Bihar Election

  • इस बार जेएनयू में लेफ्ट एकजुट

    बिहार की तरह इस बार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में समूचा लेफ्ट एकजुट है। पिछली बार जेएनयू में छात्र संघ का चुनाव वामपंथी संगठनों ने अलग अलग लड़ा था। सीपीआई माले का संगठन आईसा और सीपीम के एसएफआई के उम्मीदवार अलग अलग थे। हालांकि आईएसा की जीत हो गई थी। लेकिन इस बार पार्टियों ने कोई जोखिम नहीं लिया है। पिछले कुछ समय से जेएनयू में छात्र संघ का चुनाव लड़ रहे राजद ने भी इस बार दूरी बनाई है। उसके सारे नेता बिहार विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। फिर भी इस बार के चुनाव में सात...

  • राजद ने कांग्रेस को बताई हैसियत

    दिल्ली से लेकर पटना तक की मीडिया में चर्चा है कि बिहार में राजद के साथ कांग्रेस का गठबंधन टूटते टूटते बचा और वह भी तब, जब सोनिया गांधी ने दखल दिया और राहुल गांधी सक्रिय हुए। कहा जा रहा है कि राहुल देश के किसी भी हिस्से में रहे लेकिन वे पटना में नेताओं के लगातार संपर्क में थे और हर घटनाक्रम की समीक्षा कर रहे थे। अंत में सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को पटना भेजा। उनके बाद अविनाश पांडे भी पटना भेजे गए। वे पटना में समन्वय देखेंगे। यह आम धारणा है कि अशोक गहलोत पटना गए...

  • बिहार में वादों की विश्वसनीयता पर वोट

    तेजस्वी प्रण में बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी को एड्रेस किया गया है। हर घर में एक सरकारी नौकरी। बहुत बड़ा वादा है।... बिहार बेरोजगारी में भी देश में अव्वल है। प्रति व्यक्ति आय भी सबसे कम है और सबसे ज्यादा पलायन भी यहीं से होता है। इसलिए तेजस्वी का नौकरी का हर घर में एक सरकारी नौकरी का वादा यहां सबसे ज्यादा क्लिक कर रहा है। बिहार में नीतीश कुमार ने वंदोपाघ्याय आयोग बनाया था। मगर अब उसे लागू करने की घोषणा महागठबंधन का प्रमुख घटक दल सीपीआई (माले) कर रहा है। मंगलवार को महागठबंधन का घोषणा पत्र...

  • वायदों का बेतुकापन

    घोषणापत्र में कुछ वादे तो ऐसे हैं, जिनसे 2014 का नरेंद्र मोदी का वह सांकेतिक वादा याद आ जाता है, जिसमें उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये डालने की बात कही थी! कहावत है कि कुछ सपने इतने अच्छे होते हैं कि वे सच नहीं हो सकते। बिहार में महा-गठबंधन के चुनाव घोषणापत्र पर यह कहावत सटीक बैठती है। लगता है कि घोषणापत्र बनाने वाली टीम वादों को आकर्षक एवं सबसे अलग दिखाने की कोशिश में अति उत्साह का शिकार हो गई। तो उसने आसमान से चांद- तारे उतार लाने जैसे...

  • शाह ने भी नीतीश को सीएम चेहरा माना

    पटना। बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद को लेकर बना संशय खत्म हो रहा है। बुधवार को बिहार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कह दिया कि बिहार में मुख्यमंत्री पद की वैकेंसी नहीं है। उन्होंने विपक्षी नेताओं को लक्ष्य करके कहा कि नरेंद्र मोदी के रहते दिल्ली में प्रधानमंत्री पद की और नीतीश कुमार के रहते बिहार में मुख्यमंत्री पद की वैकेंसी नहीं है। गौरतलब है कि अमित शाह के बयान से ही कंफ्यूजन बना था, जब उन्होने कहा था कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। अमित शाह ने बुधवार को...

  • महागठबंधन का जारी ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’

    पटना। महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित होने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने विपक्षी गठबंधन का घोषणापत्र भी अपने नाम से जारी कराया है। विपक्षी गठबंधन की ओर से 'बिहार का तेजस्वी प्रण' नाम से घोषणापत्र जारी किया है। इसमें बिहार के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया है और साथ ही हर परिवार को दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त में देने की घोषणा की गई है। हालांकि महागठबंधन का घोषणापत्र जारी किए जाने के मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू दोनों...

  • नीतीश के नाम पर कंफ्यूजन का नुकसान

    बिहार में महागठबंधन यानी ‘इंडिया’ ब्लॉक के अंदर का तनाव और खींचतान सबको दिख रहा था, जिसे दूर करने कांग्रेस के अशोक गहलोत पहुंचे थे और लालू प्रसाद के परिवार की सारी शर्तें मान कर उसे दूर किया था। उसके बाद महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हो गई, जिसमें तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया गया। लेकिन अभी तक एनडीए की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है और न एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा की गई है। एनडीए के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर खामोश हैं और दूसरे सबसे...

