नई दिल्ली। भारत के कई बड़े मजदूर संगठन अपनी मांगों को लेकर बुधवार, नौ जुलाई को भारत बंद करेंगे। इसका असर बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, परिवहन, निर्माण और कई राज्यों में सरकारी सेवाओं पर पड़ेगा। देश के 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों और उनके सहयोगी संगठनों का दावा है कि देश भर में बुधवार को 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। बताया जा रहा है कि मजदूर संगठन निजीकरण और चार नए श्रम नियमों के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं।
मजदूर संगठनों ने कहा है कि वे केंद्र की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी नीतियों और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों का विरोध कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में संगठित क्षेत्र में सिर्फ छह करोड़ कर्मचारी हैं। लेकिन असंगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या 50 करोड़ के करीब है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहा कि 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस प्रदर्शन का समर्थन करेंगे।
इसमें बैंक, डाक, कोयला खनन, बीमा, परिवहन, फैक्टरियों और निर्माण जैसे कई सेक्टरों के कर्मचारी शामिल होंगे। रेलवे और टूरिज्म जैसे सेक्टरों को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है। मजदूर संगठनों का कहना है कि सरकार की नीतियां मजदूरों और किसानों के खिलाफ हैं। उनका आरोप है कि सरकार कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का निजीकरण कर रही है, मजदूरों के हक छीन रही है और चार नए लेबर कोड्स के जरिए मजदूरों के हड़ताल करने और सामूहिक सौदेबाजी जैसे अधिकारों को कमजोर कर रही है।