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30-06-2025 Vol 19

शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

मोदी मोदी नहीं क्योंकि नौकरी, नौकरी

। बेरोजगारी, काम नहीं, जेब खाली। यही असल मसला है। ...महंगाई इसीलिए दूसरे नंबर पर है। जेब में पैसा ही नहीं है तो क्या महंगा क्या सस्ता।

बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार किसकी सरकार?

.प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रजव्वल रैवन्ना के लिए वोट मांगते हुए कह रहे थेकि इन्हें दिया हुआ हर वोट मुझे मजबूत करेगा वो तो हकीकत का अल्टिमेट है।

वोट के लिए मोदी और कितना गिरेंगे ?

चर्चिल ने कहा था, भारत के नेताओं की भाषा तो मीठी होगी मगर दिल चालबाजियों से, बेवकूफियों से भरा होगा। वे भारत को खत्म कर देंगे। उनका कहां आज...

चुनाव में भुलाया जा रहा कोरोना का समय

क्या जनता बिल्कुल ही सोई हुई है? उसे अपना हित -अनहित कुछ नहीं मालूम?

कांग्रेस को चाहिए दिग्विजय जैसे अथक मेहनती!

अभी बात कांग्रेस में कौन कौन लड़ सकता है पर हो रही है। लड़ सकता है मतलब विपरीत परिस्थिति में, हर हाल में पार्टी केसाथ खड़े होना। नेतृत्व के...

राहुल गांधी की हिम्मत, विपक्ष की हिम्मत

विपक्ष की एकता और राहुल की विश्वसनीयता इस चुनाव में सबसे बड़ी ताकत हैं। मोदी और हैटट्रिक के बीच बड़ी दीवार!

कांग्रेस ओबीसी राजनीति छोड़े, पुरानी समावेशी बने!

इन्दिरा गांधी की बात यहीं याद आती है कि कमजोर वर्ग के बीच जाकर काम करो। उनका सामाजिक नेतृत्व करो। कांग्रेस को यही करने की जरूरत है।

चुनाव बेरोजगारी और महंगाई पर होगा

शहर से लेकर गांवों तक हर जगह शिक्षित, उच्च शिक्षित बेरोजगार युवाओं की भीड़ है। इनकी संख्या करोड़ों में है। ऐसे ही महंगाई की समस्या है। Lok sabha Election

बीजेपी के पास ध्रुवीकरण के अलावा और कुछ नहीं

हरियाणा में उसने अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है। उससे पहले जिस नागरिकताकानून को ठंडे बस्ते में डाल रखा था उसे अचानक निकाल कर लागू कर दिया।

मीडिया बीस साल से राहुल का विरोधी

राहुल का विरोध तब भी ऐसा ही होता था। और जिस तरह आज कांग्रेसी उनकी मदद नहीं करते उसी तरह उस समय भी नहीं करते थे। Rahul Gandhi congress

समय बड़ा बलवान, युवा उठ रहा बेरोजगारी मुद्दे पर?

युवाओं का नशा एकदम से उतरा दिखने लगा है। यूपी में पुलिस भर्ती का पर्चा लीक होने के बाद बेरोजगारों पर चढ़ा धर्म का नशा काफूर हो गया।

गुलाम नबी, कमलनाथ जैसों का क्या ईमान-धर्म?

इतना तो 2019 में राहुल गांधी को नहीं मनाया गया था जितना कमलनाथ को कांग्रेस नेता ने अभी मना रहे हैं।कांग्रेसियों ने सारे दावे कर दिए है कि वे...

लोकतंत्र में किसान जैसे दुश्मन सेना!

यह क्या दुश्मन से निपटने से कम है? जब उसे अन्नदाता कहा जाता था तब भी इस विशेषण से हम ज्यादा सहमत नहीं थे।

झारखंड, चंडीगढ़ और ‘इंडिया’ का हौसला

खेल अब दिलचस्प हो गया है। इंडिया गठबंधन की एकता मजबूत हो गई है। और यहीविपक्ष की जीत का रास्ता है। झारखंड और चंड़ीगढ़ गवाह हैं।

मोदी के नशे का तोड़ क्या?

अब यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मोदी जी अपना तीसरा चुनाव मंदिर के नाम पर ही लड़ेंगे। उनका लक्ष्य देश का सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री...

राहुल का यात्रा से सभी विपक्षी दलों को लाभ

राहुल गांधी की यात्रा से सभी विपक्षी दलों को फायदा मिलेगा। इसलिए क्योंकि जब डर कामाहौल हटेगा तो उसका सभी विरोधी नेताओं को फायदा है।

विपक्ष जान ले अभी नहीं तो कभी नहीं!

