सत्येन्द्र रंजन
अगले दस मार्चो को आने वाले चुनाव नतीजों से यह मालूम होगा कि उत्तर प्रदेश में अगले पांच साल के लिए किसकी सरकार बनेगी।
भारत सरकार की इस बारे में ताजा सोच क्या है, यह प्रश्न अनुत्तरित है। क्या इस नीति में निहित लाभ-हानि का आकलन करने के बाद भारत सरकार ने फिलहाल उस पर विराम लगा दिया है?
छात्र राजनीति से उभरे 35 वर्षीय बोरिच ने इस बार के चुनाव अभियान में एक खास वादा किया। उन्होंने कहा- ‘चिली नव-उदारवाद की जन्म स्थली बना था
चीन ने पश्चिमी ढंग के लोकतंत्र की उपयोगिता और प्रासंगिकता को जैसी वैचारिक चुनौती दी है, वैसा कभी होगा, इसका अंदाजा भी पश्चिम में हाल तक बहुत कम लोगों रहा होगा।
दशकों की विचार यात्रा से परिचय कराती एक किताब। इस वर्ष जिन किताबों की खूब चर्चा रही, उनमें एक अमर्त्य सेन की एक तरह से आत्म-कथा है।
किसान आंदोलन ने जाति, धर्म, और क्षेत्र के भेदों को भुलाते हुए ऐसी एकजुटता का परिचय दिया, जो भारत में अनूठा है।
कहा जा रहा है कि ये संगठन किसान हित के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक मकसद से आंदोलन पर उतरे थे और इसीलिए उन्होंने मांग मान लिए जाने के बावजूद आंदोलन जारी रखा है।
दुनिया की सबसे धनी एक फीसदी आबादी बाकी पूरी आबादी की तुलना में 30 गुना ज्यादा उत्सर्जन कर रही है।
कहा जा सकता है कि नेहरू-गांधी परिवार के दो उत्तराधिकारियों ने तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद आरएसएस-भाजपा राज का मुकाबला करने का जज्बा दिखाया है।
शी ने अपने दौर में ‘चीनी राष्ट्र के महान नवजीवन’ (great rejuvenation of Chinese nation) के रूप में चित्रित किया है।
मोदी सरकार की यह बड़ी सफलता है कि उसने गरीबी के सवाल को सार्वजनिक चर्चा से बाहर कर रखा है।… जरूरी है कि गरीबी को राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में लाया जाए।
प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा ने उनके और सत्ताधारी पार्टी को इस बात की झलक जरूर दिखा दी है कि खोखले नैरैटिव का करिश्मा वहीं तक कारगर रहता है, जहां कैप्टिव (कैद) दर्शक वर्ग हो।
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि एवरग्रैंड जैसी बड़ी कंपनी का फेल होना चीन में की अर्थव्यवस्था में पैदा हुई विसंगतियों का परिणाम है। ये विसंगतियां चीन में अपनाई गई नीतियों का नतीजा हैं।
पहला सवाल यह है कि क्या चीन की शक्ति को नियंत्रित करना अमेरिका की तरह भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए? ये सवाल अगर 30 या कम से कम 20 साल पहले पूछा जाता, तो उसका जवाब हां में हो सकता था।