एनसीपी के संस्थापक शरद पवार अपनी पार्टी का विलय भतीजे अजित पवार की पार्टी में करेंगे या अपनी पार्टी बनाए रखते हुए भाजपा से तालमेल करेंगे यानी एनडीए का हिस्सा बन जाएंगे या तमाम कयासों को गलत साबित करते हुए ‘इंडिया’ ब्लॉक में बने रहेंगे? इन सवालों का जवाब सिर्फ शरद पवार ही दे सकते हैं या उनकी बेटी सुप्रिया सुले दे सकती हैं। वैसे शरद पवार के बारे में जाने ने पत्रकार वीर सांघवी ने अपनी किताब में लिखा है कि पवार हवाईअड्डे पर अगर मुंबई का बोर्डिंग कार्ड लिए हुए दिखाई दें जरूरी नहीं है कि वे मुंबई ही जा रहे हों, हो सकता है कि वे चेन्नई चले जाएं। इसका मतलब है कि वे जो करते हुए दिख रहे होते हैं वह असल में नहीं करते हैं और उनको जो करना होता है वह किसी को दिखाई नहीं देता है।
अभी वे हर दूसरे दिन भतीजे अजित पवार के साथ मंच साझा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर दोनों पार्टियों का विलय हो जाए तो लोगों को हैरान नहीं होना चाहिए। जानकार सूत्रों का कहना है कि पहले भी शरद पवार ने विपक्षी गठबंधन छोड़ कर सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ जाने का फैसला किया था लेकिन तब उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने उनका फैसला टलवा दिया था। लेकिन अब सुप्रिया भी 11 साल से विपक्ष में रह कर थक गई हैं। उनको सरकार ने विदेश जाने वाले एक डेलिगेशन का नेतृत्व करने को कहा तो वे तत्काल राजी हुईं और विदेश गईं। दूसरी ओर खबर है कि अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार दोनों पार्टियों के विलय के पक्ष में नहीं हैं। उनको यह बात ठीक नहीं लग रही है कि विलय के बाद केंद्र सरकार में मंत्री पद मिले तो वह सुप्रिया सुले को जाए, जिन्होंने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में हराया था। सो, अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि विलय की बजाय शरद पवार सीधे भाजपा से तालमेल कर सकते हैं। यानी एनडीए में एक और पार्टी जुड़ सकती है। भाजपा को आठ लोकसभा सांसदों का समर्थन मिल जाएगा। उनकी बेटी और एक अन्य सांसद मंत्री बन जाएंगे। इसके बाद अजित पवार उनकी पार्टी तोड़ने के बारे में सोचेंगी भी नहीं।