राहुल ने एक धुरी बना दी है। जिसके चारों तरफ विपक्ष इकट्ठा हो सकता है।और वह धुरी कोई राहुल को नेता स्वीकार करने की नहीं है। बल्कि सब विपक्षके...

आडवाणी, डा जोशी से भला क्या दिक्कत?

भारत में वरिष्ठ जनों का हमेशा सम्मान होता रहा है। मगर दक्षिणपंथी और प्रतिक्रियावादी शोर मचाए होते हैं हम संस्कारी है। बुजुर्गों का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी सेवा...

कांग्रेस सुधरे, ‘इंडिया’ में सही सीट शेयरिंग हो तभी…

एक सीट पर एक लड़ लिए तो मोदी जी के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी। हिन्दू-मुसलमान कुछ नहीं चलेगा।

कांग्रेस को कांग्रेसी नेताओं ने मारा

कांग्रेस में किसी को नहीं मालूम की राहुल, प्रियंका या पार्टी अध्यक्ष खरगे से मिलने का तरीका क्या है? मुलाकात इतनी मुश्किल बना रखी है कि बड़े नेता भी...

अब राहुल ट्वंटी – 20 वाले शाट मारने लगे!

राहुल यह समझ गए हैं। वे अब ट्वंटी ट्वंटी में उसी के हिसाब सेखेल रहे हैं। क्रास बैट। बाल को जोर से मारना है। कैसे मारना है।

जीत हार जो भी हो मोदीजी की होगी

दूसरा भी बड़ा नहीं बहुत बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। और साथ ही सबको लेकर चल रहा है। हिमाचल, कर्नाटक जीतकर बने माहौल को और बढ़ा रहा है।

‘इंडिया’ के तब राहुल एक छत्र नेता!

मोदी जी का हर अस्त्र इन दिनों राहुल की तरफ जा रहा है। पूरी भाजपा, मीडिया सबको राहुल फोबिया हो गया है।

कांग्रेस का इन चुनावों में जीतना जरूरी!

मोदी जी अंदर से घबराए हुए हैं। मिजोरम गए नहीं। साढ़े नौ साल में यह पहला चुनाव है जब प्रधानमंत्री किसीचुनाव वाले राज्य में भाषण देने नहीं गए हों।

प्रजा जब आज्ञाकारी तो चुनावी चंदे का हिसाब क्यों?

केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जनता को यह जानने का हक नहीं है कि राजनीतिक दलों मतलब भाजपा को मिलने वाला चंदा कहां से आ...

नफरत को हराना हो पहला चुनावी मकसद!

प्रधानमंत्री मोदी बहुत से सवालों से घिरने लगे हैं। उनके पास बचाव का एकही रास्ता है। हिन्दू-मुसलमान! उसमें फंसने से सब को बचना चाहिए!

फिलीस्तिनियों के लिए इस्लामी देशों ने क्या किया?

इजराइल-फिलिस्तिन मामले का उपयोग देश में नफरत बढ़ाने के लिए न करके इस समस्या के हल की गंभीर कोशिश करके आप वास्तविक विश्व गुरु बन सकते हैं।

हिन्दू-मुसलमान की काट में राहुल की जातिगणना

राहुल ने साफ कर दिया है कि वह इन विधानसभा चुनावों में जातिगत जनगणना कोही सबसे बडे मुद्दे के रूप में लेकर जाएंगे।

डरे हुए मीडिया को और डराना

मीडिया को और ज्यादा डराए जाने के लिए यह छापे हैं। वर्ल्ड प्रेसफ्रीडम इंडेक्स में भारत 161 वें स्थान पर है। हर साल नीचे खिसकता जा रहा है।

हिंदू मुसलमान से हटकर जाति जनगणना बना मुख्य मुद्दा!

क्या मध्य प्रदेश से फिर साबित हो रहा है कि अब चुनाव धर्म को मुद्दा बनाकर नहीं जीते जा सकते? कर्नाटक ने तो अभी बताया ही था। वहां प्रधानमंत्री...

महिला बिल: सोनिया का ठीक कहना- “अपना है”

उन दिनों सोनिया गांधी फार्म में थी। उनका जादू चल रहा था।मनरेगा और किसान कर्ज माफी जैसे क्रान्तिकारी फैसले ले चुकी थीं। महिला बिल पर भी भाजपा उनके प्रभाव...

राहुल का बढ़ता कद और बढ़ती साजिशें

राहुल का असर बढ़ता जा रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका के बाद यूरोप के ताजा दौरेने राहुल की लोकप्रियता का दायरा बहुत बढ़ा दिया है।

‘इंडिया’ से ऐसी हिली सरकार जो ‘प्रेसिडेटं ऑफ भारत’ हुआ!

