महागठबंधन में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके घटक दलों के आपसी विवाद को काफी हद तक सुलझा लिया गया है। हालांकि अब भी 10 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई हो रही है। उसमें भी कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ उतारे गए राजद उम्मीदवारों के कारण कई जातीय समूहों में धारणा प्रभावित हो रही है। एनडीए के अंदर भी इसी तरह के विवाद हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए पार्टियों के नेताओं के बीच मेल मिलाप का प्रयास शुरू हो गया है। मेल मिलाप की पहली तस्वीर 24 अक्टूबर को समस्तीपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में दिखाई दी, जहां मंच पर लोजपा नेता चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैर छुए। चिराग को पता है कि नीतीश समर्थकों ने 2020 के चुनाव की गांठ बांधी है। इसी तरह नीतीश को भी पता है कि चिराग की पार्टी तोड़ने और इस बार उनको खराब सीटें दिए जाने की खबरों से चिराग समर्थक भी चिढ़े हैं और जदयू को नुकसान कर सकते हैं।
तभी चिराग की पहल के बाद नीतीश ने भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया और रविवार को छठ महापर्व के खरना के दिन का प्रसाद खाने नीतीश कुमार पटना में चिराग के घर पहुंचे। परिवार के लोगों के साथ मुख्यमंत्री ने तस्वीरें खिंचवाई, जिसे दोनों पार्टियों को इकोसिस्टम ने सोशल मीडिया में वायरल कराया। मीडिया में इस घटनाक्रम को पर्याप्त तरजीह मिली। एक दूसरे के उम्मीदवारों के क्षेत्र में दोनों की साझा सभाएं कराए की योजना पर भी काम हो रहा है। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा के समर्थकों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा के नेता भोजपुरी गायक पवन सिंह को लेकर उनके यहां गए थे, जहां पवन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा के पैर छुए। अब इसके बाद एक बड़ा विवाद चिराग पासवान और जीतन राम मांझी का है। दोनों के बीच एससी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले को लेकर विवाद है तो निजी विवाद भी हैं। इमामगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में चिराग ने मांझी की बहू के लिए प्रचार नहीं किया था। उलटे प्रशांत किशोर की तारीफ की थी, जिससे पासवान वोट प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के जितेंद्र पासवान को मिल गए थे।


