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01-07-2025 Vol 19

शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

कर्नाटक की हवा का असर छत्तीसगढ़-मप्र पहुंचा!

छत्तीसगढ़ में भाजपा के सबसे बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गए।

विपक्ष सिर्फ 2024 पर फोकस कर एकजुट हो!

वहां मुख्यमंत्री केसीआर खुलकर मोदी के विरोध में हैं। पेंच यह है कि तेलगांना में सीधा मुकाबला सत्तारुढ़ केसीआर से कांग्रेस का है।

धर्म राजनीति के आगे राहुल का जाति गणना कार्ड?

पार्टी काअध्यक्ष दलित है। लेकिन उन्हें पिछड़ा विरोधी कहा जा रहा है। मायवती सेजब तब उन्हें दलित विरोधी कहलवा दिया जाता है।

कब तक चलाएंगे हिंदू बनाम मुसलमान?

निर्मला सीतारमन इनदिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। और वहां के अख़बार भरे पड़े हैं कि हिन्दुस्तान में किस तरह साम्प्रदायिकता बढ़ाई जा रही है।

हम अपने नाम बदले, चीन हमारे नाम बदल रहा!

चीन ने हमारे अरुणाचल के 11 स्थानों के नए नाम रख उन्हे अपनमे नक्शे में बता रहा है। पूरी दुनिया को बताने के लिए उसने बाकायदा लिस्ट और नक्शा...

बीस हजार करोड़ रू का घर-घर, गली-गली शोर?

राहुल का सवाल यही तो है कि यह बीस हजार करोड़ रुपया किसका है जो अडानी को दिया गया?

राहुल की हिम्मत और क्षत्रपों की फार्मूला राजनीति

भारतीय राजनीति एक बहुत ही हिम्मत भरा एपिसोड देख रही है।राहुल को चारों तरफ से घेरा जा रहा है। सत्ता पक्ष तो है ही।

राहुल तो कभी माफी नहीं मांगेगे!

राहुल मंगलवार को एक नए सवाल के साथ आ गए कि भारत की विदेश नीति का लक्ष्य क्या है, राहुल ने तथ्यों के साथ एक वीडियो इश्यू कर दिया...

लड़ लो सब अलग-अलग.. फिर मोदीजी को छू भी नहीं पाओगे?

आज होली पर कौन कितना लिखेगा, कहना मुश्किल है। हमें तो एक आइडिया आयातो लिख दिया कि भैया लड़ लो अकेले अकेले।

सिसोदिया के लिए पूरा विपक्ष लड़े, खासकर कांग्रेस!

कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल है। इस लिए जिम्मेदारी भी उसकी सबसे ज्यादा है। उसे आगे बढ़कर विपक्षी एकता का अलख जगाना होगा।

क्या रायपुर से कांग्रेस को 2024 का चुनावी रोडमेप मिलेगा?

छापों से कांग्रेस का क्या बिगड़ेगा? अंग्रेजों ने भी ऐसे छापे मारे थे। क्या हुआ? 1942 में भी कांग्रेस का प्लेनरी (महाधिवेशन)मुबंई में था।

राहुल को उत्तर (यूपी) में ही डटना चाहिए !

राहुल को उत्तर में ही जाने से रोका जा रहा है। दक्षिण से (केरल) उत्तर(वाराणसी) आ रहे उनके विमान को वाराणसी में उतरने नहीं दिया गया।

यात्रा कांग्रेसियों, जनता से सफल न कि सिविल सोसायटी से

यात्रा जनता ने सफल की है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने की है। समर्पित कांग्रेसी नेताओं ने की है। किसी फ्राड सिविल सोसायटी ने नहीं।

अब राहुल, प्रियंका अमेठी-रायबरेली जाएं, लोगों को जोड़े!

राहुल जो पूरी यात्रा में प्रेम का संदेश देते पहुंचे हैं यही उसका सारथा। नफरत, हिंसा खत्म हो। प्रेम भाईचारा, परस्पर विश्वास देश में वापस आए।

राहुल बताए श्रीनगर में असली रोडमेप

हो गई यात्रा। अब इसके बाद क्या? यात्रा अपने आप में उद्देश्य नहीं थी।गांधी जी की दांडी यात्रा इसीलिए सफल थी कि उसका उद्देश्य स्पष्ट औरदृष्टव्य था।

राहुल का अशोक वाजपेयी से सहमत नहीं होना अच्छा!

 राहुल की यात्रा के कई रंग हैं। इसमें एक सबसे खूबसूरत लेखक, कवियों को आमंत्रित करना है। यह तो हमें पता नहीं कि कितने साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया।

राहुल ठाने कि कांग्रेसी केवल उनका इस्तेमाल न करें!

राहुल गांधी ने ठान लिया था कि कोई साथ आए या न आए मैं अकेला हीचलूंगा।राहुल को क्यों कहनी पड़ी थी यह बात कि में अकेले चलूंगा। क्योंकि जिससभा...

मायावती के रास्ते पर डरे हुए अखिलेश?

अखिलेश, मायवती की तरह ही एक डरे हुए नेता बन रहे हैं। उसका नतीजा भी वहीहोगा। मायावती की तरह वे भी यूपी में खत्म हो जाएंगे।