मोदी नरेटिव से ही जीतते हैं तो इसी से हराओं!
कहानी जो मोदी के इर्द गिर्द घूम रही है उसे विपक्षी एकता के आसपास लाना होगा। अब जो दूसरी तारीख सम्मेलन के लिए हो उसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। वही एक ऐसा हथियार है जिससे विपक्ष मोदी का मुकाबला कर सकताहै। बाकी सब मुर्खों की कल्पनाओं जैसी बाते हैं। 2014 और 2019 ऐसे हीबिना तैयारी के हारे। और इस बार भी अगर पूरी तैयारी और विपक्षी एकजुटतानहीं होगी तो मोदी जी विपक्ष को खर पतवार की तरह काटते हुए निकल जाएंगे। क्या विपक्ष की समझ में अभी भी नहीं आ रहा कि उसकी हार के क्या कारण...