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स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।
  • मोदी नरेटिव से ही जीतते हैं तो इसी से हराओं!

    कहानी जो मोदी के इर्द गिर्द घूम रही है उसे विपक्षी एकता के आसपास लाना होगा। अब जो दूसरी तारीख सम्मेलन के लिए हो उसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। वही एक ऐसा हथियार है जिससे विपक्ष मोदी का मुकाबला कर सकताहै। बाकी सब मुर्खों की कल्पनाओं जैसी बाते हैं। 2014 और 2019 ऐसे हीबिना तैयारी के हारे। और इस बार भी अगर पूरी तैयारी और विपक्षी एकजुटतानहीं होगी तो मोदी जी विपक्ष को खर पतवार की तरह काटते हुए निकल जाएंगे। क्या विपक्ष की समझ में अभी भी नहीं आ रहा कि उसकी हार के क्या कारण...

  • राजस्थान में लड़ाई बंद या युद्धविराम?

    युद्ध विराम भी लंबा होता है कई बार युद्ध समाप्ती तक।युद्ध समाप्ती का मतलब विधानसभा चुनाव तक है। उसके बाद फैसला हो सकता है। मगर तब तक दोनों को साथ मिलकर उस स्थिति को बनाने का प्रयास करना होगाजिसमें फैसला भी कोई बड़ा हो। मसलन मुख्यमंत्री बनने जैसा।यह पक्का है कि राजस्थान में जीत के बाद दोनों का गहलोत और पायलट का कदबहुत बढ़ जाएगा। और उसी के अनुरूप राहुल और खरगे फैसला करेंगे। राहुल गांधी के धेर्ये को दाद देना होगी। कर्नाटक का मामला जैसेसिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच फंसा हुआ था वैसे ही या उससे कहींज्यादा राजस्थान...

  • शिवपुरी में महाराज का माफी मांगना! भला क्यों?

    जिन लोगों ने शिवपुरी में महाराज को मंच पर हाथ जोड़े सिर झुकाए खड़े देखा उनका कहना है कि महाराज बस रोने ही वाले थे। तो क्या यह कांग्रेस से गद्दारी करने का पश्चाताप है? या इन विधानसभा चुनावों में अपने लोगों की हार का डर?...लोगों की नाराजगी क्यों है इसे इन्दौर के मेयर रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी माधव ने बताया है। कार्यकर्ताओं की एक सभा में उन्होंने कहा कि सारे टिकट सिंधिया के साथ आए लोग ले जाएंगे तो हमारे निष्ठावान कार्यकर्ता कहां जाएंगे? महाराज मंच पर हाथ जोड़कर सिर झुकाए खड़े हैं। जनता से...

  • 300 दिन बाद है लोकसभा चुनाव, कांग्रेस कमर कसे!

    कर्नाटक की जीत का उपयोग तुरंत करना चाहिए। कर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी नई टीम की घोषणा जल्दी कर देना चाहिए। और एक बार में। कांग्रेस को कर्नाटक एक लाचिंग पेड की तरह मिला है। यहां से उसे उड़ान भरना है। 2024 लोकसभा चुनाव में अब केवल दस महीने बचे हैं। कांग्रेस टाइम टेबल बना ले। समय बिल्कुल नहीं बचा है। केवल 300 दिन!चार महीने बाद होने चार राज्यों के विधानसभाचुनाव और दस महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तुरंत जुटना चाहिए। जीत से आत्मविश्वास पैदा होता है। और उसका उपयोग तुरंत...

  • कर्नाटक में वोट से पहले भाजपा क्या-क्या नहीं कर रही!

    कर्नाटक में आज (बुधवार, 10 मई को) मतदान हो रहा है। भाजपा घबराई हुई है।भाजपा एक-एक चुनाव का मतलब समझती है। आखिरी आखिरी तक लड़ती है। कर्नाटकमें जब नहींकुछ हो  पा रहा है तो मतदान से एक दिन पहले राजस्थान से कांग्रेसएक नहीं है का नया विवाद पैदा किया।सचिन पायलट कर्नाटक के रिजल्ट तक रूक सकते थे। मगर मतदान से एक दिन पहलेउनके बगावत का एलान करवाकर दस मई वोटिंग डे की सुबह की हेडलाइन और उससेएक दिन पहले 9 मई की शाम की कांग्रेस विरोधी डिबेटों का इंतजाम कर दिया। कांग्रेस की समझ में आ गया होगा कि कुछ...

  • कर्नाटक की हवा का असर छत्तीसगढ़-मप्र पहुंचा!

