अपेक्षा है कि बहु-आयामी जांच से उन सभी पहलुओं पर से रहस्य हटेगा, जो अहमदाबाद में 265 लोगों की गई जान के लिए जिम्मेदार हैं। उन कारणों की जवाबदेही किस पर है, इसे भी बिना कोई पक्षपात के तय किया जाना चाहिए।
अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान की हुई दुर्घटना की बहु-आयामी जांच का केंद्र का फैसला स्वागतयोग्य है। अपेक्षा है कि इससे उन सभी पहलुओं पर से रहस्य हटेगा, जो 265 लोगों की गई जान के लिए जिम्मेदार हैं। उन कारणों की जवाबदेही किस पर है, इसे भी बिना कोई पक्षपात के तय किया जाना चाहिए। यह तय है कि सुरक्षा संबंधी नियमों की कहीं ना कहीं अनदेखी हुई। अच्छी बात है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को शाखा को जांच प्रक्रिया का हिस्सा बनाने का निर्णय हुआ है। निर्विवाद रूप से हादसे के कुछ आयाम देश से बाहर हैं। आखिर दुर्घटनाग्रस्त हुए बोईंग 787 ड्रीमलाइनर विमान की निर्माता अमेरिकी कंपनी है। हाल के वर्षों में इस कंपनी के कई विमान हादसों का शिकार हुए हैं। इस कारण ये कंपनी विवादों के घेरे में है।
कुछ ह्विशलब्लोअर्स निर्माण प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने में लापरवाही के आरोप लगा चुके हैं। इधर यह शिकायत भी बार-बार उठी है कि जब से एयर इंडिया का प्रबंधन टाटा ग्रुप के पास गया है, विमान के रखरखाव एवं यात्री सुविधाओं में काफी गिरावट आई है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अहमदाबाद से विमान की उड़ान के वक्त उसके पंखों का सही एडजस्टमेंट ना होने और रनवे के दोषपूर्ण इस्तेमाल संबंधी शिकायतें चर्चा में हैं। फिर पायलटों के अनुभव पर सवाल खड़े हुए हैं। डीजीसीए के बयान के मुताबिक विमान की कमान लाइन ट्रेनिंग कैप्टन के हाथ में थी।
सवाल उठा है कि क्या दुर्घटनाग्रस्त हुआ विमान ट्रेनिंग उड़ान पर था और असल में विमान की कमान सह-पायलट के हाथ में थी? फिर मुद्दा यह है कि विमानो के उड़ान क्षेत्र में पांच मंजिली इमारत (डॉक्टर हॉस्टल) बनाने की इजाजत कैसे दी गई, जिसके ऊपर एयर इंडिया का विमान जा गिरा? इन प्रश्नों के विश्वसनीय उत्तर सामने नहीं आए, तो ना सिर्फ एयर इंडिया की उड़ानों, बल्कि भारत के पूरे उड्डयन क्षेत्र के प्रति अविश्वास का माहौल बनेगा। इसलिए घोषित हुई जांच को अति गंभीरता से आगे बढ़ाया जाना चाहिए और जब कभी यह पूरी हो, इसके निष्कर्षों को अविलंब सार्वजनिक किया जाना चाहिए।