भला अभी से क्यों वोट के लिए माहौल बनाया जा रहा हैं? अभी तो लोकसभा हुए एक ही साल हुआ। क्या चार सौ पार का माहौल बन गया हैं? या उससे भी ऊपर? क्या राजीव गांधी का 1985 का रिकार्ड 414 तोड़ने का समय आ गया? पता नहीं?
मगर यह सबको दिख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा और यहां तक कि हमारे विदेशों में गए प्रतिनिधिमंडल भी पाकिस्तान और आतंकवाद की बात न करके कांग्रेस विरोधी प्रचार में इस तरह लगे हैं जैसे चुनाव का समय हो और वोट लेना हो।
अभी तो सिर्फ बिहार के चुनाव हैं। और वह भी 6 महीने दूर। क्या उसके लिए प्रधानमंत्री राजनीतिक रैलियां कर रहे हैं? मोदी की गोली खाओ, बाढ़ में डूब जाओगे जैसी भाषा जिसे कांग्रेस फिल्मी डायलग कह रही है बोल रहे हैं? साथ ही उसी लय में कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं। 1960 तक पहुंच गए। नेहरू के बांध में कमियां निकालने।
नेहरू ने भागड़ा नंगल डेम से लेकर दामोदर घाटी परियोजना, तुंगभद्रा, इन्दिरा गांधी नहर, हीराकुंड कितनी जल परियोजनाएं बनाईं याद करना मुश्किल है। इन्हें आधुनिक भारत के तीर्थ कहा था। उस समय भाजपा जो जनसंघ थी इनका विरोध करने के लिए कहा था कि कांग्रेस करंट निकालकर पानी की जान निकाल दे रही है।
और आज मोदी जी कह रहे हैं कि वह इनकी गाद साफ नहीं करती थी। बांधों में पानी भरने की क्षमता केवल 2 – 3 इंच रह गई है। उंगली से इशारा करके बता रहे है कि इत्ती सी।
यह तो उनके चुनावी भाषणों जैसा ही सब है। भैंस, मंगलसूत्र, कब्रिस्तान में श्मशान से ज्यादा सुविधाएं वाला। क्या कुछ अलग है? पहलगाम में 26 बेगुनाह पर्यटक मारे गए। पूरा देश गम और गुस्से में डूब गया। राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष वहां गए। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम जाकर अपनी कैबिनेट की मीटिंग करके आतंकवादियों और पाकिस्तान को संदेश दिया कि हम डरे नहीं।
और प्रधानमंत्री पंजाब में किसानों के दूर एक जत्थे को देखकर पुलिस से यह कहते हुए वापस लौटे थे कि अपने मुख्यमंत्री से कहना मैं जिन्दा वापस जा रहा हूं। उनसे क्या उम्मीद करें कि वे पहलगाम जाएंगे, पुंछ जहां राहुल अभी होकर आए वहां जाएंगे!
वे तो अपने घर गुजरात जाकर वहां से कह रहे हैं कि मेरी गोली तो है! याद रहे सेना की नहीं, जो अपनी जान हथेली पर रखकर लड़ रही थी। मोदी की गोली! मतलब गोली चलाने का भी श्रेय भी खुद को।
यह सब किसलिए? समझना ज्यादा मुश्किल नहीं। घर-घर सिंदूर पहुंचाने की तैयारी हो रही है। मगर जो पहलगाम में मारे गए जिनके नाम पर यह आपरेशन सिंदूर किया गया उनके साथ खड़ा होने कोई नहीं गया। भाजपा का प्रधानमंत्री सहित। उल्टे भाजपा के एक सांसद जांगिड़ ने जिनके पति मारे गए उन महिलाओं पर ही आरोप लगा दिया कि तुम आतंकवादियों से नहीं लड़ पाईं।
तुम्हें हमने वीरांगना नाम दिया था तुम अपने सुहाग को नहीं बचा पाईं। इतना शर्मनाक बयान। नाम वीरांगना दे दो कहो हमारी सरकार है, सारी ताकत है, सब कुछ है हम कुछ नहीं करेंगे, तुम हथियारबंद आतंकवादियों से लड़ जाओ। नाम ही रखना आता है। विकलांग को दिव्यांग कह कर कहते हैं तुम्हारे अंग दिव्य हैं।
कैसा मजाक है? मगर मजाक से ज्यादा यह है कि कुछ करना न पड़े। उन्हें कुछ देना न पड़े। सेना में जवानों को अग्निवीर नाम दे दिया। तनख्वाह, सुविधाएं, नौकरी की अवधि सब कम कर दी। नाम भारी भरकम दे दिया।
यह हम नहीं कह रहे। सेना के पूर्व जनरलों ने कहा। जनरल बख्शी ने जो 11 साल से मोदी मोदी कर रहे थे कि ये नहीं लड़ेंगे। मरने के बाद इनके परिवार को कुछ नहीं मिलने वाला। सरकार ने सेना की शक्ति कम कर दी। यह सेना के पूर्व जनरल कह रहे हैं।
पाकिस्तान में जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया। अय्युब खान भी फील्ड मार्शल थे। मगर क्या फील्ड मार्शल के नाम से हमारे हवलदार अब्दुल हमीद से ज्यादा बहादुर हो गए? हालांकि अब अब्दुल हमीद को भी भूलाने की कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान नहीं भूल पाएगा कभी उसके 9 टैंक तबाह किए थे।
मगर भारत में जो नफरत का जहरीली हवा चल रही है उसने परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को भी नहीं छोड़ा। यूपी में उनके नाम पर बने एक स्कूल का नाम बदला जा रहा था। जैसा 11 साल पहले वीरता बलिदान के लिए उनका नाम लिया जाता था वह लेना बंद हो गया है।
यति नरसिंहानंद जिनका पिछले दिनों हिन्दू-मुसलमान करने में बहुत उपयोग किया गया अब पूर्व राष्ट्रपति डा कलाम को देशद्रोही और देश का सबसे बड़ा गद्दार बता रहे हैं।
क्या मोदी पहले से चुनावी मोड में हैं?
