम चुनाव! दोनों विषय...

  • कांग्रेस की चिंता में कविता की गिरफ्तारी

    यह सवाल उठाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से ऐन पहले तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को क्यों  गिरफ्तार किया गया? उनके खिलाफ मामले लंबे समय से लंबित था और एक स्तर पर उनको अदालत से राहत भी मिली थी। पिछले साल उनसे पूछताछ भी हो चुकी थी। लेकिन अचानक ईडी की टीम उनके यहां छापा मारने पहुंच गई और उसके बाद उनको गिरफ्तार भी कर लिया गया। Telangana politics यह भी पढ़ें: भारत का यह अंधा, आदिम चुनाव! यह भी भारत की जांच एजेंसियों...

  • कांग्रेस में सब बिखरा हुआ

    लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कोई नया गठबंधन तो नहीं बना सकती है लेकिन जो गठबंधन बना हुआ है उसमें भी बहुत कुछ बिखरता दिख रहा है। सोचें, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, हरियाणा, गोवा और गुजरात में तालमेल किया है। लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा रहा है। कांग्रेस के विधायक राजकुमार चब्बेवाल दो दिन पहले आम आदमी पार्टी में चले गए। इसका बड़ा असर दिल्ली और हरियाणा पर होगा। दोनों पार्टियां पंजाब में एक दूसरे के खून की प्यासी हो रही हैं लेकिन बगल के राज्य में...

  • भाजपा के चार सांसदों ने पार्टी छोड़ी

    आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता खासतौर से सांसद या विधायक आदि पार्टी नहीं छोड़ते हैं लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के सांसदों के पार्टी छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह चुनाव की घोषणा के दिन तक जारी रहा। चुनाव की घोषणा के दिन मध्य प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने पार्टी छोड़ दी। BJP MPs left party यह भी पढ़ें: भारत का यह अंधा, आदिम चुनाव! उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिख कर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की सूचना दी। वे निर्दलीय चुनाव लड़...

  • कमजोर पार्टियों से तालमेल के फायदे

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

  • नीतीश नहीं बचा सके अपने सहयोगी को

    बिहार में भाजपा ने अपनी ताकत दिखाई है। उसने जब नीतीश कुमार की वापसी कराई थी तब उनको मुख्यमंत्री तो बना दिया था लेकिन उसी समय साफ कर दिया था कि उनकी वजह से भाजपा अपने किसी पुराने सहयोगी को बाहर नहीं करेगी। लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर जो शुरुआती सहमति बनी है उससे साफ हो गया है कि भाजपा ने अपने पुराने सहयोगियों को तो बचा लिया लेकिन जिनके प्रति नीतीश कुमार का सद्भाव था या जो नीतीश के करीबी माने जाते थे उनको नुकसान हो गया। Bihar politics Nitish Kumar यह भी पढ़ें: भाजपा...

  • कितने पूर्व सीएम सांसद बनेंगे

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 370 सीट जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा इस बार पूरे देश में मजबूत नेताओं को चुनाव लड़ा रही है। प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहे नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा की टिकट दी गई है। आमतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री सांसद बनते हैं और उनकी पार्टी की केंद्र में सरकार बनती है तो वे मंत्री भी बनते हैं। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां बहरहाल, भाजपा ने अभी तक 267 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें उसने आधा दर्जन पूर्व मुख्यमंत्रियों को मैदान में...

  • विवादित नेताओं की फिर कटी टिकट

    भाजपा में विवादित नेताओं की टिकट कटने का सिलसिला जारी है। पार्टी ने पहली सूची में कई विवादित नेताओं को बेटिकट किया है। अक्सर अपने बयानों से विवादों में रही भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है तो संसद के अंदर बसपा सांसद दानिश अली पर विवादित बयान देने वाले रमेश विधूड़ी को भी टिकट नहीं मिली। BJP candidate list यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां यह सिलसिला दूसरी सूची में भी जारी रही। भाजपा ने 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में कर्नाटक के दो ऐसे सांसदों की टिकट...

  • भाजपा के सहयोगियों को खास सुरक्षा

    भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने खुले हाथ से सुरक्षा बांटी है। देश के हर हिस्से में बड़ी संख्या में ऐसे नेता मिल जाएंगे, जिनको वाई या जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली है। अगर नेता भाजपा की सहयोगी पार्टी का है तो उसको सुरक्षा मिलने की संभावन ज्यादा रहती है। y plus z plus securities यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां भाजपा के प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोगियों को अलग अलग श्रेणियों की सुरक्षा मिली हुई है। भाजपा ने अपने नेताओं को भी सुरक्षा देकर उनका कद बढ़ाया है। 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद तो भाजपा...

  • खट्टर के बाद किसकी बारी?

    पिछले 10 साल में मनोहर लाल खट्टर दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और उनको अगले कार्यकाल के लिए फिर मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके अलावा सिर्फ योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनको पांच साल के राज के बाद फिर सीएम बनाया गया। बाकी राज्यों में या तो पांच साल के बाद भाजपा की सरकार नहीं बनी, जैसे महाराष्ट्र, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में या जिन राज्यों में लंबे समय से भाजपा की सरकार थी वहां सरकार रिपीट नहीं हुई, जैसे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में। इसके अलावा जिन राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री रिपीट हुए वो...

  • अब हरियाणा और झारखंड का मामला जुड़ गया

    यह लाख टके का सवाल है कि हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधायक बनाने के लिए विधानसभा की एक सीट का उपचुनाव होगा या मुख्यमंत्री के रूप में उनके छह महीने पूरा करने से पहले ही राज्य में विधानसभा का चुनाव होगा? गौरतलब है कि सैनी विधायक नहीं हैं। वे हरियाणा की करनाल सीट से लोकसभा सदस्य हैं। उनको नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर विधायक बनना होगा। Haryana Jharkhand by election यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा बिना विधायक बने वे 11 सितंबर 2024 तक मुख्यमंत्री रह सकते हैं। अगर...

  • हरियाणा के तमाम पुराने नेता किनारे हुए

    हरियाणा में भाजपा के पुराने नेताओं का हाशिए में जाना 2014 में ही शुरू हो गया था, जब पहली बार के विधायक मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था। वे प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं में शामिल नहीं थे। उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी करीबी का फायदा मिला था। फिर भी उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने से पार्टी के कई बड़े नेता नाराज हुए थे पर सभी सीएम दावेदारों को सरकार में जगह मिल गई थी। Haryana politics BJP यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा उसके बाद एक एक करके सारे पुराने नेता लापता होते गए...

  • सीएए पर राज्यों को कुछ नहीं करना है

    यह बहुत हैरानी की बात है कि राज्यों की सरकारें दावा कर रही हैं कि वे अपने यहां नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को नहीं लागू होने देंगी। सीएए के नियमों की अधिसूचना जारी होने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि वे अपने राज्य में इसे नहीं होने देंगे। जब यह कानून बना था तब भी कई गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसका दावा किया था। CAA यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे अपने...

  • चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय स्टेट ने 24 घंटे के अंदर चुनावी बॉन्ड का पूरा डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है, जिसे 15 मार्च को चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक कर देगा। अब सवाल है कि उससे क्या पता चलेगा? electoral bonds यह भी पढ़ें: खट्टर के बाद किसकी बारी? क्या उससे यह पता चल पाएगा कि किस व्यक्ति या कारोबारी घराने ने कितने रुपए का बॉन्ड खरीदा और किस पार्टी  को दिया? उम्मीद ऐसी ही की जा रही है। लेकिन हो सकता है कि अभी तत्काल इसका पता नहीं चल सके। क्योंकि स्टेट...

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