उत्तर प्रदेश और बिहार में निषाद आरक्षण का मसला भाजपा और उसके साथ साथ बिहार की विपक्षी पार्टी राजद के गले की हड्डी बन सकता है। इसकी मांग तेज होती दिख रही है। निषाद समाज की मांग है कि उनको अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया जाए। यह काम सिर्फ केंद्र सरकार कर सकती है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के नेता और राज्य सरकार के मंत्री संजय निषाद ने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 से लेकर दूसरे तमाम उलझे हुए मुद्दे सुलझा दिए तो अब निषाद समाज के आरक्षण का मसला भी सुलझा देना चाहिए। ध्यान रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो साल से भी कम समय रह गए हैं। ऐसे में अगर यह मांग जोर पकड़ती है तो भाजपा को जवाब देना होगा।
उधर बिहार में विकासशील इंसान पार्टी के नेता सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी ने कहा है कि वे अभी भले राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में हैं लेकिन अगर केंद्र सरकार निषाद समाज को अनुसूचित जाति श्रेणी में आरक्षण दे दे तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपनी जान तक दे सकते हैं। उनको पता है कि राजद और कांग्रेस ऐसा कोई वादा करने या आरक्षण देने की स्थिति में नहीं हैं। फिर भी वे इसकी मांग कर रहे हैं। राजद और कांग्रेस के लिए भी वही मुश्किल है, जो भाजपा और केंद्र सरकार के सामने है। अगर मल्लाह समाज को एससी श्रेणी में शामिल किया जाता है तो दलित समाज में नाराजगी होगी। ध्यान रहे बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में दलित आबादी 20 फीसदी के करीब है। कोई भी पार्टी उनको नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती है।