भारी अन्तरविरोधों में जी रही है भाजपा। एक तरफ विदेश गए हर प्रतिनिधिमंडल में एक मुसलमान नेता रखा। गुजरात में सरकार कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार को मोदी की रैली में लाई। लेकिन उसीके शासित मध्य प्रदेश में वहां के वरिष्ठ मंत्री परिवार के बारे में नहीं सीधे कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में अपशब्द बोलते हैं।
आतंकवादियों की बहन बताते हैं उनके खिलाफ कोई कार्रावाई नहीं। एक तरफ कहती है कि मुसलमान डाक्टर कलाम जैसा होना चाहिए, दूसरी तरफ उन कलाम को यति ऩरसिंहानंद द्वारा देश का सबसे बड़ा गद्दार कहने पर कोई कार्रवाई नहीं। माब लिंचिंग जो अभी भी जारी है। जिसकी पहली घटना यूपी में दादरी के पास बिसाहड़ा गांव में हुई थी अखलाक को भीड़ ने बेरहमी से जान से मारा।
दस साल हो गए उस मामले में अगर सज़ा हो जाती अभी जो अलीगढ़ जैसी दिल दहला देने वाली घटना हुई वह नहीं होती। वहां युवकों को बेरहमी से मारा गया है। पुलिस ने बजरंग दल से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप मत पुछिए कुछ भी लगा सकते हैं। नहीं भी लगा सकते। केवल मुस्लिम नाम होना पर्याप्त है।
स्वर्गीय राष्ट्रपति कलाम पर कोई आरोप नहीं मगर मुसलमान हैं तो देशद्रोही। कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ क्या है? केवल नाम उर्दू। तो जब इतने बड़े लोगों को ऐसे घेरा जा सकता है तो आम मुसलमान की मत पुछिए!
देश जब शांतिकाल में नहीं है पड़ोसी देश के आतंकवादी ठिकानों पर एक बड़ा हमला किया जा चुका है। अभी भी हमारे प्रधानमंत्री अपने तरीके से उसे चेतावनियां दे रहे हैं तब भी देश में मुसलमान के खिलाफ, नेहरू के खिलाफ, कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। क्यों? यही सवाल सबसे बड़ा है।
क्या देश में हमेशा तनाव का माहौल बनाए रखना जरूरी है? वोट इसी से मिलते हैं। लोगों का ध्यान अपनी समस्याओं से इस नफरती और तनावपूर्ण माहौल से ही हट पाता है। लोग फिर भावनाओं के ज्वार में बहकर अपनी रोजी रोटी और दूसरी वास्तविक समस्याएं भूल जाते हैं?
अभी घर-घर सिंदूर पहुंचाने का एक कार्यक्रम और शुरू किया जा रहा है। अगर कहीं रोटी याद आए तो सिंदूर देकर उसे भूला दिया जाए। वोट ही सत्य है। क्या इस सत्य के लिए मोदी जी किसी बड़े चुनाव की तरफ जाने की सोच रहे हैं।
मध्यवधि! चार सौ पार उन्हें फिर दिखने लगा है। या केवल बिहार चुनाव ही है नजर में। जल्दी पता चल जाएगा। मोदी और क्या-क्या बोलते हैं? कैसे आपरेशन सिंदूर को वे सेना से छीनकर उससे कैसे अपना चुनावी अभियान बनाते हैं?
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