    छत्तीसगढ़ में भाजपा के सबसे बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गए। वे 3 बार विधायक, 3 बार लोकसभा सदस्य, दो बार राज्यसभासदस्य रहे और अविभाजित मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष भी। मगर इससे उनके महत्व का अंदाजा मत लगाइए। ये देखिए कि वे आज के नहीं जनसंघ के समय के पार्टी के नेता है। और छत्तीसगढ़ में एक तिहाई आबादी आदिवासियों की है।...बड़ी बहन वसुन्धरा भी राजस्थान में कम्फरटेबल नहीं हैं।...वहां से भी कोई बड़ी खबर कभी भी आ सकती है। क्या मौसम बदल रहा है? वेदर, भौगोलिक मौसम नहीं वह तो सब को दिख रहा...

  • विपक्ष सिर्फ 2024 पर फोकस कर एकजुट हो!

    राजनीतिक समझ का असल इम्तहान तेलंगाना में है। वहां मुख्यमंत्री केसीआर खुलकर मोदी के विरोध में हैं। पेंच यह है कि तेलगांना में सीधा मुकाबला सत्तारुढ़ केसीआर से कांग्रेस का है। तो आपस में लडेंगे या समझदारी दिखाएंगे? यहीं अक्ल का और राजनीति का खेल है। जिसमें इन्दिरा गांधी माहिर थी। सो इसमें कांग्रेस के नए अध्यक्ष खडगे कैसे रास्ता निकालते हैं? नीतीश और बाकी विपक्षी नेता कितनी सकारात्मक भूमिका अदाकरते हैं? यह सब देखना दिलचस्प होगा। राजनीति में क्या संभव नहीं है!लक्ष्य बस 2024 होना चाहिए। अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख के अलावा और कुछ नहीं दिखना चाहिए।...

  • धर्म राजनीति के आगे राहुल का जाति गणना कार्ड?

    राहुल गांधी क्या करें? उनके तीन में दो मुख्यमंत्री पिछड़े हैं। पार्टी काअध्यक्ष दलित है। लेकिन उन्हें पिछड़ा विरोधी कहा जा रहा है। मायवती सेजब तब उन्हें दलित विरोधी कहलवा दिया जाता है। वे मंदिरों में गए। जनेऊधारण के फोटो आ गए मगर उधर से भी समर्थन नहीं मिला। धर्म की राजनीति नेसब रास्ते बंद कर दिए।तो मरता क्या न करता? और राहुल ने किया क्या?  वही बात तो कही ना जिसेभाजपा को मुख्यधारा में स्थापित करने वाले लोहिया ने कही थी सौ में साठ,वही बात जो भाजपा से समझौता करके उसे यूपी में आधार देने वाले कांशीरामने कही थी...

  • कब तक चलाएंगे हिंदू बनाम मुसलमान?

    जिस समय सीतारमन अमेरिका में बोल रही थीं कि लेख लिखने वाले भारत आकरदेखे कि यहां मुसलमान किस तरह रह रहे हैं उसी समय छत्तीसगढ़ में भाजपानेताओं की मौजूदगी में व्यापारियों को शपथ दिलाई जा रही थी कि वेमुसलमानों के साथ किसी तरह का लेन-देन का व्यवहार नहीं रखेंगे। उनसे कुछ नहीं खरीदेंगे, कुछ नहीं बेचेगे। यह विडियो चल रहा है। इससे पहले इसीछत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी को गाली दी गई। और फिर उसी गाली देने वाले व्यक्ति कालीचरण महाराज का इन्दौर में खुली तलवारों गाजे बाजों के साथ स्वागत जुलूस निकाला गया। भाजपा के पास देश में केवल हिंदू-मुसलमान...

  • हम अपने नाम बदले, चीन हमारे नाम बदल रहा!

    चीन ने हमारे अरुणाचल के 11 स्थानों के नए नाम रख उन्हे अपनमे नक्शे में बता रहा है। पूरी दुनिया को बताने के लिए उसने बाकायदा लिस्ट और नक्शा जारी किया है। पिछले नौ वर्षों में वह हमारे करीब 30 स्थानों के नाम बदल चुका है।इससे पहले 2017 में डोकलाम के समय और फिर 2021 में गलवान के बाद चीन ने21 जगहों के नाम बदले थे। जाहिर है कि यह जगह हमारी थी। हमारी हैं।लेकिन चीन हमारे देश की जगहों के नाम इतनी आसानी से बदल रहा है जितनी हम बदलते हैं। हमने भी पिछले 9 सालों में दर्जनों जगहों...

  • बीस हजार करोड़ रू का घर-घर, गली-गली शोर?