  • एनडीए में मेल मिलाप का प्रयास

    महागठबंधन में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके घटक दलों के आपसी विवाद को काफी हद तक सुलझा लिया गया है। हालांकि अब भी 10 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई हो रही है। उसमें भी कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ उतारे गए राजद उम्मीदवारों के कारण कई जातीय समूहों में धारणा प्रभावित हो रही है। एनडीए के अंदर भी इसी तरह के विवाद हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए पार्टियों के नेताओं के बीच मेल मिलाप का प्रयास शुरू हो गया है। मेल मिलाप की पहली तस्वीर 24 अक्टूबर को समस्तीपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में दिखाई दी, जहां मंच पर लोजपा नेता...

  • बिहार: नया मोड़ या पुरानी राह?

    बिहार के चुनाव में तीन पीढ़ियाँ और तीन दृष्टिकोण आमने-सामने हैं। नीतीश कुमार, जिनकी राजनीति स्थिरता और अनुभवी शासन का प्रतीक है। तेजस्वी यादव, जो परिवर्तन और युवा आकांक्षाओं के वाहक हैं। प्रशांत किशोर, जो मौजूदा राजनीति को बदलने की चुनौती दे रहे हैं। यह चुनाव यह तय करेगा कि बिहार पुरानी राजनीति की सीमाओं में रहेगा या सोच के नए अध्याय की ओर कदम बढ़ाएगा। बिहार प्रयोगों, व्यक्तित्वों और गठबंधनों की धरती रहा है। यहाँ सत्ता तक पहुँचने का रास्ता सिर्फ वोटों से नहीं, बल्कि समाजिक समीकरणों, जातीय गणित और जनभावनाओं से होकर गुजरता है। अब जब 2025 के...

  • एक और डिप्टी सीएम की घोषणा होगी

    बिहार में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित होने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि विपक्ष की ओर से एक और उप मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया जाएगा। तेजस्वी के साथ उप मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर मल्लाह जाति से आने वाले मुकेश सहनी के नाम की घोषणा हुई है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अति पिछड़ा नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। इस घोषणा का निश्चित रूप से महागठबंधन को लाभ होगा। लेकिन सवाल है कि अगर एक और डिप्टी सीएम का दावेदार घोषित होगा तो वह...

  • ‘जंगल राज’ का नैरेटिव लौट आया

    वास्तविकता है कि लालू प्रसाद के परिवार के साथ ‘जंगल राज’ की विरासत जुड़ी है। तेजस्वी यादव उसी विरासत के प्रतिनिधि हैं। कांग्रेस को पता था कि उनके नाम की घोषणा से लोगों की स्मृति में पुरानी सारी कहानियां फिर से जीवित हो जाएंगी। उन 15 वर्षों में कितने नरसंहार हुए, कितनी हत्याएं हुईं और कैसे सत्ता के संरक्षण में अपहरण उद्योग फला फूला यह सब लोगों के दिमाग में घूमने लगेगा। यह अनायास नहीं है कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की तो दो जनसभाओं में 30 बार ‘जंगल राज’ शब्द...

  • बिहार मोदी राज का भी आईना!

    और आईने में वही है जो लालू, राबड़ी और नीतीश का 45 साला जंगल राज है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डबल इंजन सरकार, विकसित भारत का चाहे जितना शोर बनवाएं वह सब बिहार में धूल है! मैंने 1984 के लोकसभा चुनाव से बिहार को कवर करते करते 45 साल खपा दिए पर यह शाश्वत सत्य यथावत है कि बिहार कभी नहीं बदल सकता और भारत भी नहीं! लालू-राबड़ी को अफसर (जैसे राजबाला वर्मा) चलाते थे वैसे नीतीश कुमार को दीपक कुमार आदि चलाते आए हैं। वैसे ही नरेंद्र मोदी को पीके मिश्रा, डोवाल, जयशंकर आदि अफसर। नीतीश ने खुद को, बिहार...

  • महागठबंधन पर मोदी का तंज

    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 24 अक्टूबर को बिहार में पहली चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। चुनाव की घोषणा के बाद वे पहली बार बिहार जा रहे हैं। उससे पहले गुरुवार को उन्होंने वर्चुअल तरीके से भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। इसमें उन्होंने विपक्ष के महागठबंधन पर तंज किया और इसे लठबंधन करार दिया। प्रधानमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें बिहार में जंगल राज लौटने से रोकना है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण और उनके लिए शुरू की गई योजनाओं के बारे में भी बताया। मोदी ने कहा, ‘हमें बिहार में जंगलराज आने से रोकना है। ये गठबंधन...

  • कांग्रेस की नादानी और तेजस्वी का दांव

    कांग्रेस पार्टी का पुनरूत्थान करने के लक्ष्य के साथ बिहार पहुंचे कृष्णा अल्लावरू कांग्रेस के संभवतः एकमात्र प्रभारी महासचिव हैं, जो वेतन पर नौकरी करते हैं। कांग्रेस उनको वेतन देती है। वे यूथ कांग्रेस में भी वेतन पर ही काम करते थे। तभी उन्होंने बिल्कुल कॉरपोरेट स्टाइल में बिहार में काम किया। उनको जो मैंडेट था उसमें बिल्कुल लचीलापन उन्होंने नहीं दिखाया। तभी ऐसे तमाम नेता किनारे हो गए, जिनका आधार था, जो बिहार के जानते समझते थे और जिनका लालू प्रसाद के परिवार के साथ अच्छे संबंध थे। उनकी जगह पप्पू यादव जैसे नेता उभर कर सामने आ गए,...

