मैतेई समुदाय राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से सार्वजनिक माफी मांगने की मांग कर रहा है। मुद्दा 20 मई को भड़का, जब एक सरकारी बस के कुकी बहुल इलाके में जाने से पहले उस पर लिखे ‘मणिपुर राज्य परिवहन’ को ढक दिया गया।
मणिपुर में फिर हालात सुलग उठे हैं। मंगलवार को हालात नाजुक हो गए, जब मैतई समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने बाहर से ताला लगा कर केंद्र सरकार के कर्मचारियों को दफ्तरों में बंद कर दिया। 24 मई से इस समुदाय के लोगों ने राज्य में सिविल नाफरमानी आंदोलन चला रखा है। इस बार निशाने पर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला और उनके बहाने केंद्र सरकार है।
मैतेई समुदाय भल्ला से सार्वजनिक माफी मांगने की मांग कर रहा है। मुद्दा 20 मई को भड़का, जब एक सरकारी बस के कुकी बहुल इलाके में जाने से पहले उस पर लिखे ‘मणिपुर राज्य परिवहन’ को ढक दिया गया। उस बस से प्रशासन मीडियाकर्मियों उन इलाकों में ले गया। प्रशासन संभवतः मीडियाकर्मियों से भरी बस पर किसी गुट के हमले की आशंका को टालना चाहता था।
मैतेई समुदाय क्यों कर रहा है आंदोलन
मीडियाकर्मियों को ले जाने का मकसद उन्हें यह दिखाना था कि राज्य में हालात अब सामान्य हो रहे हैं। मगर दांव उलटा पड़ गया। मैतेई संगठनों ने इसे कुकी समुदाय के सामने समर्पण करना माना। कुकी अपने लिए मणिपुर से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
तीन साल पहले इसी महीने भड़की और फिर लंबे समय तक चली हिंसा ने मैतेई और कुकी समुदायों में दुराव इतना गहरा कर दिया है कि मामूली-सी बात पर वहां अशांति भड़क उठती है। भावनाएं भड़क जाती हैं। बस पर परदा डालने से मैतेई संगठनों की भावनाएं भड़क गईं।
उन्होंने प्रशासन के इस कदम को मणिपुर का अपमान बताया। और इसको लेकर गुजरे पांच दिन से राज्य में सामान्य कामकाज तकरीबन ठप है। जबकि पुराने जख्म जहां के तहां हैं। दोनों समुदायों की बहुलता जिन इलाकों में है, वहां एक-दूसरे का आना-जाना लगभग पूरी तरह रुका हुआ है।
यह इस बात प्रमाण है कि जनता के स्तर पर अविश्वास को दूर करने की कोई पहल वहां नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने सिर्फ प्रशासनिक उपायों से सामान्य स्थिति बहाल करने का नजरिया अपनाया है, जो कारगर हुआ नहीं दिखता। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि बाकी देश दूसरे भावनात्मक मुद्दों में इस तरह उलझा हुआ है कि मणिपुर के हालात पर वहां कोई चिंता नजर नहीं आती।
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