संपादकीय कॉलम
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भाषणों से नहीं होगा
मोदी ने कहा कि अब से सबको यह मंत्र अपने जीवन में उतार लेना चाहिए कि हम जो भी खरीदें मेड इन इंडिया खरीदें। दुकानद...
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सिस्टम का सिकुड़ना
चार पार्टियां जेपीसी में शामिल ना होने की बात कह चुकी हैं। इनमें मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और दूसरे एवं तीसरे नं...
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अध्यात्म बनाम अज्ञान
देवताओं की विराट छवियों का दायरा परिकल्पनाओं से अध्यात्म तक फैला हुआ है। क्या उन्हें भौतिक जगत में समेटना उचित ह...
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मसीहाई घोषणा के बाद
जीएसटी की 28 और 12 प्रतिशत की दरें खत्म करने से 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व क्षति होगी। इस नुकसान को कौ...
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आशंकाएं और अटकलें
यह अच्छी खबर है, क्योंकि भारत में ट्रंप का दूत एक ऐसा व्यक्ति होगा, जो उनका खा...
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सही दिशा में कदम
बेशक, स्वस्थ स्थिति यह होगी कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में रोजगार-शुदा लोगों के पुनर्वास की उचि...
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किसान बनाम कारोबारी!
ये प्रकरण बताता है कि किस कदर कृषि एवं उद्योग क्षेत्र परस्पर विरोधी धरातल पर चले गए हैं। यह विकास की समग्र दृष्ट...
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सुधार या फ़ौरी एडजस्टमेंट?
चीन को अहसास है कि भारत ने कुछ अमेरिका के बदले रुख और कुछ आर्थिक जरूरतों के कारण उसकी तरफ हाथ बढ़ाया है। तो उसकी...
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कानून का सियासी पहलू
केंद्र सरकार अब ऐसे विधेयक ले आई है, जिनके कानून बनने के बाद गंभीर आपराधिक माम...
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चीन+1 से इंडिया+1 तक!
चूंकि भारत का घरेलू उपभोक्ता बाजार कमजोर है और अन्य देशों में तुरंत बाजार हासिल करना आसान नहीं है
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अपराध की जड़ें कहां
अध्ययनकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि अपराध का सीधा ताल्लुक आर्थिक गैर-बराबरी से है। उनका निष्कर्ष है कि आर्थिक विषम...
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बेहद अफसोस की बात
चुनाव नतीजों को सहज स्वीकार करना चुनावी लोकतंत्र के टिकाऊ होने की बुनियादी शर्त है। इसी से सत्ता का शांतिपूर्ण ह...
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ये तर्क समस्याग्रस्त है
केंद्र का तर्क है कि राज्यपालों का अपना लोकतांत्रिक औचित्य है। राज्यपालों को सिर्फ ‘पोस्ट ऑफिस’...
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बड़ी देर कर दी!
बारह फीसदी वाली चीजों को 18 प्रतिशत में ले जाया गया, तो उससे और नुकसान होगा। 28 फीसदी की दर विल...