  • कांग्रेस, राजद ने फिर फैलाया रायता!

    मुख्य जिम्मेदारी कांग्रेस की थी। हमेशा राष्ट्रीय पार्टी की होती है। आरजेडी पर आरोप लगाना आसान है। मगर वह मेन प्लेयर है। उस पर उम्मीदवारों का ज्यादा दबाव था। कार्यकर्ता भी उसके पास ज्यादा हैं तो उम्मीदवार भी। और पिछले दो चुनावों से वह सबसे ज्यादा सीटें भी जीत रही है। पिछली बार 2020 में उसने सबसे ज्यादा 75 सीटें जीती थीं। भाजपा 74 के साथ नंबर दो पर थी। बिहार में विपक्ष की शानदार बढ़त बन रही थी। मगर फिर कांग्रेस और आरजेडी ने अचानक रायता फैला दिया। सीटों का बंटवारा नहीं कर पाए। कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा...

  • राजद ने क्या सरेंडर कर दिया?

    बिहार में इस बात की बहुत चर्चा हो रही है कि लालू प्रसाद के परिवार ने सरेंडर कर दिया है। कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों मायावती की गति को प्राप्त हुए हैं। गौरतलब है कि ऐन चुनाव के बीच दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सहित परिवार के कई लोगों के खिलाफ आईआरसीटीसी में हुए कथित टेंडर घोटाले में आरोप तय किया। 13 अक्टूबर को जिस दिन आईआरसीटीसी मामले में आरोप तय किया गया उसी दिन अदालत ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में सजा सुनाने का...

  • पीके ने भी मैदान छोड़ दिया

    एक तरफ राष्ट्रीय जनता दल के अदृश्य दबाव में सरेंडर करने की खबर है तो दूसरी ओर प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के भी मैदान छोड़ देने की चर्चा है। पिछले 10 दिन से प्रशांत किशोर लगभग पूरी तरह से मैदान से बाहर हैं। सोशल मीडिया पर उनका अभियान कमजोर हो गया है। पहले हजारों की संख्या में एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम हैंडल से पीके  की बातों को प्रचारित किया जाता था। कई तटस्थ दिखने वाले हैंडल से प्रशांत किशोर के बारे में प्रोपेगेंडा चलता रहता था। वे खुद हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे और विपक्षी पार्टियों पर निशाना...

  • महा-गठबंधन की मुश्किलें

    गठबंधन की मुश्किलें अलग-अलग स्तरों पर हैं। पहला स्तर तो लालू यादव का परिवार है, जिसमें टूट-फूट की चर्चाओं और दुरभिसंधि की अटकलों से भ्रम लगातार गहराता गया है। फिर घटक दलों में अपनी ताकत को लेकर बैठा हुआ भ्रम है। बिहार में महा-गठबंधन उद्देश्य की एकता का संदेश देने में विफल रहा है। इसके बदले उसकी छवि सत्ता संघर्ष में जुटे नेताओँ और गुटों के समूह की बनी है। गठबंधन की मुश्किलें अलग-अलग स्तरों पर हैं। पहला स्तर तो लालू प्रसाद यादव का परिवार है, जिसमें टूट-फूट की चर्चाओं और दुरभिसंधि की अटकलों से भ्रम लगातार गहराता गया है।...

  • बिहार ‘जंगल राज’ की ओर नहीं लौटेगा!

    बिहार विधानसभा चुनाव को ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शन’ कहा जाता है। इसका कारण यह है कि सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रयोग बिहार में होते हैं। सबसे ज्यादा नारे बिहार में गढ़े जाते हैं और सबसे सघन प्रचार व लोगों की सहभागिता बिहार के चुनाव में होती है। यह संयोग है कि इस बार बिहार का विधानसभा चुनाव लोक आस्था के महापर्व छठ के तुरंत बाद हो रहा है। बिहार आबादी, क्षेत्रफल, जीडीपी या विधानसभा, लोकसभा सीटों की संख्या के किसी भी पैमाने पर देश का सबसे बड़ा राज्य नहीं है। परंतु बिहार विधानसभा का चुनाव पूरे देश की दिलचस्पी का विषय...

  • महागठबंधन में आपस में लड़ाई

    पटना। बिहार में विपक्षी पार्टियों का गठबंधन आपस में ही लड़ रहा है। कांग्रेस और राजद के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि सीटों की घोषणा के बाद राजद उन सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है, जहां से कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। गौरतलब है कि पहले चरण की 121 सीटों में कांग्रेस के 24 प्रत्याशी मैदान में हैं। राजद ने 73 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। मुकेश सहनी की वीआईपी के सात और सीपीआई माले के सात प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इस तरह पहले चरण की 121 सीटों पर महागठबंधन के...

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