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29-04-2025 Vol 19

अशोक 'प्रवृद्ध'

सनातन धर्मं और वैद-पुराण ग्रंथों के गंभीर अध्ययनकर्ता और लेखक। धर्मं-कर्म, तीज-त्यौहार, लोकपरंपराओं पर लिखने की धुन में नया इंडिया में लगातार बहुत लेखन।

पृथ्वी को हम हिंदू धरती माता मानते है!

भूत और भविष्यत सभी काल में सत्यकर्मी, सत्यज्ञानी, जितेंद्रिय, ईश्वर और विद्वानों से प्रीति करने वाले चतुर पुरुष पृथ्वी पर उन्नति करते हैं।

धर्म से प्रेरित है भारतीय कला

शारीरिक व मानसिक कौशलों का प्रयोग कर किए गए मानवीय कृत्रिम निर्माण कार्य को कला की संज्ञा दी गई है।

प्रेम, आकर्षण के देवता कामदेव

आशुतोष ने वरदान दिया कि अब यह बिना शरीर के ही सबको प्रभावित करेगा। इस प्रकार कामदेव अनंग हुए।

उग्र कुल देवियों का स्वरूप

देवी सौम्य, सौम्य उग्र तथा उग्र तीन रूपों में अवस्थित हैं तथा स्वभाव के अनुसार दो कुल में विभाजित हैं- काली कुल तथा श्री कुल।

कर्म की सक्रिय व संयमित धारा यमुना

वेद और वैदिक साहित्य में गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य नदियों का उल्लेख प्रतीकात्मक रूप से हुआ है।

नवरात्र है कायाकल्प का समय

भारतीय नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि तदनुसार 30 मार्च 2025 से आरंभ हो चुकी है।

सरहुल नववर्ष के आरंभ का प्रतीक

जनजातीय समुदाय अर्थात आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं। वे प्रकृति के अत्यंत नजदीक, काफी करीब होते हैं।

सबसे सकारात्मक भावना है खुशी!

international happiness day: वैदिक मतानुसार जगत का रचयिता परमात्मा है। जिस पदार्थ से जगत बना है, उसे प्रकृति अथवा प्रधान कहते हैं।

काशी की मणिकर्णिका महाश्मशान होली

भगवान शिव और मोक्ष की नगरी के रूप में प्रसिद्ध विश्व के प्राचीनतम शहरों में से एक काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।

अनोखी लट्ठमार होली

होलिकोत्सव का पर्व सम्पूर्ण भारत में हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाए जाने की अत्यंत प्राचीन, वृहत, भव्य व पौराणिक परिपाटी है, लेकिन वृन्दावन और मथुरा की होली की...

क्यों लुप्त हुई पुण्यसलिला सरस्वती?

सरस्वती शब्द की व्युत्पति गत्यर्थक सृ धातु से असुन प्रत्यय के योग से निष्पन्न होता है- शब्द सरस, जिसका अर्थ होता है गतिशील जल।

सनातन संस्कृति में है गणतंत्र विचार

गणतंत्र की अवधारणा यूनान, यूरोपादि पश्चिमी देशस्थ पाश्चात्य ज्ञान की नहीं, अपितु भारत, भारतीय और भारतीयता के प्राण वेदों की देन है।

शिक्षा का संगम स्थल भी रहा प्रयागराज

गंगा, यमुना और गुप्त सरस्वती के त्रिवेणी संगम स्थल पर अवस्थित उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आगामी 13 जनवरी 2025 से भव्य रूप से आयोजित होने वाले कुम्भ मेले के...

कुंभ का बहुत धार्मिक महत्व

भारत में पवित्र नदियों के किनारे अवस्थित चार स्थानों - हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में कुम्भ (कुंभ) मेला का पवित्र आयोजन सदियों से होता रहा है।

वैज्ञानिक है भारतीय कालगणना

अधिकांश देशों में नववर्ष की शुरुआत आंग्ल कैलेंडर के अनुसार प्रथम जनवरी से होती हैं।

पाठविधि के कारण वेद में मिलावट संभव नहीं

सभी विद्याओं का मूल वेद है। इसमें संसार के आदिकाल में ईश्वर ने मनुष्यों को जीवन जीने की कला की उपदेश दी है।

10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस

उनकी सलाह है कि आराम करना और पढ़ना चाहिए। आंख तो हमेशा घूमती रहती है, और अगर वह चल नहीं रही है तो आप मृत हैं।

वेद और शब्द नित्य एकरस हैं

शब्द दो प्रकार का होता है-एक नित्य और दूसरा कार्य। इनमें जो शब्द, अर्थ और सम्बन्ध परमेश्वर के ज्ञान में हैं, वे सब नित्य होते हैं, और जो लोगों...