    राहुल का सवाल यही तो है कि यह बीस हजार करोड़ रुपया किसका है जो अडानी को दिया गया?...यदि विपक्ष तरीके से इसे उठा सका तोयह बोफोर्स की तरह घर-घर, गली-गली में शोर बनाए होगा। क्योंकि यह हर आदमी का पैसा है।... जनता को समझाना होगा कि यह बीस हजार करोड़ रुपए वापस उसके पास कैसे आ सकते हैं? राहुल खुद न कहना चाहें तो खडगे कहें कि विपक्ष की सरकार बनेगी तो पहला फैसला होगा अडानी से वसूल कर बीस हजार करोड़ रू. की लोगों की जेब में वापसी होगी। ये ज्यादा हो गया! यह आम आदमी की भावना...

  • राहुल की हिम्मत और क्षत्रपों की फार्मूला राजनीति

    भारतीय राजनीति एक बहुत ही हिम्मत भरा एपिसोड देख रही है।राहुल को चारों तरफ से घेरा जा रहा है। सत्ता पक्ष तो है ही। मीडिया,विपक्ष का एक हिस्सा और डरे हुए कांग्रेसी भी राहुल के खिलाफ हैं। राहुलजितना ज्यादा साहस का प्रदर्शन करते हैं कांग्रेस के सुविधा और सुरक्षापसंद नेताओं का उतना ही डर बढ़ता जाता है। वे पिछले गेट से सरकार औरभाजपा को मैसेज पहुंचाते रहते हैं कि हम राहुल के साथ नहीं हैं। हम अंधमोदी विरोध की राजनीति नहीं करते। इस वाक्य का सीधा मतलब होता है किराहुल अंध मोदी विरोध करते हैं। क्या फार्मूलों से राजनीति चलती...

  • राहुल तो कभी माफी नहीं मांगेगे!

    राहुल मंगलवार को एक नए सवाल के साथ आ गए कि भारत की विदेश नीति का लक्ष्य क्या है? बताइए यह भी कोई बात है।दुनिया जानती है कि भारत की विदेश नीति निर्गुट आंदोलन के आधार पर दुनिया भर में सम्मानित रही। भारत तीसरी दुनिया के देशों का नेता रहा। उसके प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उनकी आवाज उठाते रहे। और यह क्या बात हुई कि आज राहुल कह रहे हैं कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी विदेशों में अडानी की आवाज उठाते हैं। पड़ोसी देशों पर अडानी की सहायता का दबाव बनाते हैं।राहुल ने तथ्यों के साथ एक वीडियो इश्यू कर...

  • लड़ लो सब अलग-अलग.. फिर मोदीजी को छू भी नहीं पाओगे?

    आज होली पर कौन कितना लिखेगा, कहना मुश्किल है। हमें तो एक आइडिया आयातो लिख दिया कि भैया लड़ लो अकेले अकेले। फिर जीवन पर आपस में ही लड़तेरहना। इस बार जीतकर मोदी जी और भाजपा आपकी पहुंच से बहुत ऊपर चले जाएंगे।छू भी नहीं पाओगे।......होली अपने आप में एक मानक है, बैरोमीटर। जिससे मालूम पड़ता है कि बोलो कितना बोल सकते हो, लिख सकते हो, खुश उन्मुक्त रह सकते हो। इस बातकी परवाह किए बिना कि कहीं महाराज को बुरा न लग जाए। ... होली के रंगीन विचारों के बीच यह आइडिया सबका मनभावन है कि 2024 कालोकसभा चुनाव...

  • सिसोदिया के लिए पूरा विपक्ष लड़े, खासकर कांग्रेस!

    कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल है। इस लिए जिम्मेदारी भी उसकी सबसे ज्यादा है। उसे आगे बढ़कर विपक्षी एकता का अलख जगाना होगा। यदि मोदी की हैट्रिक हो गई तो फिर उसके बाद कांग्रेस और दूसरा विपक्ष कहां देखने को मिलेगा?.. यह एक टेस्ट केस है कि विपक्ष मेंकितनी हिम्मत बची है। वह कितना प्रतिरोध कर सकता है?...कांग्रेस के महासचिव और जयराम रमेश ने गिरफ्तारी का विरोध करके अपने रायपुर महाधिवेशन की उस भावना को व्यक्तकर दिया कि विपक्षी एकता आज की सबसे बड़ी जरूरत है।.... पर कांग्रेस को हर विपक्षी पार्टी के लिए खुल कर मैदान में आना चाहिए।...

  • क्या रायपुर से कांग्रेस को 2024 का चुनावी रोडमेप मिलेगा?