जी-20 देशों के नेताओं को 9 सितम्बरको डिनर पर बुलाने का जो न्योता भेजा गया है उस पर ‘प्रेसिडेंट आफइन्डिया’ के बदले ‘प्रेसिडेंट आफ भारत’ लिखवाया गया है।

कांग्रेस विधानसभा जीतेगी तभी ‘इंडिया’ मजबूत!

कांग्रेस के एक बहुत वरिष्ठ नेता ने हमसे पूछा कि क्या विपक्षी दलों के गठबंधन इन्डिया का कोई झंडा भी होगा? हमारे पास इसका क्या जवाब था सिवाय इसके...

राहुल ने पैंगाग जाकर चीन को सीधी चुनौती दी

हां उसके किनारे राजीव गांधी का बड़ा सा चित्र लगाकर उनका बर्थ डे मनाते हुए राहुल ने चीन को सीधे चैलेंज किया।

‘इंडिया’ दिखाए चुस्ती-फुर्ती, तभी बनेगी बात

नाम ने तो भोकाल मचा दिया। मगर वही बात है कि नयनसुख रखने से ही तो दुनिया के नजारे नहीं दिखेंगे। घर से निकलना पड़ेगा। जाना पड़ेगा।

राहुल व कांग्रेस गोदी मीडिया से बाहर निकले!

अगर बारीकी से देंखें तो चीजें आपको बदलती हुई दिखने लगेंगी। और अगर ऐसा ही रहा तो कुछ समय बाद बारीकी से देखने की जरूरत नहीं होगी बदलाव सबकोसाफ...

क्या संघ- भाजपा को मालूम भी देश कहां ले जा रहे?

हम अभी भी यह स्वीकार नहीं कर पा रहे कि संघ और भाजपा देश को तोड़ने की स्थिति तक जा सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि हम संघ...

सत्तर साल चर्चिल सही नहीं मगर अब मोदी राज में है!

यूरोपियन यूनियन ने मणिपुर पर प्रस्ताव पास किया है और ब्रिटेन की संसद में भी मणिपुर का मामला उठा।

मणिपुर पर मोदी मौन क्यों ?

क्या कारण है? कोई बता सकता है? क्या मणिपुर में गुजरात पार्ट- 2 किया जा रहा है? नरसंहार तो उसी तरह हो रहा है।

अब किसी तोड़फोड़ से राहुल नहीं रुकेंगे !

न्यूज चैनलों और अखबारों में ऐसे ही हैडिंग भरे पड़े हैं। एनसीपीके बाद जेडीयू तोडेंगे। उत्तर प्रदेश में भी विपक्ष टूटेगा। कर्नाटक बचेगा नहीं, कांग्रेस मध्य प्रदेश को याद...

मध्यप्रदेश में कांग्रेस एकजुट वही भाजपा बिखरी हुई!

विदेश से लौटते ही प्रधानमंत्री मोदी का मध्यप्रदेश दौरा बताता है कियहां का चुनाव वे ही लड़ेगे और अपने पुराने हिंदू- मुस्लिमएजेंडे पर ही।

राहुल अकेले, न थके, न डरे और न निराश हुए!

राहुल का कोई इलाज है नहीं। भाजपा और गोदी मीडिया के साथ कांग्रेसियों के पास भी नहीं। ऐसी शख्सियतें कुदरत खुद बनाती है।

मोदी नरेटिव से ही जीतते हैं तो इसी से हराओं!

कहानी जो मोदी के इर्द गिर्द घूम रही है उसे विपक्षी एकता के आसपास लाना होगा। अब जो दूसरी तारीख सम्मेलन के लिए हो उसे बहुत गंभीरता से लेने...

राजस्थान में लड़ाई बंद या युद्धविराम?

युद्ध विराम भी लंबा होता है कई बार युद्ध समाप्ती तक।युद्ध समाप्ती का मतलब विधानसभा चुनाव तक है। उसके बाद फैसला हो सकता है।

शिवपुरी में महाराज का माफी मांगना! भला क्यों?

जिन लोगों ने शिवपुरी में महाराज को मंच पर हाथ जोड़े सिर झुकाए खड़े देखा उनका कहना है कि महाराज बस रोने ही वाले थे।

300 दिन बाद है लोकसभा चुनाव, कांग्रेस कमर कसे!

कर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी नई टीम की घोषणा जल्दी कर देना चाहिए।

कर्नाटक में वोट से पहले भाजपा क्या-क्या नहीं कर रही!

कर्नाटक में आज (बुधवार, 10 मई को) मतदान हो रहा है। भाजपा घबराई हुई है।भाजपा एक-एक चुनाव का मतलब समझती है। आखिरी आखिरी तक लड़ती है।