लाला लाजपत राय आर्यसमाजी भी थे!

स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865- 17 नवम्बर 1928) आर्य समाज के भी प्रबल समर्थक थे।

विक्रमादित्य के नवरत्नों में एक थे कालिदास

संस्कृत भाषा के विश्ववन्द्य कवि और महान नाटककार कालिदास का जन्म देवभूमि नाम से प्रसिद्ध उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में कविल्ठा गांव में हुआ था।

श्रीकृष्ण ने जब कंस का वध किया था

महाभारत सभापर्व के जरासंध पर्वाध्याय में श्रीकृष्ण स्वयं इस घटना का वर्णन युधिष्ठिर से करते हुए कहते हैं- भोजवंशीय वृद्ध क्षत्रियगण ने दुष्ट कंस के अत्याचार से अतिशय दुखित...

श्रीकृष्ण और गोपाष्टमी पर्व

श्रीकृष्ण ने गौचारण आरंभ किया और वह शुभ तिथि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी की थी।

पुराणों के महानायक सहस्रार्जुन

कार्तवीर्य सहस्रार्जुन बहुत लोक प्रिय सम्राट थे। विश्व भर के राजा महाराजा मांडलिक, मंडलेश्वर आदि सभी अनुचर की भांति सम्राट सहस्रार्जुन के दरबार में उपस्थित रहते थे।

प्रकृति के सम्मान का प्रतीक पर्व छठ

पौराणिक मान्यतानुसार संतान प्रदाता और रक्षक के रूप में पूजी जाने वाली माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। इन्हें माता कात्यायनी भी कहा...

गायत्री मंत्र के द्रष्टा महर्षि विश्वामित्र

भारत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित ऋषि महर्षि विश्वामित्र ने न सिर्फ अपने ज्ञान और तपस्या के बल पर भारतीय धर्म और संस्कृति को समृद्ध किया, बल्कि अपनी साधना व तपस्या...

प्रार्थना, कामना है महालक्ष्मी आए !

भारत में प्राचीन काल से कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन स्वर्णमयी लक्ष्मी देवी की आराधना- उपासना की  परिपाटी है।

धर्म वही जो आचरण में सदाचारी बनाए।

मनुस्मृति में धर्म के अर्थों के संबंध में वृहद वर्णन अंकित है। धर्म शब्द धृञ् धारणे धातु से मन् प्रत्यय जोड़कर निष्पन्न होता है।

परमेश्वर सबके कर्म को देखता- सुनता है

व्यकित के कर्म को ईश्वर अवश्य ही देख रहा है, सुन रहा है। यह बात मानव मन में बैठी हुई है।

असुर पुराण भ्राताद्वय मधु व कैटभ

दुर्गा सप्तशती के अनुसार भी मधु और कैटभ को विष्णु ने ही मारा था, परंतु देवी ने इस कार्य में उनका साथ दिया था।

सर्वमंगलों की मंगल आद्याशक्ति श्रीदुर्गा

नवरात्र में अष्टभुजाओं वाली भगवती दुर्गा की प्रतिमा स्थापन, पूजन, आराधना  की परिपाटी है। भगवती दुर्गा की प्रतिमा में हाथों की संख्या विभिन्न पुराणों में अलग-अलग अंकित है।

दैविक ज्योति ज्ञान- विज्ञान को जागृत करने का अवसर नवरात्र

वेद सभी सत्य विधाओं की पुस्तक है। वेद अपौरुषेय हैं। वेद ईश्वर की वाणी है। वेद सब सत्य विद्याओं का मूल है। इसलिए केवल वेद विद्या पर ही विश्वास...

अहिंसा का प्रयोग विवेक से हो!

