NDA alliance

  • सीट घटी हो लेकिन सहयोगी बेऔकात

    इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 63 सीटें कम हो गईं। वह बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई है लेकिन ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसका कोई असर नहीं है। शुरुआत के दो चार दिनों को छोड़ दें, जब वे बैकफुट पर दिखे और सहयोगी पार्टियों के साथ संबंध सुधार की कोशिश करते दिखाई दे, तो अब उनकी पुरानी राजनीति लौट आई दिख रही है। उन्होंने सहयोगी पार्टियों की स्थिति पहले जैसी ही कर दी है, जैसी भाजपा के पूर्ण बहुमत के समय होती थी। सहयोगियों को न तो उनकी संख्या के...

  • सहयोगियों को सरकार में मिला झुनझुना

    सहयोगी पार्टियों को एक-एक, दो-दो मंत्री पद देने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभागों के बंटवारे में भी सहयोगियों को झुनझुना थमा दिया है। कई सहयोगी पार्टियां बड़ी जीत के बाद उम्मीद कर रही थीं कि उन्हें अपने राज्य में विकास के काम करने का मौका मिलेगा और उनके नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का भी मौका मिलेगा। लेकिन उनके विभागों को देखते हुए लग रहा है कि ऐसा कोई मौका उनको नहीं मिलने जा रहा है। प्रादेशिक पार्टियों की जीत से जो क्षेत्रीय आकांक्षाएं उफान मार रही थीं उन पर भी पानी फिर गया है।...

  • सहयोगी पार्टियों की क्या मजबूरी है?

    भाजपा की सहयोगी पार्टियों को सरकार में कोई खास महत्व नहीं मिला है। ऐसा लग रहा है कि सभी पार्टियों ने मजबूरी में भाजपा को समर्थन दिया है और बदले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो प्रसाद दे दिया है उसे ग्रहण करना ही उनका कर्तव्य है। सवाल है कि सहयोगी पार्टियों की क्या मजबूरी है? ऐसा लग रहा है कि लोकसभा में संख्या का गणित देख कर उनको लग रहा है कि भाजपा के साथ बने रहने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। लोकसभा में एनडीए के सांसदों की संख्या 293 है। जदयू के एक जानकार नेता...

  • सहयोगी पार्टियों की लंबी सूची

    नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो कई चीजें बदली हुई होंगी। पहले दो बार उन्होंने तय किया था किसे मंत्री बनाना है और किसे कौन सा मंत्रालय देना है। वे शपथ से पहले संभावित मंत्रियों से मिले और उससे ही मैसेज गया कि अमुक नेता मंत्री बन रहा है। इस बार ऐसा नहीं है। इस बार सहयोगी पार्टियों की सूची से मंत्रियों के नाम तय हो रहे हैं। तभी अटकलें ज्यादा लग रही हैं। पहली अटकल तो यही है कि मोदी कितने मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे? बताया जा रहा है कि 28 से 30 कैबिनेट...

  • कमजोर पार्टियों से तालमेल के फायदे

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

  • नीतीश की विदेश यात्रा से अटका गठबंधन

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

  • भाजपा के सहयोगियों की चिंता

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

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