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पीएमओ की बात गृह मंत्रालय नहीं मान रहा!

यह बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही है। उन्होंने दावा किया है कि दार्जिलिंग को लेकर गोरखा समूहों से वार्ता के लिए केंद्र की ओर से नियुक्त वार्ताकार के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से वादा किया था कि इस पर विचार किया जाएगा। लेकिन पीएमओ की बात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ध्यान नहीं दिया और उसकी ओर से नियुक्त वार्ताकार ने 10 नवंबर को आधिकारिक रूप से वार्ता शुरू करने की घोषणा कर दी। ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नियुक्त वार्ताकार पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह की ओर से 10 नवंबर को जारी चिट्ठी की आलोचना की है और कहा है कि यह संविधान का उल्लंघन है।

यह बताने के लिए ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसमें उन्होंने वार्ताकार की नियुक्ति के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी और उस पर पीएमओ की ओर से आए जवाब की कॉपी भी जारी की। उन्होंने पढ़ कर सुनाया कि पीएमओ की ओर से वार्ताकार की नियुक्ति पर विचार करने को कहा गया था। लेकिन उसके बाद वार्ताकार ने 10 नवंबर को चिट्ठी जारी कर दी। ममता बनर्जी का कहना है कि वार्ताकार की नियुक्ति में राज्य सरकार से सलाह मशविरा नहीं किया गया। एकतरफा तरीके से केंद्र ने नियुक्ति कर दी। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम संविधान में शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से को अलग राज्य बनाने की मांग काफी समय से उठ रही है। भाजपा के कई नेता इसका समर्थन कर रहे हैं। अगले साल के चुनाव से पहले यह बहुत संवेदनशील मामला है। हालांकि यह दोधारी तलवार की तरह है। भाजपा अगर राज्य के बंटवारे का कोई भी प्रयास करती है तो इसे पूरे राज्य में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

By NI Political Desk

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