श्रीकृष्ण ने दुष्टता करने वाले मनुष्य की दुष्टता को कुचल देने का उपदेश देता हुए कहा है- विनाशाय च दुष्टकृताम्।

सांकेतिक भाषा को प्रोत्साहन जरूरी

विश्व बधिर संघ की स्थापना 23 सितम्बर 1951 को हुई। यह संघ 135 देशों के बधिर संगठनों से बना है, जो संसार के लगभग 7 करोड़ बधिर लोगों का...

पितृसंबंधी दानकर्म है श्राद्ध

अपने जनक और अन्य यज्ञोपवीत कराने वाले आदि की सेवा को सामान्य प्रकार से तर्पण कहते हैं। श्राद्ध कर्म में पूजने योग्य दो ही हैं- पितृ और देव।

संस्कारों से ही बना होता है आचरण

वैदिक मतानुसार मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है, परन्तु मनुष्य से इतर जीव-जन्तु कर्म करने में स्वतंत्र नहीं हैं। उनको जैसे-तैसे जीवन यापन करना पड़ता है।

वेदों में पर्यावरण की चिंता

यदि समय रहते ओजोन परत को बचाने हेतु कारगर प्रयास नहीं किए गए तो परिणाम भयानक हो सकता हैं।

वाराणसी के पीठों का लोलार्कदित्य स्थान

श्री लोलार्केश्वर महादेव मन्दिर के पास स्थित लोलार्क कुंड वाराणसी के सबसे प्राचीन व पवित्र स्थानों में से एक है।

गहराई से निकाला हुआ भूमिगत जल अत्युत्तम

मानव जीवन में जल का विशिष्ट महत्व है। जल सभी रोगों का इलाज है। जल आनुवंशिक रोगों को भी नष्ट करता है।

जल ही जीवन और अमृत

अक्सर ही पानी अर्थात पेयजल की कमी, जल संरक्षण आदि की खबरें विभिन्न समाचार माध्यमों की सुर्खियां बनती रहती हैं।

सत्य ज्ञान, सद्बुद्धि की प्रणेता गायत्री

परमात्मा की अनेक शक्तियाँ हैं, जिनके कार्य और गुण अलग-अलग हैं। इन शक्तियों  और असंख्य दिव्य गुणों के कारण इनके कई नाम हैं।

तुलसी की महिमा अपरंपार

चित्रकूट के अस्सी घाट पर उन्होंने 1580 ईस्वी में महाकाव्य रामचरितमानस लिखना प्रारंभ किया। इस ग्रंथ को उन्होंने 2 वर्ष 7 महीने और 26 दिन में पूर्ण किया।

मंगलकारी मंगलस्वरूप शिव

शिव का हलाहल पान करना इस बात का प्रतीक है कि वह विष समान कटुतर बातों को अपने कंठ से नीचे नहीं जाने देता।

सनातन संस्कृति के संरक्षक है वृक्ष

उनके औषधीय गुणों को परखकर अनेक पौधों को औषधीय पादपों के रूप में रोगों के उपचार के कार्य में लिया जाने लगा।

भारतवासियों को एक सूत्र में बांधने वाला राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

वैसे तो ध्वज का प्रचलन व इतिहास अत्यंत प्राचीन रहा है, और वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि भारतीय प्राचीन ग्रंथों में भी ध्वज का कई रूपों में वर्णन है।

जिंदादिल है तो हंसे-हंसाए

हंसना-हंसाना अर्थात हंसी -मजाक एक बहुत ही अच्छा कार्य है। इससे स्वयं और दूसरों को भी खुश रखा जा सकता है।

साहसी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

बलिदानी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी  साम्राज्य की सेना से युद्ध करने और रणभूमि में सिर पर तलवार के वार से वीरगति को प्राप्त...

हिन्दू विवाह में रीति-रिवाज पालना जरूरी!

सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर सहमति व्यक्त की है कि मंत्रोचारण के साथ अग्नि के सात फेरों के बिना हिन्दू विवाह वैध नहीं है।

संगीत से शरीर का धडकना है नृत्य

ऋग्वेद के अनेक मंत्रों में नृत्य शब्द का उल्लेख हुआ है। वैदिक, पौराणिक ग्रंथों तथा सामाजिक व ऐतिहासिक कथाओं में भी  नृत्य का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।