    इस समय बाल राहुल के बैट के बीचोंबीच आ रही है। बैटसमेन को समझना चाहिए यह। इस देसी भाषा में कहते हैं भलाई आई है। मतलब फार्म। शाट में गति के साथ साउंड आ रहा है। ठक की यह आवाज बैटसमेन को बहुत अच्छी लगती है। स्कोर बढ़ाते रहने का उत्साह बढ़ता जाता है।...विपक्षी खेमा तो घबराया हुआ है। मगर कांग्रेस नहीं समझ रही।...खड़गेजी को ही रायपुर से यह मैसेज देना होगा कि पार्टी का 2024 तक रोडमेप क्या है। कांग्रेस शिकायत करती है कि उसे प्रचार करना नहीं आया। दस साल यूपीए सरकार ने बहुत अच्छा काम किया। छापों...

  • राहुल को उत्तर (यूपी) में ही डटना चाहिए !

    राहुल को उत्तर में ही जाने से रोका जा रहा है। दक्षिण से (केरल) उत्तर (वाराणसी) आ रहे उनके विमान को वाराणसी में उतरने नहीं दिया गया। राहुल पहले बनारस में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करके प्रयागराज आने वाले थे। फिलहाल दोनों प्रोग्राम कैन्सिल हो गए हैं। लेकिन राहुल को और कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि जिस यूपी में वे समाप्त प्राय हो गए वहां सरकार उन्हें उतरने से क्यों रोक रही है? राजकुमार उत्तर दिशा में नहीं जाना! दादी नानी की हर पुरानी कहानी यहींसे शुरू होती थी। और हर कहानी में राजकुमार सबसे पहले उत्तर दिशा की...

  • यात्रा कांग्रेसियों, जनता से सफल न कि सिविल सोसायटी से

    यात्रा जनता ने सफल की है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने की है। समर्पित कांग्रेसी नेताओं ने की है। किसी फ्राड सिविल सोसायटी ने नहीं। बाकी आगे राहुल जानें और उनके सलाहकार, नजदीकी लोग!...योगेन्द्र यादव के मामले में तो किसी प्रस्ताव की जरूरत ही नहीं है। अगर इसी रफ्तार से कांग्रेस पर उनका प्रभाव बढ़ता रहा तो हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर उनका नाम प्रस्तावित हो सकता है। कांग्रेस की उदारता की तो कोई सीमा ही नहीं है! कांग्रेस में एक सवाल हमेशा उठता रहता है कि राहुल का मनमोहन सिंह कौन होगा? योगेन्द्र यादव का कांग्रेस पर बढ़ता प्रभाव...

  • अब राहुल, प्रियंका अमेठी-रायबरेली जाएं, लोगों को जोड़े!

    और अविस्मरणीय। ऊपर से बर्फ गिर रही। नीचे बर्फ जमी और उसके बीच में लोगजमे। और ऐसे ही बर्फबारी के बीच राहुल दिल से बोलते हुए। लगभग चार महीने, चार हजार किलोमीटर और हजारों लोगो के साथ की गई यात्रा का समापन एक संतोषभाव के साथ कठिन क्षण भी होता है। राहुल भी भावुक थे और सुनने वाले भी। दुनिया की अच्छी स्पीचें कभी उस समय लोगों को समझ में नहीं आती हैं। बाद में इतिहास बताता है कि कैसे वह भाषण उस देश, समाज के लिए टर्निंग पाइंट था। राहुल का 30 जनवरी का श्रीनगर के शेर ए कश्मीर...

  • राहुल बताए श्रीनगर में असली रोडमेप

    कांग्रेस का आधार नेता नहीं जनता है।जिसका अपार समर्थन उन्हें हर राज्य में पूरी यात्रा में मिला। और देश भरमें अभी भी बिना किसी सहायता प्रोत्साहन के मौजूद हजारों दिल सेकांग्रेसी कार्यकर्ता। राहुल को इन्हीं के लिए कांग्रेस को वापस सत्ता में लाना होगा। यात्रा केदौरान प्रेम, भाईचारे, बेरोजगारी, मंहगाई, अग्निवीर, शिक्षा, चिकित्सा,खेती किसानी, गलत जीएसटी जितनी भी बातें की हैं वे सत्ता में आकर ही वेइम्प्लीमेंट कर सकते हैं।इसीलिए यात्रा के बाद क्या और कैसे? इसका जबाव उन्हें श्रीनगर से देनाचाहिए। आगे का रोडमेप! हो गई यात्रा। अब इसके बाद क्या? यात्रा अपने आप में उद्देश्य नहीं थी।गांधी जी...

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